
एफएमसीजी कंपनियां
जीएसटी की नई दरें लागू होने से पहले आइसक्रीम से लेकर साबुन और शैम्पू तक, कंज्यूमर प्रोडक्ट्स सस्ती कीमतों पर दुकानों में दिखने लगे हैं. ब्रांड्स और रिटेलर्स लास्ट मिनट स्टॉकिंग की रेस से बचना चाहते हैं और पॉजिटिव कंज्यूमर ट्रेंड्स का फायदा उठाना चाहते हैं. रिटेलर्स तेजी से अपनी दुकानों को एफएमसीजी प्रोडक्ट्स से भर रहे हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस हफ्ते कहा था कि जीएसटी चेंजेस के बाद 12% स्लैब वाले 99% सामान अब 5% स्लैब में आ जाएंगे. इसमें बटर, पनीर, मिठाइयां और नमकीन स्नैक्स शामिल हैं. बिस्किट्स, आइसक्रीम, साबुन और टूथपेस्ट जैसे कई प्रोडक्ट्स पर भी 18% की जगह 5% टैक्स लगेगा. हालांकि न्यू टैक्स रेट्स सोमवार से लागू होंगे, लेकिन कंपनियां पहले से ही टैक्स का डिफरेंस खुद बेयर करके रिटेलर्स को प्रोडक्ट्स भेज रही हैं. आइसक्रीम ब्रांड बास्किन रॉबिन्स के ओनर ग्रेविस फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ मोहित खट्टर ने कहा कि हमारे सारे बिल्स अब 5% जीएसटी पर शिफ्ट हो गए हैं.
पहले प्रोडक्टस दिखने का फायदा?
ईटी की रिपोर्ट में किराना उत्पाद निर्माताओं ने कहा कि उन्होंने वितरकों और खुदरा दुकानों को चुनिंदा कम कीमत वाले उत्पाद भेजना शुरू कर दिया है. एक पर्सनल केयर कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि कम कीमत वाले हमारे कुछ बड़े पैक पहले से ही खुदरा विक्रेताओं के पास दिखाई दे रहे हैं, और हम हफ्ते के आखिरी में इसे और बढ़ा देंगे. उन्होंने आगे कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि 22 सितंबर की सुबह कम कीमत वाले हमारे उत्पाद दुकानों में उपलब्ध हों. उन्होंने कहा कि इन उत्पादों का बिल नई जीएसटी दरों पर दिया जा रहा है, और हम कम से कम कुछ हद तक अंतर को माफ करने को तैयार हैं.
प्रॉक्टर एंड गैंबल, हिंदुस्तान यूनिलीवर, लॉरियल, आईटीसी और ब्रिटानिया जैसी कंपनियों ने अखबारों में विज्ञापनों के माध्यम से या इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से नई कीमतों की घोषणा की है. पीएंडजी ने अपने हेड एंड शोल्डर्स और पैंटीन शैम्पू ब्रांड, पैम्पर्स डायपर, जिलेट शेविंग क्रीम, ओल्ड स्पाइस डिओडोरेंट और विक्स डिकंजेस्टेंट की कीमतें कम कर दी हैं. एचयूएल ने डव और क्लिनिक शैम्पू, ब्रू कॉफी, किसान जैम, लक्स और लाइफबॉय साबुन की कीमतें कम कर दी हैं.
बिक्री में बढ़ोतरी की उम्मीद
क्विक-कॉमर्स और ई-कॉमर्स कंपनियों ने भी पहले कदम उठाने का लाभ उठाने के लिए विभिन्न श्रेणियों में बिक्री और छूट की शुरुआत की है. क्विक-डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी इंस्टामार्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमितेश झा ने कहा कि वह शनिवार से कई उत्पादों पर छूट देकर जीएसटी बचत का लाभ जल्दी उठा रहे हैं. त्वरित-वाणिज्य क्षेत्र में देर से प्रवेश करने वाली कंपनी, अमेजन नाउ, अपने ऐप पर दैनिक आवश्यक वस्तुओं पर ‘25,000 रुपये की वार्षिक बचत’ अभियान और 200 रुपये तक के कैशबैक चला रही है.
सरकार ने जीएसटी दरों को तीन मुख्य स्लैब में सरल कर दिया है. 5%, 18% और 40%. जहां 5% की दर अधिकांश दैनिक आवश्यक वस्तुओं और घरेलू सामानों पर लागू होती है, वहीं 18% की दर अधिकांश अन्य उपभोक्ता उत्पादों और सेवाओं के लिए नया मानक है. लक्जरी वस्तुओं और ‘पाप’ श्रेणियों जैसे कि गैसयुक्त पेय और तंबाकू को सबसे अधिक 40% कर के दायरे में रखा गया है. कंपनियां विभिन्न श्रेणियों में बिक्री में सुधार लाने के लिए जीएसटी लाभों पर भारी निर्भर हैं, क्योंकि पांच तिमाहियों से चली आ रही मंदी के बाद, जब इंफ्लेशन से प्रभावित उपभोक्ताओं, विशेष रूप से शहरों में ने या तो खपत कम कर दी थी या कम कीमत वाले पैक अपना लिए थे, जिससे बिक्री की मात्रा और मूल्य वृद्धि दोनों प्रभावित हुई थी.
खपत में होगी बढ़ोतरी
सिंथॉल साबुन बनाने वाली कंपनी गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक सुधीर सीतापति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से उपभोग में थोड़ी नरमी रही है, लेकिन आयकर और जीएसटी उपायों के संयोजन से सभी क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि न केवल उन श्रेणियों को लाभ होगा जहां दरों में कमी की गई है, बल्कि उन श्रेणियों को भी लाभ होगा जहां जीएसटी में कमी नहीं की गई है, क्योंकि उपभोग और विवेकाधीन खर्चों पर कुल उपलब्ध खर्च बढ़ जाएगा. कंपनियों ने नए मूल्य टैग के साथ उत्पाद भेजना शुरू कर दिया है, हालांकि सरकार ने गुरुवार को कहा कि नए मूल्यों के साथ बचे हुए स्टॉक पर री-लेबलिंग वैकल्पिक है और मौजूदा पैकेजिंग सामग्री के उपयोग को 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया है, साथ ही समाचार पत्रों में रिवाइज्ड एमआरपी प्रकाशित करने की पूर्व आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया है. ग्रांट थॉर्नटन भारत में पार्टनर और कर विवाद प्रबंधन प्रमुख मनोज मिश्रा ने कहा कि जीएसटी में ट्रांजिशन के लिए सरलीकृत स्ट्रक्चर अनुपालन लागत और ऑपरेशनल चुनौतियों को कम करेगा. उन्होंने कहा कि इससे रिटेल स्तर पर उपभोक्ताओं के लिए ट्रांसपेरेंसी भी सुनिश्चित होगी और जमीनी रियलिटी को भी समझा जा सकेगा.