
सीकर. बिना मकान को ध्वस्त किए भी मकान को पीछे किया जा सकता है। यह सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन सीकर में देशी इंजीनियरिंग सामने आई है। देशी इंजीनियरिंग के दम पर हरियाणा के कारीगरों ने एक मकान को लगभग 40 फीट पीछे खिसका दिया है। यहां आठ से अधिक कारीगर दो महीने से जैक के सहारे मकान को पीछे खिसकाने में जुटे हुए थे। दरअसल, जब मकान बनाया था घर के सामने कोई रोड नहीं था। इसके बाद यूआइटी ने वर्ष 2020 में जयपुर- बीकानेर बाइपास को शहर से जोड़ने के लिए रीको व स्मृति वन के पास से होते हुए 100 फीट सड़क स्वीकृत कर दी। इस दौरान मकान का लगभग एक फीट हिस्सा सड़क पर आ गया तो मकान को शिफ्ट करने की योजना बनाई। यहां के कई कारीगरों से बातचीत की लेकिन कोई आईडिया नहीं आया। आखिर में किसी ने हरियाणा के कारीगरों के देशी जुगाड़ के जरिए मकान को शिफ्ट कराने के बारे में बताया। मकान मालिक रविन्द्र मेव ने बताया कि यदि इंजीनियरिंग से मकान पीछे नहीं हटता तो 25 लाख रुपए का नुकसान होता।
ऐसे खिसकाया मकान
हरियाणा के कारीगरों बताया कि लोकल इंजीनियरिंग अभी भी काफी कारगर है। कारीगरों ने सबसे पहले मकान को जहां खिसकाना था वहां नींव की भराई का काम पूरा कराया। इसके बाद मकान में 70 से ज्यादा जैक लगाकर पहले ऊपर उठाया। इसके बाद नई नींव पर मकान को शिफ्ट किया। मकान मालिक के भाई राजेश मेव ने बताया कि मकान की ऊंचाई बढ़ाने का मामले तो खूब सुने थे,लेकिन मकान को पीछे ले जाने की इंजीनियरिंग पहली बार देखी है।