भारत के शेयर बाजारों, सेंसेक्स और निफ्टी में सोमवार को उछाल देखने को मिला. ये तेजी इस उम्मीद के साथ आई है कि फेड रिजर्व ब्याज दरों में कटौती देखने को मिल सकती है. वास्तव में अमेरिकी महंगाई के आंकड़े उम्मीद से कम रहे हैं, लेकिन आंकड़ा 3 फीसदी पर पहुंच गया है. वहीं दूसरी ओर अमेरिकी-चीन के बीच ट्रेड टॉल्क को लेकर पॉजिटिव बातें सामने आई हैं. वहीं दूसरी ओर भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील नवंबर में होने की संभावना जताई जा रही है. जिसकी वजह से निवेशकों में काफी जोश आ गया है. जिसका असर शेयर बाजार में तेजी के रूप में देखने को मिल रहा है.
अगर शेयर बाजार के आंकड़ों पर बात करें तो सेंसेक्स में कारोबारी सत्र के दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांत सेंसेक्स 720.2 अंक से ज़्यादा बढ़कर 84,932.08 के इंट्राडे हाई लेवल पर पहुंच गया. जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 50 200 से ज्यादा अंकों की तेजी के साथ 26,005.95 के दिन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. निफ्टी सूचकांक अब अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 26,277.35 से सिर्फ़ 1 फीसदी दूर है, जबकि सेंसेक्स अपने रिकॉर्ड लेवल 85,978.25 से 1.2 फीसदी नीचे है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर शेयर बाजार में में लाने के कौन कौन से फैक्टर काम कर रहे हैं?
फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें
सितंबर में उम्मीद से कम अमेरिकी महंगाई के आंकड़ों ने 2025 में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीदों को बल दिया है. पिछले महीने अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति में कमी आई, जिससे यह उम्मीद और मजबूत हुई है कि फेड नवंबर और दिसंबर में अपनी नीतिगत बैठकों में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. अमेरिका में कम ब्याज दरें आमतौर पर भारत जैसे उभरते बाजारों को विदेशी निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाती हैं.
अमेरिका-चीन ट्रेड टॉल्क में प्रगति
ग्लोबल ट्रेड टेंशन कम होने की आशावादिता ने भी धारणा को बल दिया. अमेरिकी अधिकारियों ने रविवार को बताया कि सीनियर चीनी और अमेरिकी आर्थिक अधिकारियों ने कथित तौर पर एक संभावित व्यापार समझौते की रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया है, जिसकी समीक्षा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सप्ताह के अंत में करेंगे. जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि ग्लोबल मार्केट का रुख तेजी का है, जैसा कि डॉव जोन्स, निक्केई और कोस्पी के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने से देखा जा सकता है. धारणा सकारात्मक बनी हुई है. उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट की यह टिप्पणी कि चीन के साथ व्यापार वार्ता के लिए एक ठोस रूपरेखा मौजूद है, इस बात का संकेत है कि अमेरिका-चीन व्यापार समझौता होने वाला है.
भारत और अमेरिका के बीच समझौता
वहीं दूसरी ओर भारत और अमेरिका के बीच भी ट्रेड समझौता जल्द ही होने की संभावना है. जानकरों की मानें तो नवंबर के महीने में दोनों देशों के बीच ट्रेड डील हो सकती है. हाल ही में खबर आई है कि अमेरिका भारत पर लगे 50 फीसदी टैरिफ को 15 से 16 फीसदी तक कर सकता है. वहीं दूसरी ओर अमेरिका की रूसी ऑयल ना खरीदने की डिमांड को भारत ने मान लिया है, जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से दावा किया गया है. जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच ट्रेड डील को लेकर कोई गतिरोध नहीं रह गया है. जिसकी वजह से भारतीय निवेशकों में शेयर बाजार को लेकर पॉजिटिव सेंटीमेंट बना हुआ है. आने वाले दिनों में शेयर बाजार में और भी तेजी देखने को मिल सकती है.
रुपए की मजबूती
भारतीय रुपए ने अक्टूबर में अपने अधिकांश क्षेत्रीय समकक्षों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक के लगातार हस्तक्षेपों का समर्थन प्राप्त है, जिससे नेगेटिव ग्लोबल इंडीकेटर्स के दौर के बाद करेंसी को स्थिर करने में मदद मिली है. इस महीने अब तक रुपये में लगभग 1 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. हालांकि सोमवार को यह 87.9850 प्रति अमेरिकी डॉलर पर मामूली रूप से कमज़ोर हुआ. इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय बैंक के भारी हस्तक्षेप ने रुपए को लगभग रिकॉर्ड निचले स्तर से ऊपर उठा दिया, और व्यापारियों का सुझाव है कि आरबीआई अब 88 के आसपास करेंसी का बचाव करता दिख रहा है.
एक्सचेंज रेट को स्थिर करने के अलावा, आरबीआई के कदमों ने रुपए को अन्य एशियाई करेंसीज की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद की है, जबकि इस महीने राजनीतिक अनिश्चितता के बीच यूरो और जापानी येन में कमज़ोरी के कारण डॉलर में भी मज़बूती आई है. डॉलर इंडेक्स अक्टूबर में प्रमुख मुद्राओं के समूह के मुकाबले 1 फीसदी से अधिक बढ़ा है, जबकि कोरियाई वॉन और फ़िलिपीनी पेसो क्रमशः लगभग 2 फीसदी और 0.7 फीसदी गिरे हैं. इस गति को बढ़ाते हुए, मजबूत विदेशी पोर्टफोलियो प्रवाह ने भी रुपए को समर्थन दिया है, तथा विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक लगभग 2.7 बिलियन डॉलर मूल्य के भारतीय इक्विटी और बांड खरीदे हैं.
आय और त्योहारी सीजन की गति
भारत का डॉमेस्टिक इंफ्रा नई मज़बूती दिखा रहे हैं, जिसे त्योहारी सीजन की तेज डिमांड और प्राइवेट सेक्टी के कैपेक्स में वृद्धि के संकेतों से बल मिल रहा है. जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि कैपेक्स में लंबे समय से प्रतीक्षित सुधार का भारत के ग्रोथ और शेयर बाजार पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. विजयकुमार ने कहा कि निफ्टी और सेंसेक्स के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं.
इस बीच, मज़बूत तिमाही आय के दम पर बैंकिंग शेयरों में बढ़त जारी रही. वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और अन्य ऋणदाताओं के मज़बूत प्रदर्शन के कारण आय में आई तेजी के कारण निफ्टी बैंक और निफ्टी पीएसयू सूचकांकों में 1 फीसदी तक की वृद्धि हुई.




