
इंडिया अमेरिक ट्रे़ड टॉक
जब से अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. तब से ही दोनों देशों के बीच कई राउंड की बातचीत हो चुकी है. अभी हाल में बीते हफ्ते छठे राउंड की बैठक भी हुई. लेकिन अब खबर सामने आ रही है कि अमेरिका भारत के साथ डील में रूस तेल खरीद का मुद्दा लाना चाह रहा है. जबकि, भारत ने उससे अतिरिक्त टैरिफ का हटान की मांग की है. डील पर पेंच फंसता हुआ दिखाई दे रहा है.
ईटी की रिपोर्ट के मुताबित, अमेरिका डील में भारत की ओर से रूस तेल खरीद को शामिल करना चाहता है, जो कि बिल्कुल अनयूजवल है. मामले से वाकिफ लोगों ने बताया कि अमेरिका ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीद को व्यापार समझौते की बातचीत में शामिल करने की कोशिश की है, जबकि दक्षिण एशियाई देश के रिफाइनर बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए आयात बढ़ा रहे हैं.
अमेरिका से ट्रेड टॉक
मंगलवार को अमेरिकी डेलिगेशन, जिसकी अगुआई असिस्टेंट ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ब्रेंडन लिंच ने की ने भारतीय अधिकारियों के साथ एक मीटिंग में कुछ जरूरी मुद्दों पर बात की. उन्होंने अपनी पहचान गुप्त रखने को कहा क्योंकि ये जानकारी पब्लिक नहीं है. ये डिमांड थोड़ी अजीब है, क्योंकि आमतौर पर किसी देश के तीसरे देश से रिश्ते बाइलेटरल ट्रेड टॉक्स का हिस्सा नहीं होते. भारत के कॉमर्स और इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने इस पर कोई कमेंट नहीं किया है. अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस ने भी कुछ बोलने से मना कर दिया.
इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी ऑफिशियल्स नई दिल्ली में एक दिन की बातचीत के लिए आए थे. ये मीटिंग इसलिए हुई क्योंकि दोनों देश प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद तनाव कम करने की कोशिश कर रहे हैं, जो एशिया में सबसे ज्यादा टैरिफ में से एक है.
भारत की डिमांड
सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार की मीटिंग में भारत ने रूस से एनर्जी खरीद पर लगे एक्स्ट्रा 25% टैक्स को हटाने की मांग की. इससे लगता है कि कोई आसान हल निकलना मुश्किल है. भारत सरकार ने इन एक्स्ट्रा टैक्स को अनफेयर, अनजस्ट और बेवजह बताया और रूसी तेल को एनर्जी सिक्योरिटी के लिए जरूरी कहा. ब्लूमबर्ग की शुक्रवार की रिपोर्ट के मुताबिक, मानसून के बाद फ्यूल डिमांड बढ़ने की वजह से भारत के रिफाइनर्स रूस से क्रूड ऑयल खरीदने पर रोक लगाने की कोई प्लानिंग नहीं कर रहे हैं और सरकार ने भी ऐसा कोई ऑर्डर नहीं दिया है. मंगलवार की मीटिंग के बाद दोनों देशों ने कहा कि बातचीत पॉजिटिव रही और ट्रेड डील के अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा हुई.
कहां अटकी है बात
पहले अमेरिका और भारत ने इस साल के अंत तक एक बाइलेटरल डील फाइनल करने का वादा किया था, लेकिन दोनों के अपने-अपने स्टैंड सख्त करने और ट्रंप के मॉस्को से रिश्तों को लेकर भारत पर प्रेशर डालने की वजह से बातचीत फेल हो गई. वॉशिंगटन भारत के डेयरी और एग्रीकल्चर सेक्टर्स में ज्यादा एक्सेस चाहता है, लेकिन नई दिल्ली इन्हें खोलने के लिए तैयार नहीं है.