
हिंदू धर्म में श्राद्ध पितरों की स्मृति और उनके आशीर्वाद हेतु किया जाने वाला महत्वपूर्ण कर्म है। मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज धरती पर अपने वंशजों का आशीर्वाद देने आते हैं, इसलिए इस समय उनका सम्मान और उचित स्थान पर चित्र स्थापना विशेष महत्व रखता है। वास्तु शास्त्र भी यह बताता है कि घर में पितरों की तस्वीर कहां लगानी चाहिए और किन स्थानों से बचना चाहिए।
वास्तु के अनुसार, पितरों की तस्वीर बेडरूम, रसोईघर और सीढ़ियों के नीचे नहीं लगानी चाहिए, क्योंकि ये स्थान अशुभ माने जाते हैं और यहां लगाने से पारिवारिक जीवन में परेशानी आ सकती है। इसके अलावा घर के बिल्कुल बीचों-बीच उनकी तस्वीर स्थापित करना भी उचित नहीं है, क्योंकि इससे घर के सदस्यों को मान-सम्मान में हानि का सामना करना पड़ सकता है।
सही स्थान की बात करें तो हॉल या मुख्य बैठक कक्ष की दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा की दीवार पितरों की तस्वीर के लिए शुभ मानी जाती है। साथ ही तस्वीर ऐसे स्थान पर न लगाएं जहां उस पर बार-बार घर के लोगों की निगाह जाए, क्योंकि इससे मन में अनचाही उदासी आ सकती है। वास्तु शास्त्र यह भी कहता है कि पितरों और जीवित व्यक्तियों की तस्वीरों को साथ या पास-पास न लगाएं, क्योंकि इसका नकारात्मक प्रभाव जीवन और आयु पर पड़ सकता है।
तस्वीर को लगाने से पहले उसके नीचे लकड़ी या किसी ठोस वस्तु का सहारा दें ताकि वह लटके या झूले नहीं। समय-समय पर तस्वीर की धूल और जाले साफ करें, ताकि उसका सम्मान बना रहे और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। पितरों की तस्वीर केवल उनकी स्मृति ही नहीं, बल्कि उनके आशीर्वाद का प्रतीक होती है, इसलिए इसे पूरे आदर और देखभाल के साथ रखना चाहिए और ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे उन्हें अनादर महसूस हो।