
मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना.
दिल्ली में केजरीवाल की दो योजनाएं फिलहाल चर्चा में हैं. एक बुजुर्गों के लिए संजीवनी योजना और दूसरी महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये देने की योजना. इसके अलावा फ्री पानी, फ्री बिजली, महिलाओं के लिए फ्री बस में सफर, बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा जैसी योजनाएं भी हैं. इनसे आम लोगों को काफी फायदा भी हुआ है. दिल्ली की महिलाओं से बात करने पर योजना के फायदे समझ में आते हैं. ये भी पता चलता है कि किस वर्ग को इन योजनाओं का लाभ मिल रहा है.
आईपी एक्सटेंशन के डीडीए मार्केट में घरों में काम कर रहीं लीलावती बताती हैं कि वो 12 हजार रुपये कमा पाती हैं. उनके तीन बच्चे हैं. पति कोई कामकाज नहीं करता. बूढ़ी विधवा सास है, जो बीमार रहती है. लीलावती गाजीपुर की मलिन बस्ती में रहती हैं. बस से मुफ्त सफर करती हैं. तीन घरों में काम करती हैं और देर शाम तक लौटती हैं.
सिलाई मशीन खरीदने की चाहत
मुफ्त बस सफर से लीलावती को रोज चालीस रुपये की बचत होती है. महिला सम्मान योजना को लेकर वो बेहद खुश हैं कि आने वाले समय में 2100 रुपये महीना मिल सकता है. वो बताती हैं कि उनकी 20 साल की बेटी है. इंटर तक पढ़ी है. उसे भी 2100 रुपये मिलेंगे. अगर वो अपनी सास के भी 2100 रुपये जोड़ ले तो कुल 6300 रुपये की आमद उनके घर होगी. बीमार सास के लिए दूध आदि का खर्चा निकल आएगा तो बेटी कुछ महीने पैसे जमाकर सिलाई मशीन खरीद ले सकती है.
- केजरीवाल कवच कार्ड लीलावती जैसी महिलाओं और उनके परिवारों को बड़ी आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा देने का काम करेगी, इसमें संदेह नहीं. फ्री बस सेवा से सबसे ज्यादा कामकाजी महिलाओं को सहूलियत हुई है.
सास का इलाज हो पाएगा…सोचकर मन खुश है
लीलावती इस बात पर खुश हैं कि अब उन्हें 68 साल की अपनी सास का इलाज कराने के बारे में भी अधिक चिंता नहीं करनी होगी. संजीवनी योजना के तहत मुफ्त में इलाज हो जाएगा. लोग ताने मारते थे कि बूढ़ी सास का इलाज नहीं कराती. हालांकि लीलावती बताती हैं कि आसपास भी उनकी जैसी महिलाएं हैं जो अपने बुजुर्ग मां-बाप या सास-ससुर का इलाज नहीं करा पातीं.
संजीवनी योजना के तहत 60 साल से अधिक के बुजुर्गों का मुफ्त में सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में उनकी इच्छा के अनुसार इलाज हो सकेगा. मेडीक्लेम लेना या प्रीमियम भरना लीलावती जैसी महिलाओं के बजट में आता ही नहीं है.
हाउसवाइफ जो काम पर नहीं जाती हैं, उनके लिए भी केजरीवाल कवच कार्ड वास्तव में सुरक्षा के साथ-साथ सम्मान भी देता है. हर महीने 2100 रुपये के हिसाब से साल में 25,200 रुपये मिलने की बात से ही अर्चना गौतम गदगद हो जाती हैं. उनके पति ड्राइवर हैं. जो कि 20 से 22 हजार रुपये कमा लेता है. मगर, सास-ससुर और दो बच्चों समेत 6 लोगों का परिवार बमुश्किल से गुजारा कर पाता है.
पेटीएम होगा तो बहुत अच्छा लगेगा
अर्चना गौतम खुश हैं कि एक नहीं दो महिलाएं घर में हैं. दोनों को साल में 50 हजार 400 रुपये मिल सकेंगे. वो ये सोचकर खुश हैं कि बैंक अकाउंट से यूपीआई जोड़ लेंगी. पेटीएम कर सकेंगी या दूसरे किसी ऐप के जरिए लेन-देन कर सकेंगी. अर्चना की खुशी इस बात में है कि उसके मोबाइल के जरिए भी अब खरीददारी हो सकेगी.
फ्री पानी, फ्री बिजली, फ्री सफर, महिला सम्मान योजना, बुजुर्ग सम्मान योजना, मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना जैसी योजनाओं का जिक्र जब लीलावती या अर्चना गौतम से किया तो उन्होंने बताया कि पानी-बिजली फ्री है और उसका फायदा तो उन्हें मिल रहा है लेकिन अभी बाकी योजनाओं का फायदा भी जब मिलेगा तो अच्छा लगेगा.
यह पूछने पर कि पानी और बिजली के बिल अगर दोबारा से देने पड़ें तो क्या हो? उनका जवाब शिकायती हो जाता है कि ऐसा क्यों होगा? केजरीवाल ऐसा क्यों करेंगे? उन्हें हमारी फिक्र नहीं है क्या? ऐसे तमाम सवाल वो प्रश्नकर्ता के रूप में इन पंक्तियों के लेखक से ही पूछने लग जाती हैं. यहीं अहसास होता है कि ये रेवड़ी योजना उनके लिए होंगी जो रेवड़ी खाते रहे हैं.
रिपोर्ट- रंजन कुमार.