अतुल सुभाष से निकिता ने जबरदस्ती की थी शादी, मां ने आग में डाला घी, खुले कई राज “ • ˌ

Nikita had forced Atul Subhash to marry her, her mother added fuel to the fire, many secrets were revealed
Nikita had forced Atul Subhash to marry her, her mother added fuel to the fire, many secrets were revealed

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बेंगलुरु. Atul Subhash Suicide Case: एआई इंजीनियर अतुल सुभाष को आत्महत्या किए कई दिन बीत चुके हैं और अब भी रोजाना नई-नई बातें सामने आ रही हैं। अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी मां और भाई, तीनों ही पुलिस की गिरफ्त में हैं और पूछताछ हो रही है। अब सामने आया है कि अतुल से निकिता ने जबरदस्ती शादी की थी। उसका मन अतुल से शादी करने कहा नहीं था, लेकिन पिता की बीमारी और परिवार के दबाव के चलते उसने ऐसा किया। इसके साथ ही, मां ने भी आग में घी डालने का काम किया और घंटों बात करके निकिता को ससुराल वालों के खिलाफ भड़काती थी।

‘आजतक’ की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल जुलाई में निकिता ने जौनपुर की फैमिली अदालत में बयान दिया था, जिससे पता चला था कि यह शादी निकिता की मर्जी से नहीं, बल्कि उसके खिलाफ हुई है और उसने यह बात भी अतुल से शादी के बाद ही बता भी दी थी। इसके अलावा भी शादी टूटने के पीछे निकिता की मां निशा सिंघानिया भी वजह मानी जा रहीं। वह भी शादी के बाद बेटी से लगातार घंटों बातचीत करती थीं और ससुराल वालों के खिलाफ जमकर भड़काती थीं। कई बार तो वह दिन में पांच-छह बार फोन कर देती थीं।

अतुल और निकिता की शादी साल 2019 में वाराणसी के एक होटल में हुई थी। पहले तो निकिता शादी को तैयार नहीं थी, लेकिन फिर जब घर वालों ने समझाया कि पिता की तबीयत खराब रहती है और उनके जीवित रहने तक उसे यह शादी कर लेनी चाहिए तो किसी तरह वह इसके लिए तैयार हुई। दरअसल, निकिता के पिता को दिल संबंधी बीमारी थी और बाद में उनका निधन भी हो गया। इसके बाद निकिता अपने चाचा सुशील सिंघानिया से इस मामले को लेकर सलाह लेती थी।

पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न और झूठे आरोप लगाने वाले कथित वीडियो के अलावा लिखित नोट छोड़ कर खुदकुशी करने वाले बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की मां ने अपने चार वर्षीय पोते का पता लगाने और उसे अपने पास रखने की गुहार के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अंजू देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकारों को नोटिस जारी किए। शीर्ष अदालत इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अगली सुनवाई 07 जनवरी को करेगी।