
विदेशी महिला ने पहाड़ी महिला को किया चैलेंज
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एक विदेशी पर्यटक, जेम्मा कोलेल्ल, उत्तराखंड के चमोली में एक ऐसे दृश्य से रूबरू हुई जिसने उनकी आंखें फटकर दी. सौंदर्य और ताकत का ऐसा अद्भुत मिश्रण कि देखना अपने आप में एक अनुभव बन गया. जेम्मा ने यह सब एक वीडियो में कैद किया और इंस्टाग्राम पर शेयरकिया. वीडियो वायरल हो गया लगभग दो लाख व्यूज से ज्यादा हो चुके हैं. जेम्मा ने अपनी पोस्ट में बताया कि वे बैंक, चमोली के एक गांव के पास घास काटने वाली दो महिलाओं से मिली थीं.
महिलाओं का काम था भैंसों के लिए घास इकट्ठी करना. जब वह एक बार वहां पहुंची, तो उन्होंने उन महिलाओं को काम में व्यस्त देखा. मगर, कुछ देर बाद लगभग एक घंटे गुजरने पर एक महिला जिसे जेम्मा ने प्यार से आंटी से कहा कि उनसे मजाकिया अंदाज में चुनौती दे दी कि जेम्मा भी एक घास का बंडल उठाएं. जेम्मा बोलती हैं कि उन्हें पहाड़ों में ट्रैकिंग करते समय 20-25 किलो तक सामान उठाने की आदत है, लेकिन जब उन्होंने वह घास का बंडल उठाया, तो पहाड़ की महिला का बंडल 40 किलो से ज्यादा भारी निकला. जेम्मा की सारी कोशिशों के बाद भी वह बंडल वहीं रहा, मगर आंटी ने उसे इतनी सहजता से उठाया कि जेम्मा हैरान रह गईं.
साफ दिखी ताकत, संतुलन और तकनीक
इस वीडियो में आंटी की ताकत, संतुलन और तकनीक साफ झलकती है. सालों से पहाड़ी जिंदगी में पली-बढ़ी महिला की वह सहजता कि जैसे हाथों-पैरों में कोई मिसाल हो. उन्होंने काम के बोझ को आसान कर लिया हो, जैसे कि वह कोई रोज की हल्की-सी जिम्मेदारी हो. जेम्मा ने इस अनुभव की तारीफ करते हुए लिखा कि विदेशियों बनाम पहाड़ी लोगों मुकाबला ही नहीं है! उन्होंने यह भी कहा कि पहाड़ी लोगों की जिंदगी ऐसे कामों से बनी है जो बाहर से देखने पर छोटे लगते हों, लेकिन उनमें धीरज, शक्ति और आत्म-विश्वास छिपा होता है.
सोशल मीडिया पर लोगों ने इस वीडियो के ज़रिए उन पहाड़ी महिलाओं के जुझारूपन और कामकाजी स्वाभाव की जमकर प्रशंसा की. एक यूज़र ने लिखा, मेरी माँ भी ऐसा करती थीं. आज भी वो दिन याद आते हैं. ऐसे दृश्य हमें याद दिलाते हैं कि पहाड़ी महिलाएं कितनी मजबूत और मेहनती होती हैं. उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में ये सब करना आसान नहीं होता. दूसरे यूजर ने कहा कि यह इनका रोज का काम है, और हम पहाड़ियों पर गर्व करते हैं. तीसरे ने लिखा कि महिलाएं हिमालयी घरों की असली रीढ़ हैं! जब पुरुष रोजी-रोजगार की तलाश में शहरों की ओर जाते हैं, ये महिलाएं बच्चों की परवरिश करती हैं, पशुओं की देखभाल करती हैं, खेत-बाड़ी में लगी रहती हैं.
यह कहानी सिर्फ एक चुनौती या एक वीडियो नहीं है. यह जिंदगी की सच्ची कहानी है उन पहाड़ी महिलाओं की, जिनके हाथों में हर दिन की जिंम्मेदारी होती है. जिनके कदमों में चलने की मजबूती, आंखों में धूप और बारिश सहे जाने की कहानी होती है. घास का एक बंडल, एक चुनौती, एक विदेशी की हैरानी इन सब में वह जिंदगी की सीधी-सादी सच्चाई झलकती है कि कैसे कठिनियां पहाड़ों की हवा और पानी की तरह होती हैं, जो दम भरने पर दिल को मजबूती देती हैं और शायद यही सबसे बड़ी सीख है कि असली ताकत सिर्फ़ मांसपेशियों में नहीं, बल्कि रोजमर्रा के उन कामों में होती है जिन्हें हम सामान्य समझ लेते हैं.
यहां देखिए वीडियो
जेम्मा की इस यात्रा ने हमें एक झलक दी है उन अनसुनी कहानियों की, जो हर दिन पहाड़ों में बुनती जाती हैं. अपनी मेहनत, हिम्मत और मुस्कान के साथ. उन आंटी जैसे लोगों की, जिन्हें हम कभी-कभी देखते हैं, कभी कुछ पल के लिए रुक जाते हैं, और जाते-जाते उनके चेहरे की चमक व उनकी आत्मा की गरिमा को याद कर जाते हैं, तो अगली बार जब आप पहाड़ की ओर जाएं, याद रखिए…वहां हर मुस्कराहट में, हर मुड़ पर काम में लगी एक पहाड़ी महिला की कहानी है. एक कहानी जिसमें आत्म-सम्मान, परिश्रम और सच्ची शक्ति की मिसाल है.