Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari Review: वरुण धवन-जान्हवी कपूर का ‘फेस्टिवल धमाका’, जानें कैसी है ये फिल्म

Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari Review: वरुण धवन-जान्हवी कपूर का 'फेस्टिवल धमाका', जानें कैसी है ये फिल्म

थिएटर में रिलीज हो चुकी है ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’Image Credit source: सोशल मीडिया

Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari Hindi Review:‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ (SSKTK) थिएटर में रिलीज हो चुकी है. नाम सुनकर तो लगा था कि करण जौहर के ‘धर्मा प्रोडक्शन’ की ये फिल्म नए पैकेज में लिपटी हुई वही टिपिकल घिसीपिटी कहानी होगी. लेकिन नहीं! वरुण धवन और जान्हवी कपूर की ये फिल्म फेस्टिवल का माहौल पूरी तरह से सेट कर देती है, क्योंकि इस फिल्म में रंग भी हैं, शोर भी है, हंसी-ठिठोली भी है और दिल को छू जाने वाली बात भी है.

‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ अक्षय कुमार की ‘हाउसफुल’ की तरह दिमाग साइड में रखकर दो-ढाई घंटे का टाइमपास करने वाली फिल्म नहीं है, बल्कि इसे देखकर आप पेट पकड़कर हंसते भी हैं, कुछ सीन आपकी आंखें नम भी कर जाते हैं. लेकिन आखिर में आप एक प्यारी सी मुस्कान के साथ थिएटर से बाहर आते हैं. वरुण-जान्हवी की ये फिल्म ड्रामा-कॉमेडी की बढ़िया खिचड़ी है. लेकिन ये खिचड़ी पकी कैसे? इसमें इश्क का कौन सा तड़का लगा है? जानने के लिए, पूरा रिव्यू जरूर पढ़ें.

कहानी

‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ की कहानी शुरू होती है सनी (वरुण धवन) से. ये लड़का है तो बड़े संस्कारी परिवार से, लेकिन दिल के मामले में बंदा बड़ा ही फिल्मी है. सनी को उसकी बचपन की दोस्त अनन्या (सान्या मल्होत्रा) से भयंकर वाला इश्क हो जाता है. सनी अपने दिल की बात अनन्या के सामने भी रखता है, लेकिन कहानी में आता है ट्विस्ट. अनन्या अपने माता-पिता की पसंद के लड़के विक्रम (रोहित सराफ) से शादी करने का फैसला करती है. विक्रम सीधा-साधा, अमीर और “राइट चॉइस” वाला लड़का है.

अनन्या के इस फैसले से सनी का तो दिल चूर-चूर हो जाता है. पर ये लड़का भी हार मानने वाला नहीं है. दिल टूटने पर उसका दिमाग और जोरों से चल पड़ता है. वो ढूंढता है तुलसी (जान्हवी कपूर) को, जो इत्तेफाक से विक्रम की पुरानी गर्लफ्रेंड (एक्स-गर्लफ़्रेंड) है और तुलसी के दिल में अभी भी विक्रम को लेकर थोड़ी-सी आग है. दोनों मिलकर अपने प्यार को हासिल करने का प्लान बनाते हैं. अब क्या सनी अपने असली प्यार को हासिल कर पाएगा? या किस्मत उसे किसी और रास्ते पर ले जाएगी? इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर फिल्म देखनी पड़ेगी. पर इतना बता सकते हैं कि ये सनी और तुलसी की ये रोलर-कोस्टर राइड आपको एक पल भी बोर नहीं होने देगी.

जानें कैसी है फिल्म

सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी एक ऐसा पैकेज हैं, जिसमें रोमांस, कॉमेडी और ड्रामा सब कुछ है. यही वजह है कि ये फिल्म हर उम्र के दर्शकों को खुश कर सकती है. फिल्म का स्क्रीनप्ले इसकी सबसे बड़ी ताकत है. ज्यादातर समय तो ये कहानी इतनी तेज रफ़्तार से आगे भागती है कि आपको पलक झपकाने का मौका भी नहीं मिलता.

फिल्म की सबसे अहम बात ये है कि इस में हंसी-मजाक तो है, लेकिन वो फूहड़ या चीप नहीं है. फिल्म में नजर आने वाली कॉमेडी एकदम फैमिली-फ़्रेंडली है. फिल्म का पहला हाफ तो एकदम शानदार है, जिसमें वरुण धवन की कॉमिक टाइमिंग लाजवाब है. हां, दूसरे हाफ में कहानी थोड़ी प्रेडिक्टेबल हो जाती है. लेकिन फिल्म का प्री-क्लाइमेक्स और क्लाइमेक्स हमारी सारी शिकायतें दूर कर देता है.

‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ में सिर्फ हल्की-फुल्की कॉमेडी नहीं है. ये कहानी मॉडर्न रिश्तों की उलझन, परिवार के मूल्य (वैल्यू) और महिलाओं की आजादी जैसे कई विषयों पर बिना बोर किए बात करती है. और हां, बॉलीवुड लवर्स के लिए इसमें ढेर सारी नॉस्टैल्जिया है. फिल्म में ‘बाहुबली’ से लेकर ‘कभी खुशी कभी गम’ और शाहरुख खान से सलमान खान तक के मजेदार रेफरेंस दिए गए हैं.

डायरेक्शन और तकनीकी डिटेल्स

निर्देशक शशांक खेतान ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उन्हें हिट पारिवारिक मनोरंजन (फैमिली एंटरटेनर) फिल्में बनाने का सीक्रेट फॉर्मूला पता है. उनका ट्रीटमेंट फिल्म को विजुअली अपीलिंग बनाता है. फिल्म के मजेदार डायलॉग्स हमें हमारी कुर्सी से हिलने नहीं देते. शशांक ने एक अच्छी बात ये की है कि उन्होंने अपनी फिल्म को साफ-सुथरा रखा है. मजाक में भी कहीं अश्लीलता का इस्तेमाल नहीं किया गया है. उनका नजरिया एकदम साफ है, दर्शकों को हंसाना, रुलाना और अंत में संतुष्टि के साथ घर भेजना. मनुष नंदन की सिनेमेटोग्राफी कमाल की है, एडिटिंग भी एकदम क्रिस्प है, जो फिल्म की रफ़्तार को कहीं कम नहीं होने देती.

एक्टिंग

सनी संस्कारी बने वरुण धवन इस फिल्म के साथ अपने पुराने फॉर्म में वापस आ गए हैं! उनकी एनर्जी जबरदस्त है. कॉमिक टाइमिंग भी परफेक्ट है. एक तरफ उनके वन लाइनर आपको खूब हसाएंगे, वहीं दूसरी तरफ उनके इमोशनल सीन आपको इमोशनल कर देंगे, हमेशा की तरह मास अपील में वो पूरे नंबर ले जाते हैं.

‘तुलसी कुमारी’ के जरिए जान्हवी को अपने करियर के सबसे मजेदार किरदार मिला है. वो भोली-भाली लड़की से ग्लैमरस डीवा तक का ट्रांसफ़ॉर्मेशन बड़े कॉन्फ़िडेंस से स्क्रीन पर पेश करती हैं. स्क्रीन पर उनकी मौजूदगी एकदम सहज है.

रोहित सराफ ने शांत और समझदार विक्रम का किरदार खूबसूरती से निभाया है. उनकी अंडरस्टेटेड परफॉर्मेंस फिल्म में संतुलन लेकर आती है. सान्या मल्होत्रा ने भी अपने किरदार को न्याय दिया है. हमेशा की तरह मनीष पॉल (वेडिंग प्लानर) हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देते हैं. ओवर-द-टॉप वेडिंग प्लानर के रूप में उनकी कॉमिक टाइमिंग ‘सुपर से भी ऊपर’ है.

देखें या न देखें

कुलमिलाकर, सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ एक फ़ेस्टिवल धमाका है! अगर आप अपने परिवार के साथ फील गुड फिल्म देखने का प्लान बना रहे हैं, तो फ़ौरन टिकट बुक करा लीजिए. वरुण-जान्हवी की शानदार केमिस्ट्री और मनीष पॉल की ज़ोरदार कॉमेडी के लिए ये फिल्म जरूर देखें, क्योंकि ये एक फुल पैसा वसूल फिल्म है!

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