
सुप्रीम कोर्ट और गुरुवायुर श्रीकृष्ण मंदिर
केरल के प्रसिद्ध गुरुवायुर श्रीकृष्ण मंदिर में एकादशी के अवसर पर की जाने वाली उदयस्थमन पूजा पर छाए संकट के बादल हट गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि उदयस्थमन पूजा परंपरा के अनुसार ही 1 दिसंबर को आयोजित की जाएगी. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस पूजा में किसी भी तरह का बदलाव या हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.
गुरुवायुर एकादशी पर उदयस्थामना पूजा एक विशेष दिन भर चलने वाला अनुष्ठान है जो सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलता है और इसमें 18 पूजाओं, होम, अभिषेक और अन्य अनुष्ठानों की एक सतत श्रृंखला शामिल होती है. सुप्रीम कोर्ट जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने पाया कि यह अनुष्ठान 1972 से किया जा रहा है. एससी पक्षकारों से अपनी दलीलें पूरी करने को कहा और मामले की सुनवाई मार्च 2026 में निर्धारित की.
सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ना अनुचित
SC ने पिछले साल केरल के गुरुवायुर स्थित श्री कृष्ण मंदिर के देवस्वम प्रशासन को भीड़ प्रबंधन का हवाला देते हुए गुरुवायुर एकादशी पर सदियों पुरानी उदयस्थमन पूजा न करने के फैसले पर फटकार लगाई थी और आश्चर्य जताया था कि उसने ऐसा फैसला कैसे किया. कोर्ट ने कहा, सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ना अनुचित है. इसके बाद गुरुवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने 1 दिसंबर को परंपरा के अनुसार उदयस्थमन पूजा करने का आदेश दिया है.
1972 से निरंतर हो रही उदयस्थमन पूजा
बताया जाता है कि यह मामला पीसी हैरी और पुजारी अधिकार रखने वाले अन्य परिवारिक सदस्यों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान आया. इस मामले को लेकर याचिका दाखिल करने वाले लोगों का कहना है कि एकादशी मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है और उदयस्थमन पूजा 1972 से निरंतर की जा रही है. उनका दावा था कि यह परंपरा उससे भी पहले से चली आ रही है.
आदि शंकराचार्य ने की थी अनुष्ठानों की व्यवस्था
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आदि शंकराचार्य ने इन अनुष्ठानों की व्यवस्था की थी और इनसे किसी भी प्रकार का विचलन दैवीय शक्ति या चैतन्य को प्रभावित कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को मान्यता दी और साफ कहा कि परंपरागत पूजा पद्धति में बदलाव अस्वीकार्य है. बताया जा रहा है कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान देवस्वम प्रशासन के लोग भी मौजूद रहेऋ




