
अफसाना खातून, एक आम लड़की, एक आम ज़िंदगी, और कुछ ख्वाब… लेकिन सोशल मीडिया पर एक अश्लील वीडियो ने उसकी ज़िंदगी को नरक बना दिया। विदेश में रहने वाला उसका एक जानने वाला शमशाद, उसकी इज़्ज़त को खुलेआम इंटरनेट पर उछालता रहा — और अफसाना, कभी एक थाने तो कभी दूसरे थाने इंसाफ की भीख मांगती रही।
न कोई सुनने वाला था, न कोई रोकने वाला।
आखिरकार जब हर उम्मीद टूट गई, तो अफसाना ने एक आखिरी वीडियो बनाया — डरी हुई, टूटी हुई, और रोती हुई। उसने कहा,
“अब मैं कहीं की नहीं रही… वो (शमशाद) मुझे बर्बाद कर चुका है…”
फिर उसने दुनिया को अलविदा कह दिया।
ये कहानी अकेली नहीं है…
आज भी कई लड़कियाँ सोशल मीडिया पर बदनामी, ब्लैकमेलिंग और साइबर उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। कई मामलों में तो उन्हें खुद अपनी ज़िंदगी खत्म करने पर मजबूर कर दिया जाता है।
👉 इस घटना ने ये साबित कर दिया कि जब तक साइबर अपराधों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, जब तक पुलिस लापरवाही से बाहर नहीं निकलेगी, और जब तक समाज चुप रहेगा — तब तक अफसानाओं की जान जाती रहेगी।
समाज के लिए एक सवाल:
क्या सिर्फ सोशल मीडिया ही दोषी है? या हम सब भी जिम्मेदार हैं जो चुपचाप ये सब होता हुआ देखते रहते हैं?
जागरूकता जरूरी है:
✅ ऑनलाइन उत्पीड़न को हल्के में न लें।
✅ किसी की निजी फोटो या वीडियो शेयर करना अपराध है।
✅ पुलिस को जवाबदेह बनाएं। शिकायत दर्ज कराना हर नागरिक का हक है।
✅ अगर कोई मदद मांग रहा है, तो खड़े होइए — चुप्पी कई ज़िंदगियाँ ले चुकी है।
अगर आप चाहें तो मैं इस स्टोरी पर एक जागरूकता वाली AI इमेज भी बना सकता हूँ जो इस कहानी का संदेश और प्रभाव और गहराई से पहुँचा सके। बताइए, क्या बनाऊं?