
मां सिद्धिदात्री Image Credit source: AI
Maa siddhidatri navami maha bhog: नवरात्रि का आज नौवां दिन है, जो कि मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है. यह दिन नवरात्रि का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां सिद्धिदात्री भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाली और उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखाने वाली देवी हैं. कहा जाता है कि इनकी कृपा से ही भगवान शिव को अष्ट सिद्धियां प्राप्त हुई थीं और उनका आधा शरीर देवी का हो गया था, जिसके कारण वे ‘अर्धनारीश्वर’ कहलाए.
मान्यता है कि नवरात्रि के अन्य दिनों में पूजा न कर पाने वाले भक्त भी यदि नवमी के दिन पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से मां सिद्धिदात्री की उपासना करते हैं, तो उन्हें सम्पूर्ण नवरात्रि की पूजा का फल प्राप्त हो जाता है. इस दिन मां को उनके प्रिय महाभोग अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं.
मां सिद्धिदात्री को लगाएं ये महाभोग
नवमी के दिन देवी सिद्धिदात्री को विशेष रूप से सात्विक व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. इन चीजों को श्रद्धा और सच्चे मन से अर्पित करने पर मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों के जीवन के सभी कष्ट दूर करती हैं.
हलवा, पूड़ी और चना: नवमी और अष्टमी पर हलवा, पूड़ी और चना का भोग लगाना सबसे शुभ और पारंपरिक माना जाता है. यह प्रसाद देवी मां को अति प्रिय है.
खीर: दूध और चावल से बनी खीर का भोग भी मां को अर्पित किया जाता है.
नारियल: नारियल को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है. नारियल, चाहे वह साबुत हो या उसका हलवा, मां सिद्धिदात्री को चढ़ाना अत्यंत शुभ फलदायी होता है.
मौसमी फल: देवी को मौसमी फल अर्पित करना भी बहुत अच्छा माना जाता है.
पंच मेवा और मिष्ठान: आप अपनी क्षमतानुसार मां को पंच मेवा (पांच प्रकार के सूखे मेवे) और सफेद या किसी भी प्रकार की शुद्ध मिठाई का भोग भी लगा सकते हैं.
नवमी के दिन भोग लगाने के बाद, इस प्रसाद को कन्या पूजन (कंजक) में नौ कन्याओं और एक बालक को खिलाना अति उत्तम माना जाता है. कन्याओं को भोजन कराने और उन्हें दक्षिणा देने से मां सिद्धिदात्री का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
नवमी पूजा विधि
नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री को जामुनी (बैंगनी) या गुलाबी रंग प्रिय है, इसलिए इन रंगों के वस्त्र धारण करना शुभ होता है. चौकी पर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. उन्हें रोली, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप और विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित करें. इसके बाद, अपनी मनोकामना कहते हुए पूजा का संकल्प लें.
देवी को श्रद्धापूर्वक उनका प्रिय महाभोग (हलवा, पूड़ी, चना, खीर, नारियल) अर्पित करें. इसके बाद, मां सिद्धिदात्री के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से उनकी आरती करें. नवरात्रि की पूर्णता के लिए नवमी के दिन हवन करना बहुत आवश्यक माना जाता है. हवन के बाद नौ कन्याओं और एक बालक का पूजन कर उन्हें भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें.
मां सिद्धिदात्री का मंत्र:
समस्त सिद्धियों की प्राप्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए नवमी के दिन इस मंत्र का जाप करें.
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि.
सेव्यमानासदाभूयात्सिद्धिदासिद्धिदायिनी॥
मां सिद्धिदात्री का महत्व
देवी सिद्धिदात्री सभी प्रकार की आठ सिद्धियां और नौ निधियां प्रदान करने वाली मानी जाती हैं. शास्त्रों के अनुसार मां के इस रूप के चार हाथ होते हैं, जिनमें वे गदा, चक्र, शंख और कमल धारण किए रहती हैं. इनकी पूजा करने से भक्त को आत्मविश्वास, सफलता, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सौभाग्य प्राप्त होता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.