
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, जो अपने दिवंगत पूर्वजों को सम्मान देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर 15 दिनों तक चलता है। इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025 से शुरू होकर 21 सितंबर को समाप्त होगा।
इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद कर पूजा, श्राद्ध और तर्पण करते हैं। पितृ पक्ष में प्रतिदिन स्नान और ध्यान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को जल अर्पित करना चाहिए। श्राद्ध में पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज का आयोजन अनिवार्य होता है। तर्पण के लिए काले तिल, जौ और जल का उपयोग किया जाता है, और साथ ही गायत्री मंत्र या पितृ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। अगर कोई ब्राह्मण न हो तो जरूरतमंद व्यक्ति या गाय को भोजन कराया जा सकता है, जिसका भोजन सात्विक और शुद्ध होना आवश्यक है।
पितृ पक्ष के दौरान दान का भी विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र, जूते और अन्य वस्तुओं का दान करने से पितरों को प्रसन्नता मिलती है और परिवार में समृद्धि आती है।
हालांकि, इस पवित्र काल में कुछ बातों का कड़ाई से पालन करना भी जरूरी है। मांसाहार और शराब का सेवन पूरी तरह वर्जित होता है। इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य टालने चाहिए। बाल और नाखून काटना, नए कपड़े या गहने खरीदना भी अनुचित माना जाता है। खाने में लहसुन और प्याज का उपयोग भी नहीं करना चाहिए, और किसी से झगड़ा या विवाद से बचना बेहद जरूरी होता है।
इस तरह पितृ पक्ष का सही पालन आपके परिवार के लिए आध्यात्मिक शांति और सुख-समृद्धि लेकर आता है।
यह जानकारी ध्यान पूर्वक पढ़ें और अपने परंपरा का सही पालन करें ताकि जीवन में खुशहाली बनी रहे।