देश में पहली बार बनेंगे पैसेंजर एयरक्राफ्ट, भारत-रूस के बीच बड़ा समझौता

देश में पहली बार बनेंगे पैसेंजर एयरक्राफ्ट, भारत-रूस के बीच बड़ा समझौता

HAL और UAC के बीच ये समझौता हुआ है.Image Credit source: PTI

भारत में भी अब सिविल एयरक्राफ्ट बनने का रास्ता साफ हो गया है. यह पहली बार होगा जब देश में पूरी तरह पैसेंजर एयरक्राफ्ट बनाए जाएंगे. एक बड़े कदम के तौर पर भारत के हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रूस की पब्लिक जॉइंट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (PJSC-UAC) के बीच SJ-100 सिविल कम्यूटर विमान के उत्पादन के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं. यह समझौता मॉस्को में किया गया.

HAL की ओर से प्रभात रंजन और रूस की PJSC-UAC की ओर से ओलेग बोगोमोलोव ने यह समझौता किया. इस मौके पर HAL CMD डीके सुनील और PJSC-UAC डायरेक्टर जनरल वदीम बडेका भी मौजूद थे. SJ-100 एक ट्विन-इंजन नैरो-बॉडी विमान है. अब तक 200 से ज्यादा ऐसे विमान बनाए जा चुके हैं और 16 से ज्यादा एयरलाइन कंपनियां इनका इस्तेमाल कर रही हैं.

भारत के लिए गेमचेंजर फैसला

HAL ने कहा कि SJ-100 विमान भारत में UDAN योजना के तहत छोटी दूरी की उड़ानों के लिए गेम चेंजर साबित होगा. इस समझौते के तहत HAL को भारत में घरेलू ग्राहकों के लिए SJ-100 विमान बनाने का अधिकार मिलेगा. यह पहली बार होगा जब पूरा पैसेंजर विमान भारत में बनाया जाएगा. इससे पहले ऐसा प्रोजेक्ट HAL के AVRO HS-748 विमान के साथ हुआ था, जिसका उत्पादन 1961 में शुरू हुआ था और 1988 में खत्म हुआ.

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आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम

HAL ने कहा कि UAC के साथ यह साझेदारी आपसी भरोसे को दिखाती है और यह एविएशन सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है. एचएएल ने अनुमान लगाया है कि आने वाले दस सालों में भारत को क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी के लिए कम से कम 200 रीजनल जेट विमान की जरूरत होगी. इसके अलावा, हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते पर्यटन और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की मांग को पूरा करने के लिए लगभग 350 अतिरिक्त विमान की आवश्यकता होगी. एसजे-100 विमान का निर्माण न केवल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, बल्कि यह देश के निजी विमानन सेक्टर को भी नई ताकत और अवसर देगा.

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