
बढ़ता मोटापा महिलाओं में कई बीमारियों का कारण बनता है, इससे कैसे बचें
Image Credit source: Milatas/Getty Images
आज के समय में महिलाओं में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है. इसका मुख्य कारण खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान है. इसकी वजह से शरीर में अधिक कैलोरी जमा होने लगती है और मोटापा बढ़ने लगता है. कई बार महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाती हैं, जिससे उनका मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और शरीर में फैट तेजी से बढ़ने लगता है. ये कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है. हालांकि, मोटापा बढ़ने के पीछे कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हैं. आइए जानते हैं.
मोटापा सिर्फ अधिक खाने से नहीं बढ़ता, बल्कि इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं. जेनेटिक एक विशेष कारण है, अगर परिवार में पहले से किसी को मोटापे की समस्या रही है, तो अगली पीढ़ी में भी हो सकती है. इसके अलावा फिजिकल एक्टिविटी की कमी भी मोटापे को बढ़ावा देती है. कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट के रूप में भी वजन बढ़ सकता है, खासकर एंटीडिप्रेसेंट और हॉर्मोनल दवाएं. खराब खानपान की आदतें, जैसे अधिक जंक फूड, तली-भुनी चीजें और अधिक मीठा खाने से भी मोटापा बढ़ता है. महिलाओं में PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक सामान्य समस्या है, जिससे हॉर्मोन इम्बैलेंस हो जाते हैं और वजन बढ़ने लगता है. नींद की कमी और तनाव भी मोटापे का एक बड़ा कारण बन सकते हैं. ऐसे में आइए जानतें हैं, मोटापा बढ़ने से किन बीमारियों का रिस्क रहता है.
बढ़ता मोटापा और बीमारियों का खतरा
बढ़ता मोटापा कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है, जिससे हार्ट की बीमारियों का खतरा रहता है. डायबिटीज भी मोटापे से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. जब शरीर में अत्यधिक फैट जमा हो जाता है, तो इंसुलिन हाॅर्मोन ठीक तरह से काम नहीं करता और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल नहीं कर पाता. इसके कारण शुगर लेवल बढ़ जाता है. इसके अलावा मोटापे के कारण जोड़ों पर अधिक भार पड़ता है, जिससे गठिया और घुटनों में दर्द की समस्या हो सकती है.
महिलाओं में मोटापे के कारण हॉर्मोनल इम्बैलेंस हो सकता है, जिससे पीरियड्स इर्रेगुलर हो जाते हैं और प्रेगनेंसी में दिक्कतें आ सकती हैं. इससे थायरॉइड की समस्या भी हो सकती है. साथ ही, मोटापा कैंसर जैसी घातक बीमारियों का जोखिम भी बढ़ा सकता है, खासकर ब्रेस्ट और यूटेरस कैंसर. आइए जानें, इससे बचाव कैसे करें.
बचाव के तरीके
रोजाना कम से कम 30 मिनट फिजिकल एक्टिविटी करें.
अधिक फाइबर, प्रोटीन और कम फैट वाले फूड्स का सेवन करें.
रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें.
योग और मेडिटेशन करके तनाव कम करें.
दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं.
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