
पितृ पक्ष कब खत्म होगा
Shradh 2025 end date: पितृ पक्ष वह समय होता है, जब हमारे पूर्वज पितृ लोक से 15 दिनों के लिए धरती पर आते हैं. यह अवधि पूर्णरूप से पितरों को समर्पित होती है और इस दौरान सभी लोग अपने-अपने पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करते हैं, ताकि पितरों की आत्मा तृप्त हो सके. इस साल पितर पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हुई. कुछ ही दिनों में पितृ पक्ष समाप्त होने जा रहा है. अगर आप श्राद्ध के समाप्त होने से पहले कुछ ज्योतिषीय उपाय करते हैं, तो आपके पितर प्रसन्न होंगे और अपनी कृपा बनाए रखेंगे. चलिए जानते हैं कि पितृ पक्ष कब समाप्त होगा और पितरों को प्रसन्न करने के उपाय क्या हैं.
पितृ पक्ष के अंतिम दिन को क्या कहा जाता है?
पितृ पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या के दिन होता है, जिसे महालया अमावस्या भी कहा जाता है. ऐसे में पितृ पक्ष का समापन 21 सितंबर 2025 को होगा. यह पितृ पक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है. इस दिन पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए उनके निमित्त तर्पण और श्राद्ध करना बहुत अहम होता है.
- महालया अमावस्या – रविवार, 21 सितंबर 2025
- अमावस्या तिथि शुरू – सितंबर 21 को रात 12:16 बजे.
- अमावस्या तिथि खत्म – सितंबर 22 को रात 1:23 बजे.
- कुतुप मूहूर्त – सुबह 11:50 से 12:38 बजे तक.
- रौहिण मूहूर्त – दोपहर 12:38 से 01:27 बजे तक.
- अपराह्न काल – दोपहर 1:27 से 03:53 बजे तक.
महालया अमावस्या का दिन पितरों का आशीर्वाद पाने का आखिरी और उत्तम अवसर माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है. सर्व पितृ अमावस्या पर कुतुप, रोहिणी या अभिजीत मुहूर्त में श्राद्ध और तर्पण करना अति शुभ होता है. इस दिन आप नीचे दिए गए उपाय कर सकते हैं.
पितृ पक्ष की अमावस्या को क्या करना चाहिए?
नदी में स्नान और तर्पण:- सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. इसके बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनके निमित्त तर्पण और पिंडदान करें.
पितरों के देव की पूजा:- सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों के देव अर्यमा की पूजा करें, इससे पितर खुश होते हैं और आशीर्वाद देते हैं.
धार्मिक ग्रंथों का पाठ:- महालया अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए गीता, पितृ सूक्तम, पितृ कवच, या गरुड़ पुराण का पाठ करें.
दीपक जलाएं:- सर्व पितृ अमावस्या के दिन घर की दक्षिण दिशा में घी का दीपक जलाएं जो सूर्योदय से सूर्यास्त तक जलता र
ब्राह्मणों को भोजन:- इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
पशु-पक्षियों को भोजन:- अमावस्या पर भोजन बनाने के बाद सबसे पहले कौवे, गाय, और कुत्तों को अर्पित करें, क्योंकि पितृ देव इन रूपों में भोजन करने आते हैं.
नारियल की पोटली:- पितृ पक्ष की अमावस्या पर नारियल में तिल, जौ, और काला चना डालकर पोटली बनाकर नदी में प्रवाहित करें.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)