1971 की जंग में भारत ने क्यों दिया था बड़े पैमाने पर कंडोम का ऑर्डर? वजह जान चौंक जाएंगे “ • ˌ

Why did India order condoms on a large scale during the 1971 war? You will be shocked to know the reason
Why did India order condoms on a large scale during the 1971 war? You will be shocked to know the reason

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नई दिल्ली : इसी महीने 16 दिसंबर को देश ने ‘विजय दिवस’ पर हमारे वीर जवानों के अदम्य साहस और शौर्य को सलाम किया। इतिहास के उस गौरवशाली लम्हों को याद किया जब 1971 में पाकिस्तान के 93000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया। पूर्वी पाकिस्तान इतिहास हो गया और दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश नाम के नए देश का जन्म हुआ। उस जंग में हमारी तीनों सेनाओं ने शौर्य की एक नई गाथा लिखी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जंग के बीच में इंडियन आर्मी और नेवी ने बड़े पैमाने पर कंडोम का ऑर्डर दिया था? आखिर इसकी क्या वजह थी? ये जानकर आप चौंक जाएंगे।

इंग्लिश न्यूज वेबसाइट ‘फर्स्टफोस्ट’ ने दिसंबर 2021 की अपनी एक रिपोर्ट में 1971 की जंग में हिस्सा ले चुके लेफ्टिनेंट कर्नल आरएके मानेक के हवाले से बताया है कि आर्मी ने आखिर कंडोम का ऑर्डर क्यों दिया। भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान पर चढ़ाई शुरू कर दी थी। मानेक तब आर्मी में कैप्टन थे। उन्होंने बताया कि पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) नदी-नालों के भरमार वाला देश है। कई जगह जमीन दलदली है। ऐसे में हथियारों के साथ वहां आगे बढ़ना आसान काम नहीं था। सैनिकों को अपने राइफलों के बेकार होने का डर सता रहा था क्योंकि उनमें कभी पानी तो कभी कीचड़ चला जा रहा था जिससे वे अप्रभावी हो जा रहे थे। लेकिन कहते हैं न कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। राइफलों को सूखा रखना जरूरी था। तभी सैनिकों को कंडोम का खयाल आया। दिमाग में आया कि अगर राइफलों के नाल के मुंह यानी मजल को कंडोम से ढक दिया जाए तो उन्हें सूखा रखने में मदद मिलेगी।

कंडोम वाले आइडिया से पहले सेना ने सूती कपड़े वाली तरकीब भी अपनाई थी। ‘द प्रिंट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय स्तर पर गमछों की व्यवस्था की गई और राइफलों के नाल को गमछों से ढककर उन्हें सूखा बनाए रखने या उसमें कीचड़ जाने से रोकने की कोशिश की गई। सूती कपड़े को नाल में ठूसा भी जाता था ताकि उसमें कीचड़ न जा पाए। लेकिन ये प्रयोग फेल हो गया। गमछों से कीचड़ को राइफलों के नाल में रोके जाने में कुछ हद तक कामयाबी तो मिल सकती थी लेकिन पानी को अंदर जाने से नहीं रोका जा सकता था। उसी के बाद कंडोम के इस्तेमाल का विचार आया।

मानेक के मुताबिक जब आर्मी के डॉक्टर से हर सैनिक के हिसाब से कम से कम 3 कंडोम देने की मांग की गई तो वह हंसने लगे। उन्हें लगा कि ये कोई मजाक है। लेकिन बाद में उन्हें महसूस हुआ कि ये मजाक नहीं था। आर्मी ने बड़े पैमाने पर कंडोम का ऑर्डर दिया। ये तरकीब काम कर गई और राइफल कंडोम की वजह से कारगर बने रहे।

आर्मी की तरह नेवी ने भी 1971 की जंग में कंडोम का इस्तेमाल किया था। हुआ कुछ यूं कि चिटगांव बंदरगाह को नेवी ने घेर लिया था। पाकिस्तानी जहाजों को निशाना बनाने के लिए नेवी ने उन्हें लिम्पेट माइन से टारगेट करने का प्लान बनाया। इन माइन को दुश्मन की जहाज के नीचे रखना होता है और बाद में इसमें एक तय समय में विस्फोट होता है जिससे जहाज तबाह हो जाता है। दिक्कत ये थी पानी के संपर्क में आते ही आधे घंटे के भीतर लिम्पेट माइन में विस्फोट हो जाता। इतने कम समय में माइन को दुश्मन की जहाज में सेट करना और उसके बाद सुरक्षित निकल पाना मुश्किल था। ऐसे में कंडोम की तरकीब अपनाई गई। कंडोम के जरिए लिम्पेट माइन को वॉटरप्रूफ बनाया गया और फिर उसका इस्तेमाल दुश्मन के जहाजों को तबाह करने में किया गया। ‘द प्रिंट’ की रिपोर्ट में भी कंडोम वाले जुगाड़ से लिम्पेट माइन को वॉटरप्रूफ बनाए जाने का जिक्र है।