बेटी की पहली माहवारी पर मां-बाप ने काटा केक, जमकर मनाया जश्न, वजह भी बताई “ • ˌ

बेटी की पहली माहवारी पर मां-बाप ने काटा केक, जमकर मनाया जश्न, वजह भी बताई “ • ˌ

आपके परिवार या दोस्तों के बीच किस-किस चीज़ पर केक काटा गया होगा? बर्थडे, एनिवर्सरी, स्कूल के रिज़ल्ट. कुछ लोगों ने खुश होकर शायद अपने ब्रेकअप पार्टी पर भी इस ट्रेंड को फॉलो किया होगा. पेट्स के बर्थडे पर भी केक काटे जाने का चलन है. पर ये सब आम है. हम आपके लिए कुछ ख़ास लेकर आए हैं.

उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले से एक ऐसी ख़बर आई है, जिसे सुन आपका दिल खुश हो जाएगा. कुछ लोगों को अतिशयोक्ति भी लग सकती है, पर मोटा-मोटा इस इवेंट की तारीफ की जा रही है. इसमें एक दंपती ने अपनी बेटी के पहले पीरियड पर केक काट दिया. ये काम किया काशीपुर शहर के निवासी जितेंद्र भट्ट ने. सोशल मीडिया पर जितेंद्र की जमकर तारीफ हो रही है.

इंडिया टुडे से जुड़े रमेश चंद्रा की रिपोर्ट के मुताबिक जितेंद्र ने न सिर्फ केक काटा, अपने घर को बाकायदा बलून से सजाया भी. उनका कहना है कि वो ऐसा कर समाज को संदेश देना चाहते हैं कि ‘मासिक धर्म दुनिया का सबसे पवित्र धर्म है’. ये ख़बर जमकर वायरल हो रही है. केक काटते हुए जितेंद्र और उनके परिवार ने ‘हैपी पीरियड्स टू यू’ भी गाया.

‘जब हम छोटे थे, तब इस बात को कि ज्यादा जानकारी नहीं थी. ज़ब समझ आया तब हमने देखा कि ज़ब किसी बच्ची या महिला को पीरियड्स होते थे, तब उन्हें बड़ी हीन भावना से देखा जाता था. इस वक्त अगर लेडी किसी भी सामान को छू देती थी, तो उस सामान को अशुद्ध मान लिया जाता था. उनके बर्तन अलग कर दिए जाते थे. वो मंदिर या किचन में नहीं जा सकती थीं. ऐसी ही भ्रान्तियों को दूर करने के लिए ज़ब मेरी बेटी को पहली बार पीरियड्स आए, तब हमने इसे जश्न के रूप में मनाया. क्योंकि ये कोई अशुद्ध या छुआछूत की बीमारी नहीं है. बल्कि ये ख़ुशी का दिन है. इस दौरान सही हाइजिन रखनी चाहिए.’

स्थानीय निवासी और जितेंद्र की स्टुडेंट प्रज्ञा भटनागर का कहना है जो उनके गुरु ने किया, उससे उन्हें बहुत ख़ुशी हुई है. जब कोई भी महिला या लड़की पीरियड्स पर होती थी, तब उन्हें हीन भावना से देखा जाता है. लेकिन इनकी ये पहल रंग लाएगी और पीरियड्स से जुड़ी इस धारणा से महिलाओं और लड़कियों को छुटकारा मिलेगा.

गायनेकोलॉजिस्ट डॉ नवप्रीत कौर ने भी इस सेलिब्रेशन पर अपनी राय दी है. उन्होंने कहा कि जितेंद्र की ये पहल बहुत अच्छी है. जिस तरह से लोग इसे छुआछूत रोग जैसा मानते हैं, वह एक दम गलत है. ये पेशाब करने जैसी ही आम प्रक्रिया है, कोई बीमारी नहीं. पीरियड्स के दौरान महिलाएं हर रोज़ नहा कर पूजा कर सकती हैं.

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