
आधुनिक भारत के ज्यादातर घरों में आज भी खाना पकाने के लिए सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। सब्जी से लेकर पकौड़े तक में स्वाद तब आता है, जब इसे सरसों के तेल की झांस में पकाया जाता है। हम भारतीय सरसों के तेल के बिना खाना पकाने की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। सरसों का तेल भारतीय किचन की शान है। लेकिन इसे अमेरिका ने बैन किया हुआ है। अमेरिका में खाना पकाने के लिए ऑलिव ऑयल, अलसी का तेल, तिल का तेल, मूंगफली का तेल समेत कई प्रकार के तेल मौजूद हैं। लेकिन सरसों के तेल को खाना पकाने में इस्तेमाल करने की मनाही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि अमेरिका में सरसों का तेल बिकता नहीं है, लेकिन इस पर नॉट पर कुकिंग का लेबल लगाया होता है।
इक्विनॉक्स लैब के सीईओ, फूड सेफ्टी एक्सपर्ट अश्विन कुमार का कहना है कि अमेरिका में सरसों तेल में खाना पकाने की मंजूरी न होने का कारण है इसमें हाई इरुसिक एसिड का होना। जानकारी के लिए बता दें कि हाई इरुसिक एसिड युक्त चीजों का इस्तेमाल खाने में करने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। सरसों के तेल में मौजूद हाई इरुसिक एसिड एक मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड है। इसका ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने की वजह से हार्ट फेफड़े और स्किन से संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।

सरसों के तेल के नुकसान- Mustard oil Side Effects in Hindi
अमेरिकी फूड विभाग के अलावा, साल 2016 में, एफडीए (FDA) ने भी सरसों के तेल को लेकर चेतावनी जारी की थी। एफडीए ने अपनी चेतावनी में कहा था कि सरसों के तेल में ज्यादा मात्रा में मिलावट की जा रही है। इसकी वजह से सरसों के तेल में हाई इरुसिक एसिड (erucic acid) की मात्रा हो गई है। आइए आगे जानते हैं सरसों के तेल के नुकसान के बारे में।
1. जलन और सूजन- Irritation and Inflammation
सरसों के तेल में लिल आइसोथियोसाइनेट (allyl isothiocyanate) ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। यह काफी स्ट्रांग होता है। अगर इसका इस्तेमाल शरीर के अंगों पर किया जाए, तो इससे सूजन और जलन की समस्या हो सकती है। जिन लोगों की स्किन सेंसेटिव होती है, अगर वह सरसों के तेल का इस्तेमाल करें तो इसकी वजह से त्वचा पर खुजली की समस्या हो सकती है।
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2. राइनाइटिस एलर्जी- Rhinitis allergy
सरसों के तेल का ज्यादा सेवन करने से राइनाइटिस एलर्जी को ट्रिगर कर सकता है। इसकी वजह से खांसी, लगातार छींक आना और नाक से पानी टपकने जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा सरसों के तेल का ज्यादा इस्तेमाल श्लेष्म झिल्ली में सूजन का कारण बन सकता है।
3. फेफड़ों को पहुंचाता है नुकसान- Causes damage to the lungs
सरसों के तेल में पाया जाने वाला इरूसिक एसिड फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, सरसों के तेल में पाए जाने वाले तत्व रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करते हैं। जिसकी वजह से सांस लेने में परेशानी और फेफड़ों से संबंधित अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
4. हार्ट से संबंधित बीमारियों का खतरा
सरसों के तेल में मौजूद इरूसिक एसिड ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। इसका सीधा असर ब्लड प्रेशर पर पड़ता है। ज्यादा मात्रा में सरसों के तेल का सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है। जिसकी वजह से हार्ट प्रॉब्लम जैसे ही हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है।