
साडूमा ना गरबाImage Credit source: Instagram/@awesome.amdavad
नवरात्र (Navratra 2025) के पावन त्योहार पर गरबा के अनेक रंग देखने को मिलते हैं, लेकिन गुजरात के अहमदाबाद की एक अनोखी रस्म ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है. यहां के साडू माता नी पोल (Sadu Mata Ni Pol) इलाके के पुरुष हर साल साड़ी पहनकर गरबा (Saree Garba Ritual) करते हैं. जाहिर है, सुनकर आप चौंक गए होंगे. लेकिन यह सिर्फ एक गरबा नृत्य नहीं, बल्कि 200 साल पुराने एक श्राप से मुक्ति पाने की कहानी है.
हाल ही में इसका एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया. @awesome.amdavad नामक अकाउंट से अपलोड हुई इस रील का टाइटल है, अमदावाद में साडू माता नी पोल में साड़ी गरबा अनुष्ठान. यह रस्म साडूमा ना गरबा (Sadu Ma Garba) नाम से जानी जाती है. यह बरोट समुदाय (Barot Community) के पुरुषों द्वारा हर साल नवरात्रि की आठवीं रात को निभाई जाती है.
क्या है यह 200 साल पुरानी परंपरा?
स्थानीय मान्यता के अनुसार, 200 साल पहले साडूबेन नामक एक महिला ने मुगल रईस से खुद को बचाने के लिए बरोट समुदाय के पुरुषों से मदद मांगी थी. जब पुरुषों ने उनकी रक्षा नहीं की, तो साडूबेन ने अपना बच्चा खो दिया. इससे क्रोधित और दुखी होकर साडूबेन ने पुरुषों को श्राप दे दिया कि उनकी आने वाली पीढ़ियां कायर होंगी. इसके बाद वह सती हो गईं. साडूबेन के इसी श्राप के प्रति प्रायश्चित और सम्मान व्यक्त करने के लिए बरोट समुदाय के मर्द हर साल साड़ी पहनकर गरबा करते हैं.
खबर लिखे जाने तक वायरल हुई रील को 30 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है, और 83 हजार से अधिक लोगों ने इसे लाइक किया है. कमेंट सेक्शन में नेटिजन्स पुरुषों के साहस और समर्पण की जमकर सराहना कर रहे हैं.
एक यूजर ने कमेंट किया, धन्य हैं वे लोग जिन्होंने परंपरा को बनाए रखा है. दूसरे यूजर ने कहा, ओ स्त्री कल आना टाइप वाइब दे रहा है. एक अन्य यूजर ने लिखा, देवी की भक्ति देवी रूप में.