Mahatma Gandhi Jayanti 2025: महात्मा गांधी कैसे रखते थे खुद को फिट? क्या थी चिकित्सा पद्धति?

Mahatma Gandhi Jayanti 2025: महात्मा गांधी, जिन्हें हम गांधी जी के नाम से जानते हैं, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नेता थे. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ और 30 जनवरी 1948 को उनका निधन हुआ. गांधी जी केवल एक राजनेता ही नहीं बल्कि एक विचारक, समाज सुधारक और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक व्यक्ति भी थे. उन्होंने जीवन में सादगी और सरलता को अपनाया और यही सिद्धांत उनकी चिकित्सा पद्धति में भी झलकता है. गांधी जी का मानना था कि शरीर और मन की स्वस्थ स्थिति बनाए रखना हर व्यक्ति का कर्तव्य है. वे प्राकृतिक इलाज, संतुलित आहार, उपवास, योग और घरेलू उपायों के माध्यम से स्वास्थ्य को बनाए रखने में विश्वास रखते थे. उनके अनुसार बीमारी केवल शारीरिक समस्या नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक जीवन से भी जुड़ी होती है, इसलिए सेहतमंद जीवन जीने और अच्छे आदतों का पालन करना जरूरी है.

गांधी जी की चिकित्सा पद्धति का मूल सिद्धांत था प्राकृतिक और सरल उपायों से स्वास्थ्य बनाए रखना. वे जड़ी-बूटियों और घरेलू उपचारों के माध्यम से रोगों का इलाज करने में विश्वास रखते थे. उनका मानना था कि शरीर में स्वयं-उपचार की क्षमता होती है, जिसे सही आहार, स्वच्छता और मानसिक संतुलन से बढ़ाया जा सकता है. गांधी जी ने संतुलित आहार और उपवास को भी स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना. इसके अलावा, सूर्य की रोशनी, ताजी हवा और नियमित व्यायाम को शरीर के लिए आवश्यक बताया. उनका दृष्टिकोण केवल रोगों के इलाज तक सीमित नहीं था, बल्कि वे रोगों से बचाव, इम्यूनिटी बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने पर भी जोर देते थे. इस पद्धति में रासायनिक दवाओं का कम से कम उपयोग और प्राकृतिक उपायों का अधिक महत्व था, ताकि शरीर को नुकसान न पहुंचे और स्वास्थ्य प्राकृतिक रूप से सुधरे.

गांधी जी के उपायों से रोगों का इलाज और लाभ

पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. समीर भाटी बताते हैं कि गांधी जी के अनुसार स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सबसे पहले शरीर को प्राकृतिक तरीके से संतुलित करना आवश्यक है. उन्होंने उपवास को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना. उपवास से शरीर में टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकलते हैं और पाचन तंत्र मजबूत होता है. इसके अलावा, ताजी हवा और सूर्य के संपर्क में रहना इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है. गांधी जी ने जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक उपायों का इस्तेमाल करके सामान्य रोगों जैसे सर्दी, खांसी, पाचन समस्याओं और त्वचा रोगों का इलाज किया. उनका मानना था कि बीमारी के पीछे मानसिक और सामाजिक कारण भी हो सकते हैं, इसलिए तनाव प्रबंधन और मानसिक शांति भी इलाज का हिस्सा है.

साथ ही, नियमित व्यायाम और योग से शरीर की मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूती मिलती है. संतुलित डाइट और प्राकृतिक उपचारों को अपनाने से डायबिटीज, मोटापा, हाई बीपी और अन्य लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है. कुल मिलाकर गांधी जी की चिकित्सा पद्धति शरीर, मन और आहार को संतुलित करके स्वस्थ जीवन जीने का मार्ग दिखाती है.

स्वस्थ जीवन के लिए सरल उपाय

संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लें.

रोजाना 30 मिनट योग, व्यायाम या वॉक को दिनचर्या में शामिल करें.

घरेलू और प्राकृतिक उपचारों का समय-समय पर उपयोग करें.

पर्याप्त नींद लें और मानसिक तनाव कम करने के उपाय अपनाएं.

ताजी हवा और सूर्य की रोशनी का नियमित संपर्क बनाएं.

जंक फूड, अधिक नमक, चीनी और अनहेल्दी फैट से बचें.

शरीर की सेल्फ हीलिंग क्षमता को मजबूत करने के लिए प्राकृतिक तरीकों को अपनाएं.

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