क्या आपने कभी सोचा है कि कोई आम नागरिक बिना किसी राजनीतिक ताकत या हथियारों के खुद को किसी देश का राजा घोषित कर दे? ये कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि बिल्कुल सच है। इंदौर के रहने वाले सुयश दीक्षित ने ऐसा ही अनोखा और साहसिक कदम उठाया है।
उन्होंने खुद को एक देश का राजा घोषित कर दिया है और उस देश का नाम रखा है – ‘किंगडम ऑफ दीक्षित’।
यह कहानी जितनी अविश्वसनीय लगती है, उतनी ही दिलचस्प भी है। सुयश दीक्षित का दावा है कि उन्होंने अफ्रीका में मिस्र (Egypt) और सूडान (Sudan) की सीमा के बीच स्थित एक ‘नो-मैन्स लैंड’ पर अपना झंडा फहराया और उस ज़मीन को अपना देश घोषित कर दिया।
कैसे खोजा गया यह “राज्य”?
दरअसल, मिस्र और सूडान के बीच एक इलाका है जिसे बिर तवील (Bir Tawil) कहा जाता है। यह क्षेत्र लगभग 800 वर्ग मील (करीब 2,000 वर्ग किलोमीटर) में फैला है और खास बात ये है कि इस पर किसी भी देश का अधिकार नहीं है।
यह इलाका भू-राजनीतिक उलझनों के चलते दशकों से मिस्र और सूडान के बीच विवादित रहा है। दोनों ही देश इसे अपने क्षेत्र का हिस्सा मानने को तैयार नहीं हैं, जिससे यह इलाका कानूनी रूप से किसी देश की सीमा में नहीं आता।
सुयश दीक्षित का दावा क्या है?
सुयश ने 2017 में एक फेसबुक पोस्ट के ज़रिए ऐलान किया कि उन्होंने इस जमीन पर 319 किलोमीटर की यात्रा तय कर वहां पहुंचने के बाद बीज बोया, उसे पानी दिया, और इस क्रिया को भूमि पर अधिकार जताने का माध्यम बताया।
उन्होंने लिखा:
“मैंने इस जमीन पर अपना झंडा फहराया, पौधा लगाया और घोषणा करता हूं कि यह भूमि अब ‘किंगडम ऑफ दीक्षित’ है। मैं इसका राजा हूं और मेरे पिता इस देश के राष्ट्रपति हैं।”
इस घोषणा के साथ उन्होंने https://kingdomofdixit.gov.best/ नामक वेबसाइट भी लॉन्च की, जहां लोग इस नए देश की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। वेबसाइट पर इस ‘देश’ का झंडा, प्रतीक चिह्न और संविधान जैसी चीजें भी उपलब्ध हैं।
क्यों खास है ‘बिर तवील’?
- यह इलाका प्राकृतिक रूप से रेगिस्तानी है और वहां किसी प्रकार की आबादी नहीं है।
- राजनीतिक रूप से विवादित होने के कारण इसे अब तक किसी देश ने आधिकारिक रूप से अपने क्षेत्र में नहीं जोड़ा है।
- यह दुनिया के कुछ गिने-चुने इलाकों में से है जो कानूनी रूप से ‘टेरा नुलियस’ यानी ‘किसी की भूमि नहीं’ (No Man’s Land) की श्रेणी में आता है।
क्या सुयश का दावा वैध है?
कानून के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति का बिना अंतरराष्ट्रीय मान्यता और किसी वैध प्रक्रिया के भूमि पर अधिकार जताना वैधानिक नहीं माना जाता। कोई भी व्यक्ति केवल झंडा गाड़कर या घोषणा करके उस जमीन को अपनी संप्रभुता में नहीं ले सकता।
संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा किसी भी नये देश को मान्यता देने के लिए कई कानूनी प्रक्रियाएं होती हैं, जैसे:
- स्थायी आबादी
- परिभाषित सीमा
- सरकार
- अन्य देशों के साथ संबंध बनाने की क्षमता
फ़िलहाल, ‘किंगडम ऑफ दीक्षित’ इनमें से किसी भी शर्त को पूरी नहीं करता।
लोगों की प्रतिक्रिया
सुयश की यह अनोखी पहल सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई। कुछ लोगों ने इसे एक साहसिक और रचनात्मक प्रयोग बताया तो कुछ ने इसे एक शरारती प्रचार अभियान करार दिया।
ट्विटर, फेसबुक और रेडिट जैसे प्लेटफॉर्म्स पर हज़ारों लोगों ने इसे शेयर किया और बहुत से लोगों ने तो मज़ाक में ही सही, नागरिकता के लिए आवेदन भी कर डाला।
निष्कर्ष
हालांकि ‘किंगडम ऑफ दीक्षित’ को आज की तारीख में कोई वैधानिक मान्यता नहीं मिली है, लेकिन सुयश दीक्षित की यह पहल हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि दुनिया में अभी भी कुछ भूभाग ऐसे हैं जो राजनीतिक नक्शों से बाहर हैं।
यह कहानी न केवल एक साहसी युवक की कल्पनाशीलता और जुनून का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद से कोई भी व्यक्ति अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित कर सकता है।
शायद यह एक मज़ाक लगे, लेकिन यह दुनिया को यह ज़रूर दिखाता है कि सपने देखने की कोई सीमा नहीं होती – चाहे वो एक देश बनाने का सपना ही क्यों न हो!