
इमरान हाशमी-यामी गौतम और शाह बानो
Haq: इमरान हाशमी और यामी गौतम की अपकमिंग फिल्म ‘हक’ रिलीज के लिए तैयार खड़ी है. ये कोर्ट रूम ड्रामा फिल्म 7 नवंबर को सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है. फिल्म को भारत के साथ-साथ यूएई, यूके, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी रिलीज किया जाएगा और भारत के साथ ही इन देशों के सेंसर बोर्ड ने भी फिल्म को बिना किसी कट के हरी झंडी दे दी है, लेकिन दूसरी ओर फिल्म के मेकर्स को शाहबानो की बेटी ने लीगल नोटिस भेजा है. ये कहानी शाहबानो की पर्सनल लाइफ से प्रेरित है.
एक तरफ हक रिलीज के बिल्कुल करीब है, तो दूसरी ओर इस पर रोक लगाने के लिए शाहबानो की बेटी सिद्दीका बेगम ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की है. उनका आरोप है कि फिल्म परिवार की सहमति के बिना बनाई गई है और इसमें उनकी मां को गलत और झूठे तरीके से पेश किया गया है.
मेकर्स को भेजा लीगल नोटिस
शाहबानो की बेटी सिद्दीका ने इन आरोपों के साथ फिल्ममेकर्स को लीगल नोटिस थमाया है. वहीं शाहबानो की बेटी सिद्दीका बेगम खान के वकील तौसिफ वारसी ने याचिका में कहा कि इस फिल्म के जरिए मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी और फिल्म में शरिया कानून की नकारात्मक छवि भी पेश की गई है.
क्या है शाहबानो का केस?
शाहबानो मध्य प्रदेश के इंदौर में रहती थीं. उन्होंने मोहम्मद अहमद खान से शादी की थी, जो एक वकील थे. लेकिन, साल 1978 में अहमद खान ने अपनी बीवी शाहबानो को तलाक दे दिया था. तलाक के बाद शाहबानो के लिए अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो गया था. उनके पास पैसे भी नहीं थे. ऐसे में उन्होंने अहमद के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर करते हुए गुजारा भत्ते की मांग की थी.
कई सालों तक शाहबानो ने अपने पूर्व पति के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी और आखिरकार साल 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इसी पर यामी और इमरान हाशमी की फिल्म आधारित है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मुस्लिम महिलाएं भी भारत के सामान्य कानून के तहत गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं. हालांकि इस फैसले पर कई मुस्लिम समूहों ने विरोध जताया था. ऐसे में उस वक्त की राजीव गांधी सरकार ने 1986 में सर्वोच्च अदालत का फैसला बदल दिया था. बता दें कि शाहबानो अब इस दुनिया में नहीं हैं. उनका 1992 में निधन हो गया था.




