उत्तर प्रदेश के महराजगंज के निचलौल कस्बे में हाल ही में एक ऐसी कहानी सामने आई जिसने सभी के दिलों को छू लिया। यह कहानी सच्चे प्यार, वचन और अनोखी विदाई की मिसाल बन गई।
युवक सनी मद्धेशिया और प्रियंका मद्धेशिया की प्रेम कहानी वर्षों से चल रही थी। मकान मालिक की बेटी प्रियंका से उसकी दोस्ती, फिर प्रेम संबंध में बदल गई। परिवारों ने शुरुआत में इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया, लेकिन दोनों के जिद और सच्चे प्रेम के आगे अंततः शामिल हो गए। 29 नवंबर को दोनों की शादी तय थी, दोनों एक साथ गृहस्थी बसाने के सपने देख रहे थे। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था—इसी बीच किसी विवाद या दुख के चलते प्रियंका ने आत्महत्या कर ली। डॉक्टरों ने अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया।
मौत की खबर सुनते ही सनी बदहवास मंडप की बजाय अर्थी के पास पहुंचा। उसने भावुक होकर कहा, “मैंने वादा किया था, तुम्हें अपनी दुल्हन बनाऊंगा। अब यह अर्थी सुहागन के रूप में ही उठेगी।” उसकी यह जिद देख परिवार के लोग और आसपास मौजूद सभी लोग स्तब्ध रह गए, मगर आंखों में आंसू और दिलों में दर्द के साथ सबने इस प्रेम की इज्जत की, और शव से शादी के लिए रजामंदी दे दी। पंडित जी अंतिम संस्कार के लिए आए थे, लेकिन वे भी आंसुओं के बीच विवाह के मंत्र पढ़ने लगे। मंगल गीत की जगह महिलाओं की सिसकियाँ थीं, हर कोई भाव-विह्वल।

सनी ने प्रियंका की अर्थी पर दुल्हन की तरह उसकी मांग में सिंदूर भरा। यह दृश्य जिसने भी देखा उसका दिल पसीज गया। सनी ने पति-पत्नी का फर्ज निभाते हुए स्वयं मुखाग्नि दी और अंतिम विदाई दी। जाते-जाते उसने जीवनभर अविवाहित रहने का निर्णय भी लिया—अपने सच्चे प्रेम और वचन का प्रतीक बनकर। महराजगंज में पहली बार ऐसी अनोखी विदाई और प्रेम की कहानी लिखी गई।
कहानी का संदेश:
सच्चा प्रेम हमेशा वादे, समर्पण और श्रद्धा का नाम है, चाहे हालात जैसे भी हों। यह घटना दिखाती है कि किसी रिश्ते की गहराई समय या जीवन से नहीं, बल्कि जज़्बातों से मापी जा सकती है।