
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार शाम 5 बजे देश को संबोधित करते हुए जीएसटी में हुए सुधारों के बारे में बताया. उन्होंने सभी को नवरात्रि की शुभकामनाएं दी और कहा कि जल्द ही जीएसटी बचत उत्सव शुरू होने वाला है, जिससे हर किसी को बड़ा फायदा होगा. पीएम मोदी ने लोगों से आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी और स्वदेशी सामान खरीदने की अपील भी की. उन्होंने बताया कि अब 99% रोजमर्रा की जरूरत की चीजें सिर्फ 5% टैक्स के दायरे में आ गई हैं, जिससे आम आदमी की बचत बढ़ेगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे हर किसी का मुंह मीठा होगा और देश की तरक्की की रफ्तार और तेज होगी. इसके अलावा, पीएम मोदी ने बताया कि पहले कंपनियों को अपने सामान को टैक्स की वजह से पहले यूरोप भेजना पड़ता था.
2014 से पहले टैक्स का सिस्टम बहुत ही उलझा हुआ था
पीएम मोदी ने बताया कि GST लागू होने से पहले भारत में टैक्स का हाल काफी जटिल था. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग टैक्स के नियम होते थे. सेल्स टैक्स, एंट्री टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट समेत कई तरह के टैक्स व्यापारियों पर लगाए जाते थे. साथ ही, एक राज्य से दूसरे राज्य सामान भेजने के लिए अनगिनत फॉर्म भरने पड़ते थे और बिना वजह रोक-टोक भी होती थी.
पीएम ने कहा, “2014 में जब मैंने प्रधानमंत्री पद संभाला था, तब एक विदेशी अखबार में एक रिपोर्ट पढ़ी थी. उसमें लिखा था कि एक कंपनी के लिए बेंगलुरु से हैदराबाद सामान भेजना इतना मुश्किल था कि वे पहले सामान को यूरोप भेजते थे और फिर यूरोप से हैदराबाद मंगाते थे. ये उस समय की स्थिति थी. लाखों कंपनियों को ऐसे ही झंझटों से गुजरना पड़ता था.”
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi says, “I remember, in 2014, when the country entrusted me with the responsibility of Prime Minister, an interesting incident was published in a foreign newspaper during that initial period. It described the difficulties of a company. The pic.twitter.com/ibbirPRnyK
— ANI (@ANI) September 21, 2025
कैसे सस्ता पड़ता था ये तरीका?
पीएम मोदी जिस अखबार का जिक्र कर रहे थे, उसका नाम है लेस इकोस (Les Echos) है. यह एक फ्रांसीसी अखबार है. उसमें छपी खबर के मुताबिक, एक फ्रेंच टेक्नोलॉजी कंपनी को बेंगलुरु से हैदराबाद (सिर्फ़ 570 किमी) सामान भेजने में इतना खर्च आता था कि उसके लिए यह कॉस्ट-इफेक्टिव लगने लगा कि पहले सामान यूरोप भेजा जाए और फिर यूरोप से हैदराबाद वापस मंगाया जाए. इसका सबसे बड़ा कारण था भारत में उस वक्त का टैक्स और लॉजिस्टिक्स ढांचे की जटिलताएं.
रिपोर्ट में भी ये भी कहा गया था कि भारत के मैन्युफैक्चरर्स के लिए माल ढुलाई का खर्च कई बार पूरे वेतन बिल से भी ज़्यादा हो जाता था. खासतौर पर टेक्सटाइल इंडस्ट्री में ये खर्च तो दोगुना तक पहुंच जाता था. यानी कर्मचारियों को जितनी सैलरी दी जाती है, उससे ज़्यादा पैसा सिर्फ़ सामान ढोने में लग जाता था.
टैक्स सिस्टम में सुधार का बड़ा कदम है GST
प्रधानमंत्री ने बताया कि GST लागू करने का मुख्य मकसद इसी उलझन से बाहर निकलना था. पूरे देश में एक जैसा टैक्स सिस्टम बनाकर भारत को एक मजबूत आर्थिक इकाई बनाना था. GST से पहले व्यापारी कई अलग-अलग टैक्स के चक्र में फंसे रहते थे, जिससे व्यापार करना महंगा और मुश्किल हो जाता था. GST ने ना सिर्फ टैक्स व्यवस्था को आसान बनाया, बल्कि राज्यों के बीच सामान भेजने-लेने में भी जो रुकावटें थीं, उन्हें कम किया. इससे व्यापारियों की परेशानी कम हुई और देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई.