
विदेश मंत्री एस. जयशंकर
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit – EAS) के 20वें संस्करण में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सोमवार (27 अक्टूबर) को कुआलालंपुर में भारत की तरफ से संबोधन दिया. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि बहुध्रुवीयता (Multipolarity) न केवल यहां रहने आई है, बल्कि आगे और भी बढ़ेगी.
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि ‘कठिन समय में मिल रहे हैं. आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता और बाजारों तक पहुंच को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं. तकनीकी प्रतिस्पर्धा और प्राकृतिक संसाधनों की खोज और भी तेज हो गई है. ऊर्जा व्यापार सिमट रहा है जिससे बाज़ार परिवर्तन हो रह है. सिद्धांतों का चयनात्मक उपयोग हो रहा है जो कहा जाता है, वह हमेशा किया नहीं जाता’.
‘दुनिया नई परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेगी’
उन्होंने कहा कि परिवर्तन का अपना जीवन होता है, और दुनिया नई परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेगी. नई समझ बनेगी, नए अवसर उभरेंगे और लचीले समाधान विकसित होंगे. अंततः तकनीक, प्रतिस्पर्धा, बाज़ार आकार, डिजिटलीकरण, कनेक्टिविटी, प्रतिभा और गतिशीलता जैसी वास्तविकताओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता’.
विदेश मंत्री ने यूक्रेन और गाज़ा संघर्षों पर जताई चिंता
विदेश मंत्री ने यूक्रेन और गाज़ा संघर्षों पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि भारत गाज़ा शांति योजना का स्वागत करता है और यूक्रेन संघर्ष के जल्द खत्म होने की उम्मीद कर है. साथ ही उन्होंने आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद को लेकर दुनिया को जीरो टोलरेंस (Zero Tolerance) की नीति अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा के अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता.
अपने संबोधन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की भूमिका की सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत हाल ही में ऊर्जा दक्षता नीतियों पर EAS ज्ञान कार्यशाला और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के सम्मेलन की मेज़बानी कर चुका है. उन्होंने बताया कि भारत ने इस अवसर पर EAS समुद्री विरासत महोत्सव आयोजित करने का प्रस्ताव भी रखा, जो गुजरात के प्राचीन बंदरगाह लोथल में होगा. इसके साथ ही भारत सातवें EAS समुद्री सुरक्षा सहयोग सम्मेलन की भी मेज़बानी करेगा. उन्होंने ये भी कहा कि साल 2026 को ‘आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष’ के रूप में मनाया जाएगा. यह भारत की ‘Indo-Pacific Oceans Initiative’ और 1982 के UNCLOS सिद्धांतों के अनुरूप है.
‘सम्मेलन से सकारात्मक परिणामों की आशा है’
म्यांमार को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने मार्च में आए भूकंप के दौरान सबसे पहले सहायता प्रदान की उन्होंने यह भी कहा कि भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना पर कार्य जारी है. इसके साथ ही उन्होंने साइबर ठगी केंद्रों को लेकर चिंता जताई, जिन्होंने कई भारतीयों को भी फंसाया है. जयशंकर ने अपने संबोधिन के आखिर में कहा कि भारत, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की शांति, प्रगति और समृद्धि में भूमिका को महत्व देता है. उन्होंने कहा कि हमें इस सम्मेलन से सकारात्मक परिणामों की आशा है.




