बच्चा जब गहरी नींद’ में हो”! तो 2 मिनट में करें ये खास काम, बिना डांट के सुधर जाएंगी नन्हे की आदतें!

बच्चा जब गहरी नींद’ में हो”! तो 2 मिनट में करें ये खास काम, बिना डांट के सुधर जाएंगी नन्हे की आदतें!

बच्चों की परवरिश में सही-गलत की समझाना किसी चुनौती से कम नहीं है। बच्चे अक्सर अपनी मम्मी-पापा की बातों को पूरी तरह समझ नहीं पाते हैं, और उन्हीं के सामने कई बार मनमानी या गलत आदतें भी कर बैठते हैं। ऐसे में पैरेंट्स के लिए एक नई टेक्निक ‘स्लीप टॉक थेरेपी’ एक उम्मीद की किरण साबित हो रही है।

स्लीप टॉक थेरेपी क्या है?

यह एक ऐसी पेरेंटिंग तकनीक है जिसमें बच्चे के गहरी नींद की अवस्था (alpha-theta state) के दौरान उनसे सकारात्मक बातें की जाती हैं। इस वक्त बच्चे का दिमाग सजग हो जाता है, लेकिन सवाल नहीं करता, जिससे उनकी अवचेतन मानसिकता (subconscious mind) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके जरिये बच्चों के व्यवहार और आदतों को धीरे-धीरे सुधारा जा सकता है।

बिना डांट या झगड़े के बच्चे में बदलाव

जैसे ही बच्चा सो जाता है, उसके दिमाग का चेतन मन सो जाता है, लेकिन अवचेतन मन जागरूक रहता है। यही हिस्सा बच्चे की आदतें और व्यवहार नियंत्रित करता है। जब पेरेंट्स गहरी नींद में बच्चे से प्यार भरी और पॉजिटिव बातें करते हैं, तो यह सीधे बच्चे के अवचेतन मन तक पहुंचती हैं और नई अच्छी आदतों को जन्म देती हैं। यह प्राकृतिक तरीका बिना डांट-फटकार के बच्चे की सोच बदलने का सुनहरा अवसर है।

थेरेपी कैसे करें?

सूरत के किरण हॉस्पिटल के पीडियाट्रिशियन डॉ. पवन मंदाविया के मुताबिक, स्लीप टॉक थेरेपी सरल और असरदार है। बच्चे के सोने के लगभग 1-2 घंटे बाद, जब वह गहरी नींद में हो, तो माता-पिता बच्चे के सिरहाने बैठकर उसका हाथ पकड़ें और प्यार भरे लहजे में उसकी तारीफ करें और सकारात्मक बातें कहें।

जैसे- ‘राहुल, मम्मी तुमसे बहुत प्यार करती है, तुम बहादुर हो, तुम्हें खुद पर पूरा भरोसा है और तुम कभी नहीं डरते’। इस तरह की बातों को कई बार दोहराएं। ध्यान रखें वाक्य वर्तमान काल में हों।

कौन से बच्चे सबसे ज्यादा लाभान्वित होते हैं?

स्लीप टॉक थेरेपी हर उम्र के बच्चों पर प्रभाव डालती है, लेकिन खासतौर पर 3 से 12 साल के बच्चों में यह ज्यादा असरदार होती है। यह तकनीक डरों, झिझक, गुस्से, झूठ बोलने, अंगूठा चूसने जैसी आदतों को दूर कर सकती है। साथ ही पढ़ाई से जुड़ी परेशानियां और तनाव भी कम कर सकती है।

एक्सपर्ट के विचार

पेरेंटिंग एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ये थेरेपी बच्चे को बिना डांट-फटकार सकारात्मक बदलाव की ओर ले जाती है, जिससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और उनके व्यवहार में सुधार होता है।

निष्कर्ष

स्लीप टॉक थेरेपी बच्चों के मानसिक विकास और बेहतर परवरिश का एक आसान, प्रभावी और कोमल तरीका है। माता-पिता को चाहिए कि वे इसे अपनी रोजाना की दिनचर्या में शामिल करें ताकि उनके बच्चे खुद को बेहतर समझें और अच्छे इंसान बन सकें।

(इस जानकारी का उद्देश्य जनसामान्य की जागरूकता बढ़ाना है। किसी भी गंभीर समस्या के लिए विशेषज्ञ से परामर्श लें।)