
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने विजयादशमी के अवसर पर 100 साल पूरे किए. आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने वार्षिक विजयादशमी संबोधन में देश, राष्ट्र और समाज के विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखें. संघ की परंपरा और संविधान के अनुसार आरएसएस में मोहन भागवत प्रमुख हैं. वे आरएसएस के सर्वोच्च नेता हैं. उन्हें सभी स्वयंसेवक अपना ‘मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक’ मानते हैं.
आरएसएस ने अपने 100 सालों के कार्यकाल में अपने संस्थापक डॉ हेडगेवार से लेकर वर्तमान सरसंघचालक डॉ मोहनराव भागवत तक छह सरसंघचालकों का कार्यकाल देखा है, लेकिन संघ की मूल ताकत सरकार्यवाह में निहित होती है.
संघ की संरचना के अनुसार पद के अनुसार वे दूसरे नंबर पर हैं, लेकिन सभी कार्यकारी शक्तियां उनके पास होती हैं. संघ की योजना, प्लानिंग, उनके क्रियान्वयन से लेकर सभी कार्यों का नेतृत्व सरकार्यवाह करते हैं. वर्तमान में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले हैं. वह एक तरह से संघ के महासचिव हैं.
मनोनयन से होती रही है सरकार्यवाह की नियुक्ति
सरकार्यवाह का निर्वाचन तीन साल के लिए होता है. प्रत्येक तीन साल के बाद चुनाव होते हैं और चुनाव में कोई भी उम्मीदवार हो सकता है, लेकिन संघ के संगठन ऐसा है और पारिवारिक माहौल है कि सरकार्यवाह का निर्वाचन सर्वसम्मिति से होता रहा है और चुनाव की जगह अभी तक सभी सरकार्यवाह का मनोनयन होता है.
संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि अभी तक संघ में सरकार्यवाह के पद के लिए कभी भी चुनाव नहीं हुए हैं और भविष्य में भी नहीं होगा. जिस तरह से संघ के संस्थापक डॉ हेडगवार और गुरुजी ने संघ का संचालन किया था. उसी तरह से अभी भी संघ का संचालन हो रहा है.
कार्यकारी प्रमुख होते हैं सरकार्यवाह
संघ में सरकार्यवाह कार्यकारी प्रधान होते हैं. सभी कार्य उनके ही नेतृत्व में होता है. यहां तक सरसंघचालक के कार्यक्रम से लेकर उनके प्रवास सभी कार्यक्रम सरकार्यवाह के नेतृत्व में तय किया जाता है.
सरसंघचालक प्रवास के दौरान किन-किन लोगों के साथ बैठक करेंगे और तथा उनका भाषण क्या होगा? यह भी सरकार्यवाह और उनकी टीम द्वारा ही तय की जाती है.
इसके साथ ही संघ में सागंठनिक रूप से क्या निर्णय लिये जाएंगे या व्यवस्था अथवा प्लानिंग क्या होगी? संघ की नीति क्या होगी? संघ समाज, देश, दुनिया या अन्य विभिन्न पहलुओं पर क्या रणनीति अपनाएगा. इसका निर्धारण भी सरकार्यवाह के नेतृत्व में टीम द्वारा किया जाता है.
सरकार्यवाह के नेतृत्व में काम करता है संघ
संघ का प्रचार विभाग, प्रचारक और अन्य प्रांतों में हो रहे कार्यों के संबंध में दिशा-निर्देश भी सरसंघचालक की ओर से ही दिया जाता है और उनके नेतृत्व में ही काम होता है. इस तरह से नीति निर्धारण से लेकर प्लानिंग और क्रियान्वयन सभी सरकार्यवाह के नेतृत्व में ही किया जाता है.
सरकार्यवाह की सहायता के लिए कई सह-सरकार्यवाह होते हैं, जो सरकार्यवाह की मदद करते हैं. यह टीम ही विभिन्न सागंठनिक मामलों पर अंतिम निर्णय लेता है और सरकार्यवाह इसका नेतृत्व देते हैं.
हालांकि यह संघ पर लागू नहीं होता है, लेकिन यदि कार्यों से समझा जाए तो भारतीय संविधान के अनुसार देखा जाए तो सरसंघचालक राष्ट्रपति की मर्यादा में हैं, तो सरकार्यवाह प्रधानमंत्री की पद की मर्यादा का पालन करते हैं और उनकी तरह से प्रशासनिक कार्यों का नेतृत्व देते हैं.
जानें संघ के पद और उनके कामकाज
सरसंघचालक: वे आरएसएस के सर्वोच्च नेता हैं, जिन्हें सभी ‘मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक’ के रूप में मानते हैं. अपनी 100 वर्षों की यात्रा में आरएसएस ने अपने संस्थापक डॉ हेडगेवार से लेकर वर्तमान सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत तक छह सरसंघचालकों का कार्यकाल देखा है.
सरकार्यवाह: संघ में सरकार्यवाह को महासचिव कहा जा सकता है. वे संगठन के कार्यकारी प्रमुख होते हैं और संघ के कार्यों का संचालन करते हैं.
सह-सरकार्यवाह: संयुक्त महासचिव. ये एक से अधिक भी हो सकते हैं. वर्तमान में संघ के कार्यों के संचालन में सरकार्यवाह की सहायता के लिए कई सह-सरकार्यवाह हैं
प्रचारक: वह व्यक्ति जो संघ के उद्देश्य और उद्देश्य से प्रेरित होता है और इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए अपना पूरा समय समर्पित करता है, उसे आरएसएस की भाषा में प्रचारक कहा जाता है.
मुख्य-शिक्षक: शाखा का प्रभारी प्रमुख.
कार्यवाह: शाखा का कार्यकारी प्रमुख.