
क्या आरबीआई एमपीसी Rate Cut करेगी? इस पर सस्पेंस बना हुआ है.
देश की तमाम रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार यानी आज भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर पर लिया जाने वाला फैसला काफी मुश्किल हो सकता है. मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) के सदस्यों के सामने ब्याज दरों में कटौती करने के कई कारण हैं. महंगाई काफी कम है. साथ ही हाई अमेरिकी टैरिफ से इकोनॉमिक ग्रोथ को झटका लगा है. ऐसे में आरबीआई एमपीसी की ओर से ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती देखने को मिल सकती है. वहीं दूसरी ओर रुपए में बड़ी गिरावट आरबीआई के लिए गंभीर विषय बना हुआ है.
ऐसे में कई जानकारों का कहना है कि इस बार भी एमपीसी सतर्क रुख अपना सकती है और ब्याज दरों को दिसंबर तक के लिए होल्ड कर सकती है. वैसे कई अर्थशात्रियों का ये भी कहना है कि आरबीआई मौजूदा साल के महंगाई के अनुमान को कम कर सकती है और ग्रोथ के अनुमान को वैसा ही रख सकती है, जैसा कि पहले से ही अनुमानित है. वैसे मौजूदा साल में आरबीआई की ओर फरवरी, अप्रैल और जून के महीने में लगातार 3 बार कटौती कर रेपो रेट में 1 फीसदी की कटौती की थी. अगस्त की पॉलिसी मीटिंग में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था.
बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री सोनल बधान का कहना है कि आरबीआई इस बार पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा. अगर आरबीआई 25 बेसिस प्वाइंट की करता है तो ये बड़ा सरप्राइज होगा. गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व वाली छह सदस्यीय एमपीसी को इस सप्ताह कई लक्ष्यों को पूरा करना होगा. महंगाई, जो 2%-6% के टारगेट बैंड के निचले छोर के आसपास मंडरा रही है, हाल ही में कर कटौती के बाद और कम होने की उम्मीद है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने से ग्रोथ रेट पर असर पड़ने की संभावना है. इस बीच, रुपए के रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिरने और ब्याज दरों में कटौती को लेकर मल्होत्रा के सतर्क रुख ने ब्याज दरों में ढील को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आरबीआई पॉलिसी मीटिंग के बाद किस तरह का फैसला ले सकते हैं.
ब्याज दरों में नहीं होगा बदलाव?
एएनआई की रिपोर्ट में बधान ने कहा कि अगर आरबीआई अक्टूबर में 25 आधार अंकों की कटौती भी करता है, तो भी वित्त वर्ष 26 के लिए जीडीपी पूर्वानुमान में कोई संशोधन होने की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर आरबीआई ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती का फैसला भी करता है, तो भी वित्त वर्ष 26 के लिए जीडीपी के अनुमान में कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है. मॉनेटरी पॉलिसी में बदलाव आमतौर पर रियल इकोनॉमी पर अपना प्रभाव दिखाने में 2-3 तिमाहियों का समय लेते हैं. अगर केंद्रीय बैंक ब्याज दरें स्थिर रखता है, तो उसके संभावित रुख के बारे में, बधान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह टिप्पणी नरम रुख की ओर झुक सकती है.
उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास दरों में कटौती की सीमित गुंजाइश है, इसलिए यह संभावना ज़्यादा है कि आरबीआई की टिप्पणी नरम रुख़ वाली होगी और वित्त वर्ष 26 के लिए उसके महंगाई अनुमान में लगभग 50 आधार अंकों की कमी होगी. इससे बॉन्ड यील्ड को राहत मिलेगी. हालांकि, रुख़ को ‘न्यूट्रल’ पर अपरिवर्तित रखे जाने की संभावना है. भविष्य की मॉनेटरी पॉलिसी के संकेतों के लिए गवर्नर की टिप्पणी और इकोनॉमिक ग्रोथ के दृष्टिकोण पर कड़ी नजर रखी जाएगी. अर्थशास्त्रियों को इस चक्र में रेपो दर के 5 फीसदी तक गिरने की संभावना दिख रही है.
महंगाई और ग्रोथ का अनुमान
केंद्रीय बैंक अपने ग्रोथ अनुमान में कोई बदलाव करता नहीं दिखाई दे रहा है. जबकि महंगााई के अनुमान में कटौती की संभावना दिखाई दे रही है. वैसे अगस्त में महंगाई बढ़कर 2.07 फीसदी पर आ गई थी, फिर भी सामान्य से बेहतर बारिश और जीएसटी में कटौती के कारण, पूर्वानुमान अनुकूल बना हुआ है. आरबीआई ने अप्रैल में शुरू हुए चालू वित्त वर्ष के लिए 3.1 फीसदी मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया था. इंडसइंड बैंक के अर्थशास्त्री गौरव कपूर का अनुमान है कि इस वर्ष औसत मुद्रास्फीति लगभग 2.7 फीसदी रहेगी. जानकारों के अनुमान के अनुसार टैक्स कटौती से टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई करने और ग्रोथ को सरकार के 6.3%-6.8% के पूर्वानुमान के ऊपरी छोर के आसपास रखने में भी मदद मिलने की उम्मीद है. आरबीआई का अनुमान इस वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी की वृद्धि का है. जून तिमाही में भारत की इकोनॉमी अपेक्षा से अधिक 7.8 फीसदी बढ़ी थी.