Mahabharat Katha: युगों-युगों से भटक रहा अश्वत्थामा, अमरता क्यों बन गई श्राप?

Mahabharat Katha: युगों-युगों से भटक रहा अश्वत्थामा, अमरता क्यों बन गई श्राप?

अश्वत्थामा को मिले श्राप की कहानी

Ashwatthama Curse Story: द्वापर युग में धर्म और अधर्म के बीच महाभारत का युद्ध हुआ था. जो 18 दिनों तक चला था और पांडवों ने कौरवों पर विजय हासिल की थी. महाभारत से जुड़े कई रोचक प्रसंगों के बारे में जानकार आज भी हैरानी होती है. आज हम आपको अश्वत्थामा से जुड़े एक प्रसंग के बारे में बताने जा रहे हैं. अश्वत्थामा भी महाभारत का एक पात्र रहा है. वो गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र था. उसके पिता द्रोणाचार्य युद्ध में मारे गए थे. अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने एक ऐसा अपराध किया, जिसकी सजा वो आज भी भुगत रहा है, तो चलिए हैं ये कथा जानते हैं.

द्रोणाचार्य बहुत शक्तिशाली और कुशल योद्धा थे. वो भीष्म पितामह के बाद युद्ध में कौरवों के प्रधान सेनापति बने. पांडव और भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि द्रोणाचार्य के रहते हुए ये युद्ध नहीं जीता जा सकता. तब भगवान श्रीकृष्ण ने एक योजना बनाई. उन्होंने युद्ध में भीम से कहा कि वो अश्वत्थामा नाम के हाथी की हत्या कर दें. भीम ने ऐसा ही किया. उसके बाद भीम जोर-जोर से चिल्लाकर कहने लगे अश्वत्थामा को मारा गया.

धृष्टद्युम्न ने गुरु द्रोण का सिर काटा

द्रोणाचार्य कोअपने पुत्र की मृत्यु का यकीन न हुआ. इस बात को उन्होंने युधिष्ठिर से पूछा क्या यह सच है? तब युधिष्ठिर ने कहा कि गुरुदेव अश्वत्थामा मारा गया. इसके बाद द्रोणाचार्य ने पुत्र की मौत के दुख में शस्त्र नीचे रख दिए और जमीन पर बैठ गए. इस मौके का फायदा उठाकर धृष्टद्युम्न ने अपनी तलवार से गुरु द्रोण का सिर काट दिया. इस बात का पता अश्वत्थामा को चला, तो वह बहुत क्रोधित हुआ.

उसने ठान लिया कि वो अपने पिता की मृत्यु का बदला पांडवों से लेगा. फिर उसने रात में सोते हुए पांडवों के पांच पुत्रों की हत्या कर दी. यही नहीं पांडवों के वंश को समाप्त करने के लिए उत्तरा के गर्भ में शिशु (परीक्षित) को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का उपयोग कर दिया, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ की रक्षा की.

भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था ये श्राप

भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा के इस जघन्य अपराध के लिए उसे दंडित किया और उसके माथे से दिव्य मणि निकाल ली. साथ ही उसे 3000 वर्षों तक पृथ्वी पर अकेले भटकते रहने का श्राप दे दिया. साथ ही ये श्राप भी दिया कि उसके माथे का घाव कभी नहीं भरेगा और हमेशा दुखता रहेगा. भयानक कष्ट और पीड़ा की वजह से अश्वथामा के लिए यह अमरता एक श्राप थी. माना जाता है कि भगवान के श्राप के चलते अश्वथामा युगों-युगों से भटक रहा है.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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