भारत-चीन व्यापार में नया मोड़, अब रेयर अर्थ के लिए ‘ड्रैगन’ ने खोले दरवाजे, इन कंपनियों को मिली बड़ी राहत

भारत-चीन व्यापार में नया मोड़, अब रेयर अर्थ के लिए 'ड्रैगन' ने खोले दरवाजे, इन कंपनियों को मिली बड़ी राहत

रेयर अर्थ आयात पर बड़ी राहत…

छह महीने की रोक के बाद आखिरकार चीन ने भारत को भारी रेयर अर्थ मैगनेट्स की सप्लाई फिर से शुरू कर दी है. इन शक्तिशाली चुम्बकों का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उद्योगों में किया जाता है. सप्लाई शुरू होने से भारतीय कंपनियों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि इन चुम्बकों के बिना कई उत्पादन योजनाएं रुक सी गई थीं.

चीन इस बाजार पर दुनिया भर में लगभग 90% नियंत्रण रखता है, इसलिए किसी भी रोक का असर पूरे उद्योग पर पड़ता है. अब जब बीजिंग ने फिर से दरवाजे खोले हैं, तो उम्मीद की जा रही है कि भारत के ईवी और टेक सेक्टर को फिर से रफ्तार मिलेगी.

चीन ने रखी सख्त शर्तें

ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि यह राहत बिना शर्तों के नहीं आई है. चीन ने साफ कहा है कि भारत को मिलने वाले इन रेयर अर्थ चुम्बकों को अमेरिका को दोबारा निर्यात नहीं किया जा सकता. साथ ही, इनका उपयोग किसी भी सैन्य या रक्षा उद्देश्य के लिए नहीं होना चाहिए. बीजिंग ने भारत से इस बात की गारंटी मांगी है कि यह सामग्री सिर्फ घरेलू जरूरतों के लिए ही इस्तेमाल होगी.

इस कदम के पीछे का कारण चीन और अमेरिका के बीच चल रहा व्यापारिक तनाव है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात में दोनों देशों ने तनाव कम करने की कोशिशों पर सहमति जताई थी, लेकिन रणनीतिक वस्तुओं पर नियंत्रण फिलहाल जारी है.

चार भारतीय कंपनियों को मिली हरी झंडी

भारत में अब तक चार कंपनियों हिताची, कॉन्टिनेंटल, जे-उशिन और डीई डायमंड्स को चीन से आयात की अनुमति मिल चुकी है. इन कंपनियों ने चीन के निर्यातकों और भारतीय अधिकारियों से सभी जरूरी मंजूरियां ले ली हैं.

सप्लाई फिर से शुरू होने के संकेत मिलने के बाद उद्योग जगत में उम्मीदें बढ़ी हैं. इसके साथ ही भारत और चीन के बीच कोलकाता और ग्वांगझू के बीच सीधी उड़ानें भी दोबारा शुरू हो गई हैं, जिससे व्यापारिक गतिविधियां और तेज होने की उम्मीद है.

चीन ने मांगी उपयोग की गारंटी

चीन ने हर खरीदार से एक अंतिम-उपयोगकर्ता प्रमाणपत्र (End-User Certificate EUC) मांगा है. इस दस्तावेज में यह लिखना जरूरी है कि खरीदी गई सामग्री का इस्तेमाल किसी भी तरह के हथियार या सामूहिक विनाश के उपकरण बनाने में नहीं किया जाएगा. भारतीय कंपनियों ने ये प्रमाणपत्र पहले ही जमा कर दिए थे, लेकिन चीन के वाणिज्य मंत्रालय में करीब 50 से ज्यादा आवेदन मंजूरी के इंतजार में थे. अब इनमें से कुछ को हरी झंडी मिल चुकी है, जिससे सप्लाई लाइन फिर से चालू हो गई है.

क्यों जरूरी हैं ये रेयर अर्थ मैगनेट?

ये बेहद ताकतवर मैगनेट आधुनिक तकनीक की रीढ़ माने जाते हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों के मोटर से लेकर विंड टर्बाइन, मोबाइल फोन, लैपटॉप और एयरोस्पेस उपकरणों तक, हर जगह इनका इस्तेमाल होता है. भारत में खासकर ईवी सेक्टर इन चुम्बकों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है. वित्त वर्ष 2025 में भारत ने करीब 870 टन रेयर अर्थ चुम्बक आयात किए थे, जिनकी कुल कीमत लगभग ₹306 करोड़ थी.

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