जन्माष्टमी पर˒ घर में रखें बांसुरी,:! दूर होगा कलह और आएगी सुख-समृद्धि

जन्माष्टमी पर˒ घर में रखें बांसुरी,:! दूर होगा कलह और आएगी सुख-समृद्धि

जन्माष्टमी का पावन पर्व भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति, प्रेम और उनकी लीलाओं का उत्सव है। श्रीकृष्ण की बांसुरी उनकी पहचान और प्रेम का प्रतीक मानी जाती है। धार्मिक और वास्तु शास्त्र, दोनों में ही बांसुरी को अत्यंत शुभ और कल्याणकारी वस्तु बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि यदि जन्माष्टमी के दिन घर में बांसुरी लाकर उचित स्थान पर रखी जाए, तो यह न केवल घर का वातावरण पवित्र करती है, बल्कि सौभाग्य और समृद्धि के द्वार भी खोल देती है।

बांसुरी घर में रखना मात्र एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन में खुशियां, शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाने का आसान उपाय है। भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए इस जन्माष्टमी बांसुरी लाना बेहद शुभ माना जाता है।

बांसुरी का धार्मिक महत्व
श्रीमद्भागवत और पुराणों में वर्णन है कि भगवान कृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन से गोपियों में प्रेम और भक्ति का संचार होता था। यह धुन केवल संगीत नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह थी। इसी कारण घर में बांसुरी रखना भगवान कृष्ण का आशीर्वाद पाने के समान माना जाता है।

घर में बांसुरी रखने के फायदे
वास्तु शास्त्र के अनुसार बांसुरी नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर घर में शांति का संचार करती है। इसे पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखने से घर में कलह समाप्त हो सकता है और पारिवारिक संबंधों में मधुरता आती है। पति-पत्नी के बीच तनाव भी कम होता है। पीतल या लकड़ी की बांसुरी को लाल या पीले धागे में बांधकर मुख्य दरवाजे पर रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन की आवक बढ़ती है।

जो दंपति संतान सुख की इच्छा रखते हैं, वे जन्माष्टमी के दिन पीली बांसुरी को भगवान कृष्ण को अर्पित कर बाद में पूजा घर में रखें। यह उपाय संतान प्राप्ति में सहायक माना जाता है। कार्यस्थल पर बांसुरी रखने से करियर और बिज़नेस में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और नए अवसर प्राप्त होते हैं। मानसिक तनाव कम करने और स्वास्थ्य में सुधार के लिए भी बांसुरी लाभकारी मानी जाती है।

बांसुरी रखने का सही तरीका
लकड़ी या पीतल की बांसुरी सबसे शुभ होती है। इसे जन्माष्टमी के दिन गंगाजल से धोकर, पीले या लाल धागे में बांधकर भगवान कृष्ण के चरणों में अर्पित करें। बाद में इसे पूजा घर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। ध्यान रखें कि बांसुरी को कभी फर्श पर न रखें, हमेशा ऊँचाई पर ही रखें।

बांसुरी से जुड़े पौराणिक प्रसंग
भगवान कृष्ण की बांसुरी की धुन पर वृंदावन की गोपियां सब कुछ छोड़कर उनकी ओर खिंची चली आती थीं। यह धुन प्रेम, भक्ति और एकता का प्रतीक थी। कालिया नाग के वश में आने की कथा में भी कृष्ण ने बांसुरी की धुन से यमुना जल को पवित्र किया, जो यह दर्शाता है कि बांसुरी की मधुरता नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल सकती है।

मोर पंख और बांसुरी का संगम भगवान कृष्ण के दिव्य स्वरूप का प्रतीक है। मान्यता है कि मोर पंख शुद्धता और सौभाग्य का प्रतीक है, और बांसुरी के साथ इसका मेल घर में सुख-समृद्धि को कई गुना बढ़ा देता है।