
डिजिटल कॉम्बैट प्रिंट वर्दी जवानों को दुश्मनों की नजर से बचाएगी
भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान अब एक ऐसी अत्याधुनिक वर्दी में नजर आएंगे, जो न केवल उन्हें दुश्मनों की नजरों से बचाएगी, बल्कि कठिन परिस्थितियों में भी आराम और कार्यक्षमता प्रदान करेगी. यह है डिजिटल प्रिंट कांबैट वर्दी, जिसे डिजिटल प्रिंटिंग तकनीक के माध्यम से तैयार किया गया है. यह वर्दी मरुस्थल, जंगल, झाड़ियों और पहाड़ों जैसे विविध भौगोलिक परिवेश में जवानों को बेहतर छद्म आवरण (कैमोफ्लाज) प्रदान करेगी, जिससे वे अपने आसपास के माहौल में पूरी तरह घुलमिल सकेंगे.
वर्दी की विशेषताएं: रंग और कपड़े का अनूठा मिश्रण
डिजिटल प्रिंट कांबैट वर्दी में जैतून, मिट्टी, खाकी, हरे और भूरे रंगों का संतुलित मिश्रण है, जो इसे विभिन्न परिस्थितियों में छिपने के लिए आदर्श बनाता है. इस वर्दी में 50 प्रतिशत खाकी, 45 प्रतिशत हरा और 5 प्रतिशत भूरा रंग शामिल है, जो प्राकृतिक परिवेश के साथ सामंजस्य स्थापित करता है. कपड़े का निर्माण भी विशेष रूप से डिजाइन किया गया है, जिसमें 80 प्रतिशत काटन, 19 प्रतिशत पॉलिएस्टर और 1 प्रतिशत स्पैंडेक्स का उपयोग किया गया है. यह मिश्रण वर्दी को न केवल टिकाऊ और लचीला बनाता है, बल्कि इसे पहनने में भी आरामदायक बनाता है.
इस वर्दी का डिजाइन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआईएफटी) द्वारा तैयार किया गया है, जिसे भारतीय सेना की मंजूरी भी प्राप्त हो चुकी है. डिजिटल प्रिंटिंग तकनीक के कारण कपड़े में ही प्राकृतिक परिवेश के अनुरूप पैटर्न समाहित हैं, जो जवानों को जंगल, पहाड़, रेगिस्तान या झाड़ियों में छिपने में मदद करते हैं. यह वर्दी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों की तपती गर्मी से लेकर बंगाल की उमस भरी जलवायु तक, हर मौसम में जवानों के लिए उपयुक्त है.
छद्म आवरण और कार्यक्षमता का बेहतरीन संयोजन
डिजिटल प्रिंट कांबैट वर्दी का सबसे बड़ा लाभ इसका छद्म आवरण (कैमोफ्लाज) है. यह वर्दी जवानों को युद्ध, गश्त या विशेष अभियानों के दौरान दुश्मनों की नजरों से बचाने में सक्षम है. परंपरागत जैतून रंग की वर्दी की तुलना में यह नया डिजाइन अधिक प्रभावी और आधुनिक है. इसके डिजिटल पैटर्न विभिन्न भौगोलिक और प्राकृतिक परिस्थितियों में जवानों को बेहतर सुरक्षा और छिपने की क्षमता प्रदान करते हैं.
ट्रूप कंफर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) के सीएमडी सुनील दाते ने बताया कि इस वर्दी को सेना की सहमति के बाद तैयार किया गया है. उन्होंने कहा, हमने परंपरागत जैतून रंग की वर्दी को नए डिजिटल पैटर्न से बदल दिया है, जो न केवल देखने में आकर्षक है, बल्कि कार्यक्षमता के मामले में भी बेहतर है. यह वर्दी सैन्य बलों को कठिन परिस्थितियों में भी आराम और सुरक्षा प्रदान करेगी.
उत्पादन और आपूर्ति की प्रक्रिया
रक्षा मंत्रालय ने इस नई वर्दी की आपूर्ति की जिम्मेदारी टीसीएल, कानपुर को सौंपी है. टीसीएल के अंतर्गत दो आयुध निर्माणियों- अवाडी (तमिलनाडु) और शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश)- में इस वर्दी का उत्पादन जोर-शोर से चल रहा है. टीसीएल के निदेशक (ऑपरेशन) राजीव शर्मा ने बताया कि कुल 6.80 लाख वर्दी सेट तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें जैकेट, ट्राउजर और कैप शामिल हैं. इनमें से 3.80 लाख सेट अवाडी में और 3 लाख सेट शाहजहांपुर में बनाए जा रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा, हमारा लक्ष्य मार्च 2026 तक भारतीय सेना और अन्य सशस्त्र बलों को इन वर्दियों की आपूर्ति पूरी करना है. यह वर्दी न केवल जवानों की कार्यक्षमता बढ़ाएगी, बल्कि उनकी सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी.
भारतीय सेना के लिए एक क्रांतिकारी कदम
यह नई वर्दी भारतीय सेना के लिए एक क्रांतिकारी कदम है. यह न केवल सैन्य बलों की कार्यक्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि उनकी सुरक्षा और आराम को भी सुनिश्चित करेगी. डिजिटल प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग न केवल वर्दी को आधुनिक बनाता है, बल्कि इसे वैश्विक मानकों के अनुरूप भी लाता है. यह वर्दी न केवल भारतीय सेना, बल्कि सीमा सुरक्षा बल और अन्य सशस्त्र बलों के लिए भी उपलब्ध होगी, जिससे उनकी परिचालन क्षमता में और सुधार होगा.
विशेषज्ञों की भी पसंद है ऐसी वर्दी
डिजिटल प्रिंट कांबैट वर्दी भारतीय सैन्य बलों के लिए एक नई शुरुआत है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह न केवल जवानों को दुश्मनों से बचाने में मदद करेगी, बल्कि उनकी कार्यक्षमता और आराम को भी बढ़ाएगी. रक्षा मंत्रालय और टीसीएल के इस संयुक्त प्रयास से भारतीय सेना को एक ऐसी वर्दी मिलेगी, जो आधुनिक तकनीक और परंपरागत डिजाइन का बेहतरीन मिश्रण है. जैसे-जैसे मार्च 2026 की समय सीमा नजदीक आएगी, देशवासी अपने जवानों को इस नई और आधुनिक वर्दी में देखने के लिए उत्साहित हैं. यह वर्दी न केवल सैन्य बलों की ताकत को बढ़ाएगी, बल्कि देश की सीमाओं की सुरक्षा को और मजबूत करेगी.