
LIC Housing को ₹1349 करोड़ का मुनाफा
LIC Housing Q2 Results: देश की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में से एक, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस (LIC Housing Finance) ने अपने तिमाही नतीजे जारी कर दिए हैं. सितंबर में समाप्त हुई दूसरी तिमाही (Q2) के आंकड़े एक मिली-जुली तस्वीर पेश करते हैं. कंपनी ने मुनाफे में मामूली बढ़त दर्ज की है और ब्याज से होने वाली आय (NII) में भी उछाल आया है. लेकिन, इन सकारात्मक आंकड़ों के बावजूद, शेयर बाजार में निवेशकों का भरोसा डगमगाया हुआ लगता है. सवाल यह है कि जब कंपनी कमा रही है, तो उसके शेयर निवेशकों को क्यों निराश कर रहे हैं?
ब्याज आय ने दिया सहारा
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई से सितंबर 2024 की तिमाही में कंपनी ने ₹1,349 करोड़ का शुद्ध मुनाफा (Net Profit) कमाया है. अगर इसकी तुलना पिछले साल की इसी अवधि से करें, तो यह 1.6% की एक बहुत ही मामूली बढ़त है. पिछले साल इसी तिमाही में कंपनी को ₹1,328 करोड़ का लाभ हुआ था. मुनाफे में यह धीमी वृद्धि दर्शाती है कि कंपनी स्थिर है, लेकिन तेज रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है.
कंपनी के प्रदर्शन को मुख्य सहारा उसकी ब्याज से होने वाली कमाई (Net Interest Income – NII) से मिला है. यह वह पैसा है जो कंपनी लोन पर कमाए गए ब्याज और जमा पर दिए गए ब्याज के अंतर से कमाती है. इस तिमाही में NII 3.3% बढ़कर ₹2,048 करोड़ हो गया, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा ₹1,981 करोड़ था. कंपनी का कहना है कि बाजार में होम लोन की मांग स्थिर बनी हुई है, जिसका फायदा उन्हें मिला है. खासतौर पर किफायती और मध्यम आय वर्ग (Mid-income) के घरों के लिए लोन लेने वालों की संख्या अच्छी रही है, जो एलआईसी हाउसिंग का मुख्य बाजार है.
पिछली तिमाही बेहतर थी
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2024) के प्रदर्शन पर नजर डालें, तो तस्वीर कमोबेश ऐसी ही थी, बल्कि थोड़ी बेहतर ही थी. जून तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 4.4% की दर से बढ़कर ₹1,364 करोड़ रहा था. उस दौरान कंपनी का राजस्व (Revenue) 7% बढ़कर ₹7,233 करोड़ और NII भी 4% बढ़कर ₹2,076 करोड़ पहुंचा था. यानी, पिछली तिमाही के मुकाबले मौजूदा तिमाही (Q2) का प्रदर्शन थोड़ा हल्का रहा है.
अब बात करते हैं लोन बांटने (Disbursements) की, जो किसी भी फाइनेंस कंपनी के स्वास्थ्य का बड़ा पैमाना है. जून तिमाही के आंकड़ों के मुताबिक, कंपनी ने कुल ₹13,116 करोड़ के लोन बांटे, जो पिछले साल के ₹12,915 करोड़ से अधिक थे. इसमें अच्छी बात यह है कि आम लोगों को घर खरीदने के लिए दिए जाने वाले ‘इंडिविजुअल होम लोन’ में 3% की सालाना बढ़त देखी गई और यह ₹11,247 करोड़ रहा.
लेकिन, चिंता की एक बड़ी वजह ‘प्रोजेक्ट लोन’ सेगमेंट में दिखी. यह वह लोन होता है जो कंपनी बिल्डरों या बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को देती है. इस मोर्चे पर कंपनी ने बेहद सावधानी बरती है. प्रोजेक्ट लोन डिस्बर्समेंट ₹521 करोड़ से 70% से भी ज्यादा घटकर मात्र ₹156 करोड़ रह गया. यह तेज गिरावट दिखाती है कि कंपनी या तो बड़े प्रोजेक्ट्स को कर्ज देने में संकोच कर रही है या फिर इस क्षेत्र में मांग कमजोर पड़ गई है.
LIC हाउसिंग शेयर की ‘कछुआ चाल’
कंपनी के मुनाफे और आय के आंकड़े भले ही लाल निशान में न हों, लेकिन वे बाजार की उम्मीदों पर पूरी तरह खरे नहीं उतरे हैं. 1.6% की सालाना मुनाफा वृद्धि को बाजार ‘शानदार’ नहीं मानता. यही कारण है कि कंपनी के शेयरों में निवेशकों का उत्साह नहीं दिख रहा है. बुधवार को, नतीजों की घोषणा से ठीक पहले, शेयर 1.37% की मामूली बढ़त के साथ ₹593.90 पर बंद हुआ.
लेकिन अगर हम लंबी अवधि का नजरिया देखें, तो तस्वीर निराशाजनक है. पिछले छह महीनों में इस स्टॉक ने अपने निवेशकों को 2.13% का नकारात्मक रिटर्न (घाटा) दिया है. वहीं, जिन निवेशकों ने एक साल पहले इसमें पैसा लगाया था, वे आज 6.83% के नुकसान में हैं.
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