“प्लीज छोड़ दो.. एक छोटी सी उम्र में मासूम की गुहार और संघर्ष की मिसाल”

एक छोटी सी उम्र में, जब जिंदगी की दुनिया बस खेलने, सीखने और खुश रहने की होती है, एक छोटा मासूम छात्र अपनी रोज की पढ़ाई के लिए स्कूल वैन में बैठा रहा। वह उस दिन भी स्कूल जाने की उम्मीद लिए बैठा था, लेकिन उसकी छोटी सी दुनिया में एक अंधेरा साया घिर गया।

स्कूल वैन का चालक, जिसने बच्चों की सुरक्षा और परवाह करनी चाहिए थी, उसी मासूम के साथ ऐसी गलत हरकत करने लगा, जिसे सुनकर इंसानियत शर्मसार हो उठे। बच्चा डर और घबराहट के बीच बार-बार गुहार लगाता रहा, “अंकल प्लीज, छोड़ दो,” मगर उसकी यह विनती उस शख्स के लिए मायने नहीं रखती थी।

डर के साये में वह बच्चा घर पहुंचा, जहां उसने अपने परिवार को दिल दहला देने वाली सच्चाई बताई। परिवार का होश उड़ गया, पर वे निराश नहीं हुए। उन्होंने न्याय की राह चुनी और पुलिस तक यह दर्दनाक बात पहुंचाई।

“प्लीज छोड़ दो.. एक छोटी सी उम्र में मासूम की गुहार और संघर्ष की मिसाल”

तुरंत कार्रवाई हुई, पुलिस ने एक टीम बनाकर आरोपी की खोज शुरू की। कुछ ही घंटों में, उस वेहरत के लिए जवाब होगा—वह पकड़ा गया। तो पता चला कि वह व्यक्ति मोबाइल पर गलत चीजों का शौकीन था, जो उसकी सोच और व्यवहार को और खराब करता था।

यह कहानी मासूमियत को बचाने, परिवारों की हिम्मत और न्याय पाने की मिसाल है। यह हमें याद दिलाती है कि बच्चों की सुरक्षा में कोई समझौता नहीं होना चाहिए, और समाज को हर कीमत पर उनके लिए सुरक्षात्मक कवच बनाना चाहिए।

कहानी का संदेश:
हर मासूम बच्चा सुरक्षित और खुशहाल जीवन का हकदार है। अगर कहीं भी कोई उनकी सुरक्षा को खतरे में डालता है, तो उस आवाज को दबाना नहीं चाहिए। परिवारों और समाज को मिलकर ऐसे अपराधों के खिलाफ आवाज उठानी होगी, ताकि हर बच्चा जिंदगी की खुशियों को निडर होकर जी सके।

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