पत्नी की लाश कंधे पर लाद 80KM तक पैदल चला बेबस पति, रास्ते में पुलिस ने रोका तो खुली आंखें फटी की फटी रह गईं!

पत्नी की लाश कंधे पर लाद 80KM तक पैदल चला बेबस पति, रास्ते में पुलिस ने रोका तो खुली आंखें फटी की फटी रह गईं!

यह कहानी गरीबी, बेबसी और एक पति के अपनी मृत पत्नी के प्रति अटूट प्रेम की है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। एक ऐसा दृश्य, जहाँ एक शख्स अपनी पत्नी के शव को कंधे पर लादकर मीलों पैदल चलता रहा, क्योंकि उसे अस्पताल से एम्बुलेंस नहीं मिली। जब पुलिस की नजर उस पर पड़ी, तो जो सामने आया वह बेहद दिल दहला देने वाला था।

ओडिशा की दाना मांझी की घटना: एक दर्दनाक सच्चाई यह घटना मुख्य रूप से ओडिशा के कालाहांडी जिले के भवानीपटना में 2016 में हुई थी, जब दाना मांझी नामक एक आदिवासी व्यक्ति को अपनी पत्नी अमांग देई का शव अस्पताल से अपने गाँव तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिली। अस्पताल प्रशासन द्वारा कथित तौर पर एम्बुलेंस की व्यवस्था न किए जाने पर, दाना मांझी ने अपनी 12 वर्षीय बेटी के साथ मिलकर पत्नी के शव को कंधे पर लाद लिया और लगभग 10 किलोमीटर पैदल चले। यह घटना अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में आई और इसने भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँच पर गंभीर सवाल खड़े किए।

एक और ऐसी ही बेबसी की तस्वीर ओडिशा के ही कोरापुट जिले से 2023 में एक और ऐसी ही दिल दहलाने वाली घटना सामने आई थी। 35 वर्षीय सामुलु पांगी अपनी पत्नी इडे गुरु (30) के साथ पड़ोसी आंध्र प्रदेश के एक अस्पताल से लौट रहे थे, जहाँ उनकी पत्नी का इलाज चल रहा था। ऑटो-रिक्शा से लौटते समय, उनकी पत्नी की रास्ते में ही मौत हो गई। ऑटो चालक ने शव को आगे ले जाने से इनकार कर दिया और उन्हें चेलूरू रिंग रोड पर छोड़ कर चला गया।

सामुलु पांगी के पास दूसरा वाहन किराए पर लेने के पैसे नहीं थे। उनका गाँव अभी भी लगभग 80 किलोमीटर दूर था। ऐसे में, उनके पास कोई और विकल्प नहीं था। पत्नी के शव को कंधे पर लादकर, वह राष्ट्रीय राजमार्ग पर पैदल चलने लगे, उनका दिल टूटने वाला था, लेकिन उनकी आँखों में पत्नी को उसके अंतिम घर तक पहुँचाने का दृढ़ संकल्प था।

पुलिस बनी फरिश्ता: कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद, कुछ स्थानीय लोगों की नजर सामुलु पांगी पर पड़ी। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। आंध्र प्रदेश की पुलिस टीम मौके पर पहुँची। शुरुआत में भाषा की बाधा के कारण पांगी की बात समझने में मुश्किल हुई, लेकिन एक स्थानीय व्यक्ति की मदद से पुलिस अधिकारियों को पूरी स्थिति का पता चला।

मानवीयता का परिचय देते हुए, पुलिस अधिकारियों ने तुरंत सामुलु पांगी की मदद का फैसला किया। उन्होंने आपस में पैसे इकट्ठे किए और एक एम्बुलेंस का इंतजाम किया, ताकि पांगी अपनी पत्नी के शव को सम्मान के साथ अपने गाँव सोराडा ले जा सकें। पुलिस की इस तत्परता और संवेदनशीलता ने सामुलु पांगी को एक बड़ी राहत दी, और स्थानीय लोगों ने भी पुलिस की इस नेक पहल की सराहना की।

सामाजिक चिंताएं और सवाल: ये घटनाएं भारतीय समाज की उन गहरी समस्याओं को उजागर करती हैं जहाँ ग्रामीण और गरीब तबके के लोगों को आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अस्पताल से एम्बुलेंस न मिलना, वित्तीय असमर्थता और ऐसी बेबसी की तस्वीरें हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए अभी भी कितना काम किया जाना बाकी है। हालांकि, पुलिस और कुछ नेक लोगों की तत्परता ऐसे दुखद पलों में इंसानियत की रोशनी भी दिखाती है।

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