बाढ़ पीड़ितों की मदद में जुटी जमीयत, मौलाना मदनी बोले- हम धर्म नहीं देखते

बाढ़ पीड़ितों की मदद में जुटी जमीयत, मौलाना मदनी बोले- हम धर्म नहीं देखते

मौलाना अरशद मदनी

प्राकृतिक आपदाओं और विनाशकारी बाढ़ ने भारत के कई राज्यों को बुरी तरह से प्रभावित किया है. पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में भारी जानी और माल नुकसान हुआ है. फसलें नष्ट हो चुकी हैं, घर तबाह हो गए हेैं और लाखों लोग बेघर हो गए हैं. अब भी बहुत से इलाके पानी में डूबे हुए हैं. राहत और मदद के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद भी आगे आया है. जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की अपील पर जमीयत की प्रांतीय और जिला इकाइयां एवं कार्यकर्ता लोगों की मदद कर रहे हैं.

जमीयत उलेमा मेवात और उत्तराखंड इकाईयों द्वारा पीड़ितों के बीच राहत बांटने के बाद आज (रविवार 21 सितंबर) जमीयत उलमा अहमदाबाद और जमीयत उलमा राजस्थान के प्रतिनिधि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में राहत और पुनर्वास कार्यों में जुट गए. जमीयत उलेमा अहमदाबाद ने बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए आज तीस लाख रुपए की राहत सामग्री पंजाब के जिला फाजिल्का में वितरित की.

फाजिल्का में बांटी राहत सामग्री

इसमें महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के कपड़े (7000 जोड़े), साबुन और टूथपेस्ट किट (1300 किट), प्लास्टिक (1500 किग्रा), कंबल (1100 नग), दूध पाउडर (100 किग्रा), चप्पलें (1500 जोड़े), मच्छरदानियाँ (80 नग), बर्तन सेट (416 नग) और दुपट्टे (2000 नग) शामिल हैं.यह प्रतिनिधिमंडल मुफ्ती मुनीर की अगुवाई में था. साथ में मौलाना जावेद, इस्माइल भाई, हाफिज़ सलमान मंसूरी, हाफिज़ फहद, हाफिज़ फ़ुरकान, उमर भाई, असलम भाई मोदन और रिज़वान भाई शामिल थे.

जम्मू- कश्मीर दौरे पर अरशद मदनी

वहीं, दूसरी ओर जमीयत उलेमा राजस्थान का तीन सदस्यीय दल मौलाना अरशद मदनी की हिदायत पर 12 सितम्बर से जम्मू के दौरे पर है. वहां उन्होंने राहत सामग्री का जायजा लिया और उन इलाकों की पहचान की, जहां अब तक कोई मदद नहीं पहुंची थी. लैंडस्लाइड की वजह से कई जगह हाईवे बंद था. यह दल कभी पैदल और कभी बाइक से थर्ड पंचायत, बली नाला, चिनी और रेंगी बस्ट जैसे इलाक़ों तक पहुंचा. बली नाला और थर्ड पंचायत में 73 मकान पूरी तरह ढह गए थे, जिनमें से 32 मकान तो जमीन समेत खत्म हो गए थे. वहीं 41 मकानों की जमीन तो बची है लेकिन एक मस्जिद और कब्रिस्तान का कोई निशान बाकी नहीं रहा.

मदद के लिए आगे आया जमीयत

इसके बाद यह दल जिला उधमपुर की तहसील चेनानी पहुंचा, जहां दर्जनों मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त थे. चिनी से लगभग 12 किलोमीटर दूर रेंगी गांव में ढाई दर्जन मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे. इनमें से लगभग एक दर्जन मकानों की जगह भी खत्म हो गई. हाईवे बंद होने की वजह से वहां अब तक कोई राहत नहीं पहुंची थी लेकिन अब जमीयत राजस्थान की अपील पर गाड़ियां लगातार राहत लेकर पहुंच रही हैं. जमीयत उलमा-ए-हिंद के राहत दल ने तत्काल राहत के तौर पर नकद राशि भी वितरित की.

इस प्रतिनिधिमंडल में मौलाना मोहम्मद राशिद (अध्यक्ष जमीयत उलमा राजस्थान), कारी शुऐब अहमद (जमीयत उलमा अलवर), हाफिज़ मोहम्मद सिद्दीक़ (जमीयत उलमा भरतपुर) और चेनानी के मदरसा बाबुल उलूम की टीम से हाजी मोहम्मद अय्यूब (प्रधानाध्यापक), मुफ्ती जिया उल हक़, मौलाना मोहम्मद अशफाक़ आदि शामिल थे। जमीयत उलमा राजस्थान ने इस क्षेत्र के गरीब लोगों के मकान बनाने की ज़िम्मेदारी ली है. इसी तरह जिला पुंछ की तहसील मेंढर के गांव “काला बन” में 70 मकान ढह चुके हैं. वहां अस्थायी आवास के लिए प्लाई के मकान बनाने का भी संकल्प लिया गया है.

पंजाब के सबसे प्रभावित इलाकों का दौरा

मौलाना मदनी के आदेश पर आज जमीयत उलमा पंजाब की प्रांतीय इकाई ने विभिन्न जिलों से कार्यकर्ताओं को लेकर पंजाब के सबसे प्रभावित इलाकों का दौरा किया और ज़रूरी राहत सामग्री वितरित की, जिसमें जानवरों के लिए चारा भी शामिल था। यह इलाक़ा ज़िला पठानकोट के आख़िर में जम्मू-कश्मीर सीमा और अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से सटा हुआ है. गांव का नाम “कोलियां कथलौर” है, जो रावी नदी से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर सड़क किनारे बसा है.

इस गांव में मुसलमान गुर्जर और हिंदुओं के लगभग 30 मकान थे (4 हिंदुओं के और 26 मुसलमान गुर्जरों के वहाँ मुसलमानों ने एक मस्जिद भी बनाई थी. ग्रामीणों ने बताया कि 29 अगस्त की रात अचानक रावी नदी का पानी तेज़ बहाव और ऊंचाई के साथ गांव में घुस आया. लोग जान बचाने में तो सफल हो गए लेकिन घर, सामान और पशुओं को नहीं बचा सके. इनमें बाग हुसैन का एक परिवार भी था जिसने न केवल अपना घर और सामान खोया बल्कि अपने तीन बच्चों 6 और 9 साल के बेटे और 12 साल की बेटी और 70 साल की मां को भी खो दिया. बेटी और मां की लाशें तो मिल गईं लेकिन दोनों बेटों की लाशें अब तक नहीं मिल पाई हैं.

ममद का दिया भरोसा

जमीयत उलेमा के प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर संवेदना प्रकट की और यह भरोसा दिलाया कि जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और कार्यकर्ता इस कठिन समय में उनके साथ खड़े हैं और आगे घर बनाने से लेकर आर्थिक मदद तक हर स्तर पर सहयोग करेंगे.

‘जमीयत मदद करते समय धर्म नहीं पूछती’

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि उन्हें यह देखकर संतोष हुआ है कि उनकी अपील पर जमीयत की विभिन्न राज्य इकाइयों के कार्यकर्ता और ज़िम्मेदार लोग अपने घरों से निकलकर पीड़ितों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यही कार्यकर्ता और इकाइयां जमीयत की असली ताक़त हैं.

मौलाना मदनी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमारे कार्यकर्ता कठिन से कठिन इलाकों तक पहुंचकर राहत पहुंचा रहे हैं. संकट की घड़ी में इंसानों की सेवा करना वास्तव में इंसानियत की सेवा करना है. जमीयत उलमा-ए-हिंद अपने बुजुर्गों द्वारा दिखाए गए मार्ग पर शुरू से चलती आ रही है. उन्होंने यह भी कहा कि जमीयत किसी की मदद करते समय धर्म नहीं पूछती, बल्कि केवल इंसानियत के आधार पर काम करती है. मौलाना ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद हर ज़रूरतमंद को इंसान मानकर मदद करती है, चाहे उसका धर्म कुछ भी हो. उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जमीयत उलमा-ए-हिंद की राहत गतिविधियां तब तक जारी रहेंगी जब तक लोगों को इसकी आवश्यकता होगी।