
एकनाथ शिंदे.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई में शिवसेना की दशहरा रैली के अवसर पर ऐलान किया कि वह बाढ़ पीड़ितों की काली दिवाली नहीं होने देंगे, उन्हें दिवाली से पहले मदद मिलेगी. इस साल बाढ़ पीड़ितों के संकट को देखते हुए यह रैली सिर्फ मुंबई और ठाणे में आयोजित की गई थी. एकनाथ शिंदे ने यह भी कहा कि अगर आज बालासाहेब होते, तो हमें आशीर्वाद देते.
एकनाथ शिंदे ने अपने भाषण में आगे कहा कि शिवसेना का दशहरा मिलन समारोह हमेशा धूमधाम से मनाया जाता है, इस साल किसान संकट में हैं और मराठवाड़ा में आपदा आई है. बाढ़ की स्थिति में फंसे किसानों की मदद के लिए मैंने शिवसैनिकों से कहा कि आप लोग वहीं रुककर बाढ़ पीड़ितों की मदद करें. एकनाथ शिंदे ने यह भी कहा कि इस बार दशहरा मिलन समारोह को मुंबई और ठाणे तक सीमित रखा गया है.
उन्होंने कहा कि पीड़ित राज्य की आंखों में आंसू हैं. खेती-किसानी बर्बाद हो गई है. घर ढह गए हैं. मैंने उनकी पीड़ा अपनी आंखों से देखी है, क्योंकि बालासाहेब ने हमें 80 प्रतिशत सामाजिक कार्य और 20 प्रतिशत राजनीति करने को कहा था. हमने इस मंत्र को नहीं छोड़ा है. जहां भी संकट है, वहां शिवसेना है और जहां भी संकट है, वहां एकनाथ शिंदे हैं.
शिवसेना की मदद करने की है नीति
उन्होंने कहा कि शिवसेना की नीति सहायता प्रदान करने की है. बाढ़ ने किसानों को नष्ट कर दिया है. नियम और शर्तों को छोड़कर, हमें किसानों को सहायता प्रदान करनी चाहिए. संकट बड़ा है. किसान कह रहे हैं कि हमने कई वर्षों में इतनी बारिश नहीं देखी. सब कुछ नष्ट हो गया है. इसलिए हमने अपने आस-पास के लोगों को इस सभा में आमंत्रित किया.
उन्होंने कहा कि दशहरा उत्सव बड़ा है, खुशी में कोई कमी नहीं है, लेकिन इस बार बाढ़ का संकट है. हमने किसानों के लिए यह निर्णय लिया. अगर बालासाहेब आज यहां होते, तो वे हमारी पीठ थपथपाते. अगर अब मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया, तो कब… पहले भी, जब सूखा या बाढ़ आई थी, शिवसैनिकों ने किसानों को खाद्यान्न, पानी और चारा उपलब्ध कराने का काम किया है.
दिवाली से पहले मिलेगी मदद
एकनाथ शिंदे ने कहा कि आप हिम्मत मत हारिए, आखिरी कदम मत उठाइए. आपके भाई यहां हैं. एक किसान का बेटा होने के नाते, मैं किसानों का दर्द महसूस करता हूं. मैं बाढ़ पीड़ितों की दिवाली काली नहीं होने दूंगा. आपके एकनाथ का वचन है कि दिवाली से पहले आपको मदद दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे वो नहीं हैं जो कपड़े प्रेस करते हैं और वैनिटी वैन लेते हैं. वो शिवसैनिक नहीं हैं जो घर से काम करते हैं. बालासाहेब कहते थे कि एक शिवसैनिक को संकट में नहीं दिखना चाहिए. उसे लोगों के दरवाजे पर दिखना चाहिए.