Shubhanshu Returns to Earth: अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन से वापस धरती लौटे शुभांशु शुक्ला, कैलिफोर्निया तट के पास की सुरक्षित लैंडिंग

ग्रेस यान की लैंडिंग: एक ऐतिहासिक पल

भारतीय समयानुसार 14 जुलाई को शाम 4:45 बजे, शुभांशु और उनके क्रू साथी ग्रेस यान के माध्यम से ISS से पृथ्वी की ओर प्रस्थान कर चुके थे. इसके बाद, 15 जुलाई को दोपहर 3:00 बजे IST, यान ने प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग की. इस यात्रा के दौरान यान को कई कठिन और रोमांचक चरणों से गुजरना पड़ा:


  1. डीऑर्बिट बर्न – यान ने कक्षा से बाहर निकलने के लिए इंजन का उपयोग किया, जिससे उसकी गति कम हुई.

  2. वायुमंडल में प्रवेश – यान 27,000 किमी/घंटा की रफ्तार से वायुमंडल में प्रवेश किया, जहां तापमान 1,600°C तक पहुंच गया. हालांकि, यान की हीट शील्ड ने इस उच्च तापमान को सहन किया.

  3. पैराशूट तैनात – वायुमंडल से बाहर निकलने के बाद, पैराशूट खुलकर यान को धीमा किया.

  4. स्प्लैशडाउन – यान ने प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग की, और रिकवरी टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी को सुरक्षित बाहर निकाला.
Shubhanshu Returns to Earth: अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन से वापस धरती लौटे शुभांशु शुक्ला, कैलिफोर्निया तट के पास की सुरक्षित लैंडिंग

लैंडिंग का रोमांच और तात्कालिक प्रतिक्रिया

ग्रेस यान की लैंडिंग से पहले, एक जोरदार सोनिक बूम सुनाई दिया, जो इसकी तेज गति का संकेत था. लैंडिंग के दौरान, यान का संचार कुछ देर के लिए बाधित हो गया, क्योंकि प्लाज्मा की परत सिग्नल को ब्लॉक कर रही थी. हालांकि, रिकवरी टीम ने स्थिति को तुरंत नियंत्रित किया और शुभांशु सहित Ax-4 क्रू के सभी सदस्य सुरक्षित रूप से बाहर निकाल लिए गए. इस टीम में अंतरिक्ष यात्रियों पैगी व्हिटसन (कमांडर), स्लावोश उज़नांस्की-विस्निव्स्की (पोलैंड) और टिबोर कपु (हंगरी) भी शामिल थे.

वापसी का सामान: भारत का तिरंगा और वैज्ञानिक डेटा

ग्रेस यान 580 पाउंड (लगभग 263 किलोग्राम) का सामान लेकर लौटा, जिसमें नासा का हार्डवेयर, अंतरिक्ष में किए गए प्रयोगों का डेटा और ISS का कुछ कचरा शामिल था. इस डेटा का उपयोग मानव जीवन और अंतरिक्ष विज्ञान के नए आयामों को समझने में किया जाएगा. शुभांशु शुक्ला ने इस दौरान अपने साथ भारत का तिरंगा और अपने बेटे के पसंदीदा खिलौने “जॉय” को भी रखा, जो उनके मिशन का एक भावनात्मक हिस्सा बना.

स्वास्थ्य और पुनर्वास

लैंडिंग के बाद, शुभांशु और उनकी टीम को मेडिकल जांच के लिए पृथ्वी पर लाया गया. अंतरिक्ष यात्रा के प्रभावों से उबरने और गुरुत्वाकर्षण में सामंजस्य बैठाने के लिए उन्हें लगभग 10 दिनों तक पृथकवास (क्वारंटाइन) में रखा जाएगा. इस दौरान उनके स्वास्थ्य पर ध्यान रखा जाएगा और उनकी स्थिति का नियमित रूप से मूल्यांकन किया जाएगा.

भारत के लिए नया अध्याय

यह मिशन न केवल भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि यह भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों और गगनयान मिशन के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा. शुभांशु ने कहा, “अंतरिक्ष में भारत का झंडा लहराना मेरे लिए गर्व की बात है. अब, हम नई शुरुआत की ओर बढ़ रहे हैं.”

भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब और अधिक समृद्ध और उत्साहजनक नजर आ रहा है, और शुभांशु शुक्ला का यह मिशन देश के अंतरिक्ष विज्ञान में नए आयाम जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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