
ढिल्लों फ्रेट कैरियर का आईपीओ (सांकेतिक तस्वीर) Image Credit source: google gemini
शेयर बाजार में आईपीओ के जरिए मोटी कमाई का सपना देख रहे निवेशकों को मंगलवार को एक बड़ा झटका लगा. लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन के कारोबार से जुड़ी कंपनी ‘ढिल्लों फ्रेट कैरियर’ के शेयर अपने आईपीओ प्राइस से करीब 20% के भारी नुकसान के साथ लिस्ट हुए, जिसने निवेशकों के उत्साह पर पूरी तरह पानी फेर दिया. आलम यह रहा कि लिस्टिंग के बाद भी बिकवाली का दबाव इतना बढ़ा कि शेयर पर लोअर सर्किट लग गया और निवेशकों का घाटा बढ़कर 24% तक पहुंच गया.
लिस्टिंग पर ही अरमान हुए चकनाचूर
मंगलवार की सुबह जब बीएसई के एसएमई प्लेटफॉर्म पर ढिल्लों फ्रेट कैरियर के शेयरों की घंटी बजी, तो यह निवेशकों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था. कंपनी ने अपने आईपीओ का इश्यू प्राइस 72 रुपये प्रति शेयर तय किया था, लेकिन बाजार में इसकी शुरुआत ही 57.6 रुपये के भाव पर हुई. यानी, जिन निवेशकों को शेयर अलॉट हुए थे, उन्हें खुलते ही प्रति शेयर 20% का सीधा नुकसान हो गया.
लिस्टिंग के इस सदमे से निवेशक उबर भी नहीं पाए थे कि बिकवाली की ऐसी होड़ मची कि शेयर कुछ ही देर में और 5% टूटकर 54.72 रुपये के अपने लोअर सर्किट पर आ गया. इसका मतलब यह हुआ कि आईपीओ में पैसा लगाने वालों की पूंजी महज कुछ ही घंटों में करीब 24 प्रतिशत तक घट गई. बाजार के जानकारों के लिए यह कोई हैरानी की बात नहीं थी, क्योंकि लिस्टिंग से पहले ग्रे मार्केट में भी इस शेयर को लेकर कोई उत्साह नहीं था और इसका प्रीमियम शून्य चल रहा था, जो एक कमजोर शुरुआत का स्पष्ट संकेत था.
छोटे निवेशकों ने दिखाया था भरोसा
ढिल्लों फ्रेट कैरियर के 10.08 करोड़ रुपये के इस छोटे आईपीओ को लेकर निवेशकों से कुल मिलाकर ठीक-ठाक प्रतिक्रिया मिली थी और यह 2.91 गुना सब्सक्राइब हुआ था. लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि इस आईपीओ पर सबसे ज्यादा भरोसा छोटे यानी रिटेल निवेशकों ने दिखाया था. रिटेल निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्से को 4.87 गुना तक बोलियां मिली थीं.
वहीं, दूसरी ओर बड़े और संस्थागत निवेशक (नॉन-इंस्टीट्यूशनल कैटेगरी) इस आईपीओ से लगभग दूर ही रहे और उनका हिस्सा पूरा सब्सक्राइब भी नहीं हो पाया. यह केवल 0.96 गुना ही भरा. इससे यह साफ जाहिर होता है कि बड़े और जानकार निवेशकों को कंपनी के मूल्यांकन या भविष्य को लेकर कुछ शंकाएं थीं, जबकि छोटे निवेशक अक्सर बाजार के उत्साह में निवेश कर देते हैं और आज उन्हें ही सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा.
क्या करती है कंपनी?
ढिल्लों फ्रेट कैरियर एक ट्रांसपोर्टेशन कंपनी है, जो मुख्य रूप से बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) और बिजनेस-टू-कंज्यूमर (B2C) ग्राहकों को माल ढुलाई की सेवाएं देती है. कंपनी की विशेषज्ञता लेस-दैन-ट्रक-लोड (LTL) पार्सल ट्रांसपोर्टेशन, कॉन्ट्रैक्ट लॉजिस्टिक्स और फ्लीट रेंटल जैसी सेवाओं में है. इसके प्रमुख ग्राहक कपड़ा, इलेक्ट्रिकल सामान, पेंट और फुटवियर जैसे उद्योगों से आते हैं.
फिलहाल कंपनी का कारोबार पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है, जिसके लिए उसके पास 62 वाहनों का अपना बेड़ा और 22 कार्यालयों का नेटवर्क है. कंपनी ने आईपीओ के जरिए जुटाए गए 10.08 करोड़ रुपये में से 7.67 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नए ट्रक और वाहन खरीदने, टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने और अपनी क्षमता का विस्तार करने के लिए करने की योजना बनाई थी. बाकी रकम का उपयोग कंपनी के दूसरे सामान्य खर्चों के लिए किया जाना था.
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