क्या टाटा कैपिटल दोहरा पाएगा पिछले IPO का कारनामा? बनाया था ये रिकॉर्ड

क्या टाटा कैपिटल दोहरा पाएगा पिछले IPO का कारनामा? बनाया था ये रिकॉर्ड

Tata Capital IPO का इश्‍यू प्राइस 310 से 326 रुपए तय गया है.

टाटा ग्रुप का आगामी आईपीओ, टाटा कैपिटल, 2025 का सबसे बड़ा और प्रतीक्षित इश्यू है. अगर निवेशकों को टाटा और ग्रुप के अन्य शेयरों के मज़बूत प्रदर्शन को देखते हुए इस आईपीओ में निवेश करना आसान लगता है. यदि निवेशकों को टाटा और ग्रुप के दूसरे स्टॉक के मजबूत प्रदर्शन के आधार पर जाना है, तो आईपीओ में निवेश करने में कोई परेशानी की बात नहीं है. करीब दो साल पहले टाटा टेक्नोलॉजीज़ नवंबर 2023 में बाज़ार में आई, और अपने इश्यू प्राइस से 140 फीसदी प्रीमियम पर लिस्ट हुई. यह लगभग दो दशकों में टाटा ग्रुप का पहला आईपीओ था, और लोगों का उत्साह चरम पर था. लेकिन यह तेज़ी बरकरार नहीं रही.

दो साल बाद, टाटा टेक अपने लिस्टेड प्राइस से लगभग 43 फीसदी नीचे कारोबार कर रहा है, जो दर्शाता है कि​ लिस्टिंग के बाद होने वाले तेज करेक्शन बड़े नामों को भी कितनी बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं. अब, सभी की निगाहें टाटा संस की प्रमुख फाइनेंशियल सर्विस कंपनी टाटा कैपिटल पर हैं, जो 6 अक्टूबर को अपना 15,512 करोड़ रुपये का आईपीओ खोल रही है. 310-326 रुपए प्राइस बैंड के साथ, इस ऑफर में 6,846 करोड़ रुपए का नया इश्यू और टाटा संस और आईएफसी द्वारा 8,666 करोड़ रुपए का ओएफएस शामिल है.

फाइनेंशियल पॉवरहाउस से कम नहीं

टाटा कैपिटल भारत की तीसरी सबसे बड़ी एनबीएफसी है, जिसकी जून 2025 तक ग्रॉस लोन बुक 2.33 लाख करोड़ रुपये का है. इसका लोन मिक्स्ड रिटेल और एसएमई बोरोअर्स की ओर झुका हुआ है, जिनकी कुल मिलाकर कुल लोन बुक में 87 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है. कंपनी की 1,516 ब्रांच हैं और 30,000 डीएसए, 400 ओईएम गठजोड़ और 60 डिजिटल भागीदारों के साथ अपनी पहुंच को और बढ़ाती है. टाटा कैपिटल पर्सनल लोन और होम लोन से लेकर ऑटो, एसएमई और इंफ्रा लोन तक, 25 से अधिक लोन सॉल्यूशन प्रोवाइड करती है. टाटा मोटर्स फाइनेंस के साथ मर्जर के बाद, कंपनी ने ऑटो फाइनेंस में और विस्तार किया है.

ताकत और स्थिरता

टाटा ब्रांड के सपोर्ट से, कंपनी को दुनिया की बड़ी एजेंसियों से सर्वोच्च क्रेडिट रेटिंग – ‘AAA/स्थिर’ प्राप्त है. वित्तीय रूप से, कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 में 25,720 करोड़ रुपए की ब्याज से कमाई की, जो वित्त वर्ष 2024 में 16,366 करोड़ रुपये थी. शुद्ध लाभ पिछले वर्ष के 3,327 करोड़ रुपए की तुलना में बढ़कर 3,655 करोड़ रुपए हो गया. शुद्ध ब्याज मार्जिन बढ़कर 5.6 फीसदी हो गया, जबकि मर्जर के बाद रिटर्न रेश्यो में कमी आई, लेकिन यह हेल्दी बना हुआ है.

रिस्क भी है और कंप्टीशन भी

अपने आकार के बावजूद, टाटा कैपिटल को बजाज फाइनेंस और श्रीराम फाइनेंस जैसी दिग्गज एनबीएफसी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. इसका रिटर्न रेश्यो प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम है—बजाज फाइनेंस का रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) 19.2 फीसदी है जबकि टाटा कैपिटल का 12.6 फीसदी है. विश्लेषक असुरक्षित लोन (बहीखाते का 20 फीसदी) में हाई रिस्क, संभावित परिसंपत्ति-देयता असंतुलन और ब्याज दर चक्रों के प्रति संवेदनशीलता से जुड़े जोखिमों की भी ओर इशारा करते हैं.

क्या निवेशकों को दांव लगाना चाहिए?

जानकार पॉजिटिव लेकिन संयमित बने हुए हैं. एसबीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि टाटा कैपिटल की पैरेंटेज की मज़बूती, डायवर्सिफाइ पोर्टफोलियो और ओमनी-चैनल डिस्ट्रीब्यूशन इसे दीर्घकालिक रूप से स्थिर बनाते हैं. हालांकि जानकारों का कहना है कि रिटर्न इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनी अपने ऑटो फाइनेंस बिजनेस को कैसे एकीकृत करती है और प्रतिस्पर्धा के बीच प्रॉफिटेबल कैसे बनाए रखती है. निवेशकों के लिए, टाटा ब्रांड एक सुकून देता है. लेकिन जैसा कि टाटा टेक्नोलॉजीज ने दिखाया, एक ब्लॉकबस्टर लिस्टिंग हमेशा स्थायी लाभ सुनिश्चित नहीं करती. टाटा कैपिटल का आईपीओ भले ही टाटा टेक के शुरुआती प्रदर्शन जैसा शानदार प्रदर्शन न करे, लेकिन अपने पैमाने, ब्रांड विश्वास और बेहतर होते बुनियादी सिद्धांतों के साथ, यह खुद को एक स्थिर और दीर्घकालिक दांव के रूप में स्थापित करता है.

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