बिहार के वो 15 बाहुबली, जिन्होंने नीतीश कुमार को पहली बार बनाया मुख्यमंत्री!.

बिहार के वो 15 बाहुबली, जिन्होंने नीतीश कुमार को पहली बार बनाया मुख्यमंत्री!.

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अपने परवान पर है. हमेशा की तरह बिहार चुनाव में बाहुबलियों की की चर्चा हो रही है. हालांकि इस बार के चुनाव में कुछ बाहुबली खुद मैदान में हैं तो कुछ पत्नी पत्नी या किसी रिश्तेदार को चुनावी मैदान में उतारकर पर्दे के पीछे से राजनीतिक हैसियत दिखाने के प्रयास में हैं. ऐसे में आपको हम थोड़ा फ्लैशबैक में लिए चलते हैं. बात है 2000 की जब बिहार में हुआ विधानसभा चुनाव बाहुबलियों के लिए सबसे ज्यादा मुफीद रहा था.

साल 2000 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड भी इसी प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था. 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में बिहार के अलग अलग हिस्सों के अच्छे खासे बाहुबलियों ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी. जानने वाली बात यह है कि 2000 में जहां तमाम बाहुबलियों समेत 20 निर्दलीय चुनाव जीतकर विधायक बने थे. 2020 का चुनाव आते आते निर्दलीय प्रत्याशियों के जीतने का सिलसिला सिमटते हुए एक पर आ टिका. 2020 के चुनाव में चकाई विधानसभा सीट सुमित सिंह इकलौते निर्दलीय प्रत्याशी विधानसभा पहुंच पाए. 2025 में सुमित सिंह जेडीयू के टिकट पर मैदान में उतरे हैं.

2020 के बिहार चुनाव में जीते थे ये निर्दलीय
आदापुर : वीरेंद्र प्रसाद
गोबिंदगंज: राजन तिवारी
मांझी: रवीन्द्र नाथ मिश्रा
बनियापुर:मनोरंजन सिंह
जलालपुर : जनार्दन सिंह सीग्रीवाल
लालगंज: विजय शुक्ल
मीनापुर: दिनेश प्रसाद
हायाघाट : उमाधर पीडी सिंह
रुपौली : बीमा भारती
अररिया : बिजय कुमार मंडल
कदवा : हिमराज सिंह
चकाई : नरेंद्र सिंह
अस्थावां :रघुनाथ प्रसाद शर्मा
मोकामा : सूरज सिंह उर्फ सूरजभान सिंह
डुमरांव : ददन सिंह
घोसी:जगदीश शर्मा
वारसलीगंज: अरुणा देवी
हिसुआ :आदित्य सिंह
गोमिया : माधव लाल सिंह
बोकारो: समरेश सिंह

2020 के बिहार चुनाव में जीतने वाले ज्यादातर निर्दलीय विधायक बाहुबली थे. इसमें से राजन तिवारी, सूरज सिंह उर्फ सूरजभान सिंह समेत कई बाहुबली उस समय जेल में रहते हुए चुनाव जीत गए थे. उस समय बिहार विधानसभा की स्ट्रेंथ 324 विधायकों की थी. 2020 के चुनाव में समता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मिलकर चुनाव लड़ी थी. समता पार्टी को 34 सीटें आई. बीजेपी ने 67 सीटें जीती, 21 सीटें जनता दल (सेक्युलर) और जनता दल (यू) के उम्मीदवारों ने जीती थी. बाद में बीजेपी को छोड़कर इन तमाम दलों के आपस में विलय से जनता दल (यूनाइटेड) बनी. इस तरह NDA को कुल 122 सीटें मिली थीं. दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 124 सीटें जीती थीं. 324 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का नंबर 163 था और इस जादुई आंकड़ा को ना तो एनडीए गठबंधन और ना ही आरजेडी छू पाई थी।

उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली NDA सरकार थी। इस वजह से एनडीए ने पहले सरकार बनाने का दावा पेश किया. उस समय नीतीश कुमार समता पार्टी के नेता थे और केंद्र में कृषि मंत्री भी थे। अटल बिहारी वाजपेयी की सलाह पर तीन मार्च 2000 को नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई.

नीतीश कुमार की सरकार के लिए बहुमत का जुगाड़ करने का जिम्मा बिहार बीजेपी के संस्थापक सदस्य कैलाशपति मिश्र उर्फ ‘बिहार बीजेपी के भीष्म पितामह’ को सौंपी गई. खांटी भाजपाई और जमीनी नेता कैलाशपति मिश्र ने भी इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए सबसे पहले जीतकर आए 20 निर्दलीय विधायकों की ओर रुख किया. इसके लिए कैलाशपति मिश्र चुनाव जीतने वाले बाहुबलियों से मिलने जेल तक पहुंचे. बताया जाता है कि कैलाशपति मिश्र ने अथक प्रयास से 20 में से 15 निर्दलीय विधायकों को नीतीश कुमार को समर्थन देने के लिए राजी कर लिया था. 10 मार्च को नीतीश कुमार बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा में पहुंचे थे.

नीतीश कुमार जैसे ही विधानसभा में पहुंचे वहां देखा कि कई बाहुबली पहले से उनके चैंबर में पहुंचे हुए थे. वे सीधे जेल से विधानसभा में नीतीश कुमार को सपोर्ट करने पहुंचे थे. कई बाहुबलियों ने नीतीश कुमार के साथ अपनी तस्वीरें क्लिक करवा ली. अपने कक्ष में इतने सारे बाहुबली विधायकों को देखकर नीतीश कुमार थोड़े असहज हो गए. उधर, एक दूसरे बाहुबली नेता कांग्रेस और कुछ अन्य छोटे दलों के विधायकों को कैद में रखे हुए थे ताकि नीतीश कुमार बहुमत साबित नहीं कर पाएं. आखिरकार नीतीश कुमार ने बहुमत परीक्षण से पहले ही जोड़तोड़ करके सरकार चलाने से मना कर दिया और 10 मार्च 2000 को महज 7 दिनों के कार्यकला का द एंड कर दिया.

उसम समय सूरज सिंह उर्फ सूरजभान सिंह, मुन्ना शुक्ला के भाई विजय शुक्ला, राजन तिवारी, ददन पहलवान, नरेंद्र सिंह सरीखे बाहुबलियों ने ना केवल खुद नीतीश कुमार का सपोर्ट किया था, बल्कि अपने प्रभाव से दूसरे विधायकों को भी साथ लाने की भरसक कोशिश की थी.