
शिमला। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद एक बार फिर कांगड़ा जिला में सियासी हलचल शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के 15 जनवरी से कांगड़ा जिला के शीतकालीन प्रवास पर जाने का कार्यक्रम तय हो गया है।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान ही शीतकालीन प्रवास की रूपरेखा तैयार कर दी गई थी। इस बार का शीतकालीन प्रवास सियासी मायनों में काफी अहम होने वाला है।
कांगड़ा को मिल सकती है बड़ी सौगाते
सरकार ने कांगड़ा को पर्यटन राजधानी का दर्जा दिया है। दो रोज पहले ही मुख्यमंत्री ने पर्यटन विकास निगम के कार्यालय को धर्मशाला शिफ्ट करने की बात कही थी। ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि मुख्यमंत्री अपने 11 दिनों के प्रवास के दौरान कई बड़ी सौगाते कांगड़ा जिला को दे सकते हैं।
हिमाचल की सियासत में कांगड़ा जिला का बड़ा महत्व है। चुनावों में इस जिला से जिस भी दल ने बढ़त बनाई है उसी के हाथ सत्ता की चाबी लगी है। शीतकालीन प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री कांगड़ा जिला के सभी विधानसभा क्षेत्रों में जाएंगे और कई कार्यों के उद्वघाटन व कुछ की आधारशिला रखेंगे।
मिनी सचिवालय में बैठेंगे मुख्यमंत्री सुक्खू
मुख्यमंत्री प्रवास के दौरान जनता के बीच जाएंगे व उनकी समस्याओं को सुनेंगे। मौके पर ही निपटारा भी किया जाएगा। कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के बाद वहां के लोगों की समस्याएं, फोरलेन के निर्माण से पेश आ रही दिक्कते, पौंग डैम विस्थापित भी अपनी समस्याएं मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे।
शीतकालीन प्रवास को लेकर जिला प्रशासन ने भी तैयारियां शुरू कर दी है। धर्मशाला स्थित मिनी सचिवालय में मुख्यमंत्री बैठेंगे। इस बार पूर्ण राज्यत्व दिवस का राज्य स्तरीय कार्यक्रम भी कांगड़ा जिला के बैजनाथ में रखा गया है। जिसमें मुख्यमंत्री बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहेंगे।
सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम की भी तैयारी
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री शीतकालीन प्रवास के दौरान ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम के तहत किसी गांव में जा सकते हैं। अभी तक दो ही कार्यक्रम हुए और दोनों शिमला जिला में हुए हैं। 25 जनवरी की शाम को ही वह शिमला लौट सकते हैं क्योंकि 26 को यहां गणतंत्र दिवस समारोह रिज मैदान पर होना है।
पर्यटन राजधानी बनाने पर चल रहा काम
पूर्व में वीरभद्र सिंह सरकार में कांगड़ा को दूसरी राजधानी का दर्जा देने की घोषणा हुई थी। हालांकि, यह घोषणा अधिसूचना के रूप में बदली लेकिन कागजों तक ही सीमित रही।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांगड़ा जिला को पर्यटन राजधानी बनाने की घोषणा की है। पर्यटन राजधानी को विकसित करने का काम अब सरकार यहां पर कर रही है। इसके लिए कई बड़ी योजनाएं हैं, जिन पर काम चल रहा है।
1994 में शुरू हुई थी प्रवास की परंपरा
निचले हिमाचल की जनता की भावनाओं को समझते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वर्ष 1994 में शीतकालीन प्रवास की परंपरा शुरू की थी। उसके बाद इस परंपरा को हर सरकारों ने आगे बढ़ाया।
इसका मकसद यही था कि दूर दराज क्षेत्रों के जो लोग अपनी समस्या को लेकर शिमला नहीं आ सकते उनकी समस्याओं को सरकार खुद जाकर सुनेगी। हालांकि, बाद में विधानसभा भी धर्मशाला में बनाई गई, जिसमें केवल शीतकालीन सत्र ही होता है।