महा-युद्ध की दस्तक! रूस के 2 एयरबेस पर यूक्रेन का ‘सबसे बड़ा’ ड्रोन हमला, 40 फाइटर प्लेन तबाह! न्यूक्लियर पोर्ट पर भी अटैक का दावा! • ˌ

मॉस्कोः यूक्रेन ने रूस के 2 एयरबेस पर बड़ा ड्रोन हमला किया है। रूस के एक अधिकारी ने यूक्रेन के इस हमले की पुष्टि भी की है। इस हमले में कम से कम 3 लोगों के मारे जाने की आशंका है। हमले के स्थान पर भारी धुआं उठता दिखाई दे रहा है और लोगों के बीच अफरातफरी मची है।

यूक्रेनी मीडिया का दावा है कि इस दौरान रूस के 40 से ज्यादा विमानों को नष्ट कर दिया गया है।

रूस के इरकुत्स्क क्षेत्र के गवर्नर ने साइबेरिया में पहले ड्रोन हमले की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सैन्य इकाई को निशाना बनाया गया है। सेना और सिविल एक्शन फोर्स पहले से ही खतरे से निपटने के लिए जुटे हुए हैं। ड्रोन लॉन्च का अड्डा अवरुद्ध हो गया है।

40 से अधिक विमानों को नष्ट करने का दावा

द सन की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन ने रूस के दो प्रमुख एयरबेसों पर एक बड़े ड्रोन हमले का दावा किया है, जिसमें 40 से अधिक रूसी सैन्य विमानों को नष्ट करने का आरोप है। यूक्रेनी सुरक्षा सेवा (SBU) के एक अधिकारी के अनुसार, यह हमला रूस के ओलेन्या एयरबेस और बेलाया एयरबेस पर किया गया, जो क्रमशः रूस के टुपोलेव Tu-95 और Tu-22M3 बमवर्षकों का अड्डा है। इस हमले में नष्ट हुए फाइटर में A-50 AWACS विमान भी शामिल हैं।

रूस के न्यूक्लियर सब-मरीन पोर्ट पर भी बड़ा हमला

इस बीच सूचना आ रही है कि यूक्रेन ने रूस के न्यूक्लियर सब-मरीन पोर्ट पर भी बड़ा हमला किया है। रूस के सेवेरोमोर्स्क में विस्फोट और धुआं निकलने की सूचना मिली है, जो कि परमाणु-सशस्त्र पनडुब्बियों का भंडारण पोर्ट है। यह बैरेंट्स सागर के पास कोला खाड़ी में रूसी उत्तरी बेड़े का मुख्य अड्डा है। यहाँ रूस की दो-तिहाई परमाणु-संचालित पनडुब्बियाँ हैं, जिनमें यासेन, ऑस्कर II, सिएरा II और विशेष-उद्देश्य वाली पनडुब्बियाँ शामिल हैं।

रूस के बेस के पास एक ट्रक कंटेनर से यूक्रेन ने की ड्रोन अटैक की लांचिंग

विदेशी मीडिया में यह दावा किया जा रहा है कि यूक्रेन ने इस बड़े ड्रोन हमले की लांचिंग रूसी बेस के पास एक ट्रक कंटेनर से ही कर दिया। विदेशी मीडिया में इसका एक वीडियो भी दिखाया जा रहा है, जहां एक कंटेनर से ड्रोन की लांचिंग होते देखा जा सकता है। रूस की सुरक्षा के लिए यह चूक बहुत बड़ी है।

ईरान ऑब्जर्वर के एक वीडियो में ध्वस्त होते दिख रहे विमान

ईरान ऑब्जर्वर ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें एक एयरबेस पर खड़े रूसी विमानों को ध्वस्त होते दिखाया गया है। यूक्रेन की ओर से रूस पर इसे अब तक का सबसे बड़ा और घातक ड्रोन हमला माना जा रहा है। यूक्रेन ने यह हमला ऐसे वक्त में किया है, जब अभी एक दिन पहले ही रूस ने 50 हजार सैनिकों की सीमा पार तैनाती करके कीव पर बड़े जमीनी हमले का प्लान तैयार किया था।

यूक्रेनी मीडिया ने नाम दिया “ऑपरेशन वेब”

हमले के वीडियो में विमानों को आग की लपटों में घिरा हुआ दिखाया गया है। कई चश्मदीदों ने यूक्रेनी UAVs की तरंगों द्वारा विस्फोटों की पुष्टि की है। यूक्रेनी मीडिया ने इस ऑपरेशन को “वेब” नाम दिया है, जिसका उद्देश्य रूसी फोर्स को निरस्त्र करना है। हालांकि, रूस ने इस हमले की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन यह हमला रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

रूसी सेना को गंभीर नुकसान का दावा

यह हमला यूक्रेन द्वारा रूस के अंदर गहराई तक किए गए ड्रोन हमलों की एक श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें पहले भी रूस के अन्य एयरबेसों पर हमले किए गए हैं। इस हमले से रूस की सैन्य क्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचने का दावा किया गया है। यह ड्रोन हमला यूक्रेन की नई सैन्य रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत कब हुई?

दोनों देशों के बीच युद्ध का आगाज 24 फरवरी 2022 को हुआ। जब रूस ने यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर सैन्य आक्रमण किया। यह हमला अचानक नहीं था, बल्कि 2014 में शुरू हुए संघर्ष का ही परिणाम था, जब रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप को अपने कब्जे में ले लिया था।

राष्ट्रपति पुतिन ने बुलाई आपातकालीन बैठक, यूक्रेन पर हो सकता है जवाबी हमला

यूक्रेन द्वारा इरकुत्स्क ओब्लास्ट में बेलाया एयरबेस पर बड़े पैमाने पर आत्मघाती ड्रोन हमला किए जाने के बाद रूस और यूक्रेन के बीच बड़े पैमाने पर तनाव बढ़ने की आशंका है, जिसमें कई टीयू-95 रूसी बमवर्षक विमानों को निशाना बनाया गया है। इस हमले के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन द्वारा आपातकालीन सुरक्षा बैठक बुलाए जाने की खबर है। इसके बाद यूक्रेन पर बड़ी जवाबी कार्रवाई हो सकती है।

झगड़े की असली वजह क्या है?

रूस-यूक्रेन के बीच झगड़े की सबसे बड़ी वजह क्रीमिया का विवाद है। वर्ष 2014 में रूस ने यूक्रेन से क्रीमिया क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अवैध माना। इसके बाद डोनबास क्षेत्र (डोनेट्स्क और लुहान्स्क) में रूस समर्थित विद्रोह शुरू हुआ।
रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो (NATO) जैसी पश्चिमी सैन्य गठबंधन का हिस्सा बने, क्योंकि इससे रूस को अपनी सीमाओं पर खतरा महसूस होता है। बावजूद यूक्रेन यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ नजदीकी बढ़ा रहा था, जो रूस को असहज करता रहा। रूस मानता है कि यूक्रेन उसका “ऐतिहासिक हिस्सा” है और वहां “रूसी भाषी” लोगों की रक्षा के नाम पर उसने कार्रवाई की।