भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने अपने गृह नगर रीवा (मध्य प्रदेश) के टीआरएस कॉलेज में विद्यार्थियों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने भविष्य के युद्ध की जटिलताओं, तकनीकी खतरों और बदलते वैश्विक परिदृश्यों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियां अब पहले से कहीं ज़्यादा अनिश्चित (Unpredictable) और जटिल (Complex) हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय को समझाने के लिए चार शब्द पर्याप्त हैं. अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता.
जनरल द्विवेदी ने मजाकिया लहजे में कहा, अगर सरल शब्दों में कहूं तो आने वाले दिन कैसे होंगे, न आपको पता है न मुझे. कल क्या होगा, ये किसी को नहीं पता. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी नहीं पता होगा कि कल क्या करने वाले हैं’.
‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अफवाहें फैलीं’
अपने संबोधन में थल सेना प्रमुख ने कहा कि सेना को सीमाओं पर, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदाओं, साइबर युद्ध, और अंतरिक्ष में सैटेलाइट आधारित संघर्षों जैसी कई नई चुनौतियों से जूझना पड़ता है. इसके अलावा सूचना युद्ध (Information Warfare) अब एक बड़ा मोर्चा बन चुका है. उन्होंने कहा ‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी अफवाहें फैलने लगीं कि कराची पर हमला हुआ है. हमें भी ऐसे संदेश मिले और हम सोचने लगे कि ये खबर कहां से फैली. यही आज के सूचना युद्ध की चुनौती है’.
‘ऑपरेशन सिंदूरदुश्मन को हराने का मिशन नहीं था’
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल दुश्मन को हराने का मिशन नहीं था, बल्कि राष्ट्र की संप्रभुता, अखंडता और शांति की पुनर्स्थापना का अभियान था. उन्होंने बताया ‘जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस अभियान का नाम सिंदूरहोगा, तो मुझे कारगिल युद्ध की याद आई जब सेना ने ऑपरेशन विजय और वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर चलाया था. इस बार सिंदूर नाम से पूरा देश भावनात्मक रूप से जुड़ गया. यह सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया’.
सेना प्रमुख ने आगे कहा ‘हर युद्ध में जोखिम होता है. हमें नहीं पता कितने सैनिकों की जान जाएगी, या दुश्मन कब पलटवार करेगा. लेकिन इस ऑपरेशन में हमने तय किया कि जो भी खतरा हमारे सामने था, उसे सीधे निशाना बनाया जाएगा चाहे दुश्मन के इलाके में 100 किलोमीटर अंदर तक क्यों न जाना पड़े’.
‘हमने बदली लड़ाई की परिभाषा’
जनरल द्विवेदी ने कहा कि सेना अब तकनीक और नवाचार के जरिए तेजी से बदल रही है. उन्होंने कहा ‘हमने नए ड्रोन, सटीक हथियार और बेहतर गोला-बारूद अपनाया. हमने बदला, इसलिए जीते. उन्होंने कहा कि आज की लड़ाई सिर्फ ‘बूट्स ऑन द ग्राउंड’ से नहीं बल्कि ‘माइंड्स ऑन द ग्राउंड’ से भी लड़ी जाती है. उन्होंने एक उदाहरण साझा करते हुए कहा ‘जब पाकिस्तान फेक न्यूज़ फैला रहा था, तो सिकंदराबाद के एक युवक ने कहा सर मेरे तीन लाख फॉलोअर्स हैं, बताइए क्या करना है, मैं सच्चाई फैलाऊंगा’. उन्होंने कहा कि देशभर से ऐसे लोग देशभक्ति के जोश में आगे आए.
जनरेशन Z को दिया संदेश
जनरल द्विवेदी ने युवाओं संदेश देते हुए से कहा ‘जनरेशन Z डिजिटल रूप से सशक्त, तकनीकी रूप से उन्नत और वैश्विक दृष्टिकोण रखने वाली पीढ़ी है. अगर यह पीढ़ी अनुशासन और सही दिशा पाए, तो भारत कुछ ही वर्षों में कई युग आगे बढ़ सकता है’.
इस दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृति की ताकत पर भी ज़ोर दिया. सेना प्रमुख ने कहा ‘भारत की सभ्यता समावेशी है. जो भी यहां आया, हमने उसे अपनाया. इसी आत्मा से बौद्ध धर्म चीन, जापान और इंडोनेशिया तक फैला’. अंत में उन्होंने कहा कि भविष्य चाहे जितना भी अनिश्चित क्यों न हो, अगर हम एकजुट रहें और तकनीक के साथ आगे बढ़ें तो भारत हर चुनौती का सामना करने में सक्षम है.




