
जगदलपुर: कहा जाता है कि “जाको राखे साइयां मार सके ना कोय”… और यह कहावत उस वक्त बिल्कुल सटीक बैठती है, जब डॉक्टरों की मेहनत, दवा और दुआ मिलकर किसी की जिदगी बचा ले. ऐसा ही एक चमत्कारिक मामला बस्तर संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल जगदलपुर से सामने आया है. यहां डॉक्टरों की एक टीम ने 97 घंटे तक अथक प्रयास कर एक 11 माह की मासूम बच्ची को नया जीवनदान दिया.
घटना बीजापुर जिले के मड्डेड इलाके की है. 17 जून को तोयनार गांव की रहने वाली 11 माह की अल्पना अपने घर में सो रही थी. तभी उसे एक जहरीले करैत सांप ने डस लिया. बच्ची की हालत गंभीर हो गई. वह बेहोश हो गई. घबराए माता-पिता उसे तुरंत बीजापुर जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. लेकिन, हालत की गंभीरता को देखते हुए बच्ची को तत्काल जगदलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया.
97 घंटे तक वेंटिलेटर पर रही…
जैसे ही अल्पना मेडिकल कॉलेज पहुंची, अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनुरूप साहू के निर्देशन में डॉक्टरों की एक 9 सदस्यीय टीम ने बिना समय गंवाए इलाज शुरू कर दिया. बच्ची को तुरंत एंटी-स्नेक वेनम इंजेक्शन दिया गया. उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया. अगले 97 घंटे यानी लगभग 4 दिन तक बच्ची को वेंटिलेटर पर रखकर लगातार निगरानी में रखा गया. डॉक्टरों के अथक प्रयास और नर्सिंग स्टाफ की लगातार देखरेख के बाद अंततः अल्पना की हालत में सुधार आया और वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गई. बच्ची के स्वस्थ होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने उसे उसके माता-पिता को सौंप दिया. इस सफलता पर मेडिकल कॉलेज में खुशी की लहर दौड़ गई.
बेहद संवेदनशील था ये मामला
डॉ. अनुरूप साहू ने बताया कि यह मामला बेहद संवेदनशील था, क्योंकि करैत सांप का जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है, जो सीधे मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. लेकिन, समय पर इलाज और टीम वर्क ने इस बच्ची की जान बचा ली.