
बैकुंठ और स्वर्ग
मृत्यु के बाद स्वर्ग, नरक और बैकुंठ जाने के बारे में तो आपने सुना होगा. व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद उसके कर्मों के अनुसार ही उसे इन लोकों में से किसी एक लोक में भेजा जाता है. स्वर्ग और नरक में फर्क तो लोगों को पता होता है, लेकिन अक्सर लोग स्वर्ग और बैकुंठ लोक को एक समझ लेते हैं. हालांकि, बैकुंठ और स्वर्ग में बहुत अंतर होता है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि स्वर्ग और बैकुंठ में अंतर, इनका महत्व और इन दोनों लोकों में किसको बड़ा दर्जा प्राप्त है.
स्वर्ग और बैकुंठ में क्या अंतर है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्वर्ग एक अस्थायी स्थान है जहां पुण्य आत्माएं अच्छे कर्मों का फल भोगने जाती हैं, जबकि बैकुंठ एक आध्यात्मिक और शाश्वत धाम है जहां भगवान विष्णु के भक्त मोक्ष प्राप्त करते हैं. स्वर्ग में जन्म, मृत्यु और इच्छाएं होती हैं, जो भौतिक जगत से परे एक दिव्य लोक माना जाता है. जबकि, बैकुंठ इच्छाओं और जन्म-मृत्यु से पूरी तरह मुक्त होता है.
बैकुंठ जाने के बाद क्या होता है?
धार्मिक मान्यता है कि बैकुंठ धाम में जीवात्मा को जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म से मुक्ति मिल जाती है. इस स्थान को स्वर्ग से ऊपर बताया गया है और वैकुंठ के ऊपर कैलाश पर्वत होता है. बैकुंठ धाम में भगवान विष्णु अपनी पत्नी देवी लक्ष्मी, श्री देवी और भू देवी के साथ निवास करते हैं. इसके अलावा, लाखों सूर्य और ग्रह-नक्षत्र भी यहां मौजूद हैं. वहीं, भगवान विष्णु के पार्षद हमेशा इस धाम की देखरेख करते हैं.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)




