
पैदल मार्च करती स्कूली छात्राएं.
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अरुणाचल प्रदेश के पक्के केसांग जिले में हाल ही में हुई एक घटना की चर्चा देश भर में हो रही है. जिले के एक स्कूल में शिक्षकों की कमी होने से बाधित हो रही पढ़ाई के लिए छात्राओं ने 65 किलोमीटर लंबा विरोध मार्च निकाला था. अब इस मामले में राज्य महिला वेलफेयर सोसाइटी ने बड़ी मांग कर दी है. सोसाइटी ने पूरे मामले की जांच कर शिक्षकों की कमी के संबंध में कार्रवाई करने की मांग की है. आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है.
अरुणाचल प्रदेश महिला वेलफेयर सोसाइटी (APWWS) ने 18 सितंबर को पक्के केसांग जिले में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं द्वारा शिक्षकों की कमी के लिए निकाले गए विरोध मार्च पर चिंता व्यक्त की है. एक बयान में कहा गया कि यह स्थिति लड़कियों की शिक्षा के लिए एक गंभीर झटका है. APWWS ने अरुणाचल प्रदेश राज्य आयोग से आग्रह किया है कि वह एक स्वतंत्र तथ्य-खोज समिति का गठन करें और पूरे मामले की जांच करें, जिसके कारण छात्राओं को विरोध प्रदर्श करना पड़ा.
क्या है पूरा मामला
राज्य के पक्के केसांग जिले में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यायाला (KGBV) की करीब 90 छात्राओं ने हाल ही में न्यांगनो गांव से मार्च की शुरुआत की और रात गुजरते हुए और सुबह लेमी में जिला मुख्यालय पहुंची. कक्षा 11वीं और 12वीं की छात्राओं के नेतृत्व में स्कूल की छात्राओं ने भूगोल और राजनीति विज्ञान शिक्षकों की तत्काल पोस्टिंग की मांग की. छात्राओं ने एक पोस्टर भी बनाया था, जिसमें लिखा था कि ‘एक शिक्षक के बिना एक स्कूल (है) सिर्फ एक इमारत है’. उन्होंने अपनी मांग को दबाने के लिए नारे भी लगाएं.
क्या कहा छात्राओं ने?
छात्राओं ने कहा कि शिक्षकों की कमी के लिए उनकी बार -बार दलीलों को स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा गंभीर नहीं लिया गया. अधिकारियों ने कहा कि छात्राओं ने हॉस्टल वार्डन या स्कूल अधिकारियों को मार्च के बारे में सूचित नहीं किया था. स्कूल की हेडमिस्ट्रेस ने स्वीकार किया कि भूगोल और राजनीति विज्ञान के शिक्षकों की कमी है, लेकिन इसके शेष विषयों के लिए पर्याप्त ट्यूटर हैं. उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम पहले ही अर्ध-वार्षिक परीक्षाओं के लिए पूरा हो चुके हैं.
APWWS की क्या है मांग?
APWWS ने कहा कि आधिकारिक पैनल को उन जमीनी वास्तविकताओं की जांच करनी चाहिए, जिन्होंने विरोध को ट्रिगर किया और छात्राओं की शिकायतों को दूर करने के उपायों की सिफारिश की. सोसाइटी ने राज्य के शिक्षा विभाग को जल्दबाजी में दंडात्मक उपायों जैसे कि हेडमिस्ट्रेस और वार्डन को निलंबित करने के लिए आगाह किया और चेतावनी दी कि इस तरह के कदम स्कूल में भय और तनाव पैदा कर सकते हैं. APWWS ने विभाग से रिक्तियों को भरने, उचित स्टाफिंग सुनिश्चित करने और पारदर्शी शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना करने की प्राथमिकता देने की अपील की है.
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