
अमरोहा, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में एक शादी का माहौल था। हर तरफ खुशियाँ बिखरी थीं, डीजे पर गाने बज रहे थे और लोग नाच-गा रहे थे। इसी माहौल में एक महिला भी थी, जो अपनी खुशी को काबू न कर सकी और डीजे पर नाचने लगी।
उसकी खुशी उस समय अचानक थम गई, जब उसका 25 वर्षीय बेटा वहाँ आया। उसने अपनी माँ को नाचते हुए देखा तो वह गुस्से से भर गया। उसने अपनी माँ को बार-बार मना किया, उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन शायद माँ अपनी खुशी में इतनी खो गई थी कि वह उसकी बात सुन नहीं पाई या फिर उसने उसकी नाराजगी को गंभीरता से नहीं लिया।
जब बेटे ने देखा कि उसकी बात नहीं मानी जा रही है, तो वह गुस्से में वहाँ से चला गया। किसी को नहीं पता था कि उसके मन में क्या चल रहा था। किसी ने यह सोचा भी नहीं था कि यह उसकी आखिरी नाराजगी होगी।
अगली सुबह, जब गाँव के लोग उठे, तो उन्हें एक दुखद खबर मिली। उस 25 वर्षीय युवक का शव गाँव के ही एक पेड़ से लटका हुआ मिला। जिस घर में कल तक शादी का माहौल था, वहाँ आज मातम छा गया था। परिवार और गाँव के लोग सकते में थे। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि एक साधारण सी बात पर कोई इतना बड़ा कदम कैसे उठा सकता है।
परिजनों ने बिना किसी कानूनी कार्रवाई के युवक का अंतिम संस्कार कर दिया। यह घटना एक ऐसी त्रासदी थी, जिसने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर क्यों रिश्तों में संवाद की इतनी कमी हो गई है कि एक छोटी सी बात भी इतना बड़ा रूप ले लेती है। यह कहानी सिर्फ एक परिवार के दुख की नहीं है, बल्कि उस गंभीर समस्या का प्रतीक है जो आज हमारे समाज में मौजूद है।