भारत में पोर्न साइट्स को पूरी तरह से बंद न कर पाने के पीछे के कारणआइए इसे विस्तार से समझते हैं!! “ • ˌ

भारत में पोर्न साइट्स को पूरी तरह से बंद न कर पाने के पीछे के कारणआइए इसे विस्तार से समझते हैं!! “ • ˌ

सरकार ने देश में इंटरनेट सेवा उपलब्ध करवाने वाले सर्विस प्रोवाइडर्स से कहा है कि वे 827 पॉर्न वेबसाइट्स को ब्लॉक कर दें। यह आदेश तब आया है, जब उत्तराखंड के एक स्कूल में हुए रेप के बाद आरोपी ने खुलासा किया था कि उसने रेप से पहले पॉर्न साइट देखी थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि पॉर्न साइट्स को बंद किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में पहले से इसे लेकर अर्जी है कि पॉर्न साइट्स बंद की जाएं लेकिन अभी तक ये बंद नहीं हुई हैं। सरकार ने भी सिर्फ चाइल्ड पॉर्नोग्रफी वाली साइट्स को बंद करने की बात मानी है। ऐसे में सवाल है कि भारत में पॉर्न साइट्स को क्यों बंद नहीं किया जा सका है?

आईपीसी और आईटी ऐक्ट में जो प्रावधान हैं, उनके तहत पॉर्नोग्रफी को आगे बढ़ावा या शेयर करना या उसे स्टोर करना भी अपराध है। आईपीसी की धारा 292, पोक्सो ऐक्ट की धारा- 12 व 13 और आईटी ऐक्ट की धारा 67 व इंडीसेंट रिप्रजेंटेशन ऑफ वुमन ऐक्ट में पॉर्न और ऐसे कंटेंट को शेयर करना और स्टोर करना अपराध है। इसे देखने से रोकने के लिए एक ही उपाय है कि इस तरह की साइट्स को ब्लॉक किया जाए जो कि सरकार कर सकती है।

‘मॉरल पुलिसिंग कैसे करें’: पॉर्न बैन से जुड़ी सुनवाई में तत्कालीन अटॉर्नी जनरल ने दलील दी थी कि तमाम तरह की पॉर्न साइट्स को रोका जाना संभव नहीं है। यह व्यक्तिगत मामला है और सरकार मॉरल पुलिसिंग नहीं करना चाहती। कोई अगर घर में इसे देखता है तो कैसे रोका जा सकता है। हालांकि वासवानी बताते हैं कि डीएनएस और आईपी अड्रेस ब्लॉक हो सकता है। ऐसे सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जिसके जरिए सर्वर के माध्यम से इसे ब्लॉक किया जा सकता है। केंद्र ने जब खुद चाइल्ड पॉर्नोग्रफी की साइट्स ब्लॉक करने की बात कही तो बाकी क्यों नहीं हो सकतीं। अगर नहीं ब्लॉक किया गया तो बच्चों पर गलत असर होगा।

ऐसे उठा था मामला: उत्तराखंड में एक स्कूल के चार नाबालिग छात्रों को स्कूली छात्रा के रेप में पकड़ा गया। पूछताछ में चारों लड़कों ने कहा कि उन्होंने पॉर्न साइट्स देखी थीं और उसके बाद घटना को अंजाम दिया था। इस मामले को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया और अहम आदेश में कहा कि केंद्र सरकार पॉर्न साइट्स को बंद कराए। फिर केंद्र सरकार ने 827 पॉर्न साइट्स को बंद करने के आदेश दिए।

भारत में पोर्नोग्राफी पर पूरी तरह से प्रतिबंध न लगने के पीछे कई कानूनी, तकनीकी और सामाजिक कारण हैं।

1. कानूनी कारण:

  • कोई स्पष्ट कानून नहीं: भारत में आईटी ऐक्ट, 2000 और आईपीसी की धारा 292 के तहत अश्लील सामग्री फैलाना अपराध है, लेकिन इसे व्यक्तिगत रूप से देखना गैरकानूनी नहीं है
  • सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को पोर्न साइट्स पर नियंत्रण लगाने के लिए कहा, लेकिन सरकार ने सिर्फ चाइल्ड पोर्नोग्राफी को रोकने की बात मानी।
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता: पोर्न साइट्स पर प्रतिबंध लगाने को कुछ लोग संविधान के अनुच्छेद 21 (निजता का अधिकार) का उल्लंघन मानते हैं।

2. तकनीकी कारण:

  • VPN और प्रॉक्सी सर्वर: पोर्न साइट्स को ब्लॉक करना पूरी तरह संभव नहीं है, क्योंकि लोग VPN (Virtual Private Network) और प्रॉक्सी सर्वर के जरिए इन साइट्स तक पहुंच सकते हैं।
  • नए डोमेन और मिरर साइट्स: सरकार जितनी साइट्स ब्लॉक करती है, उतनी ही तेजी से नई साइट्स और डोमेन बन जाते हैं।

3. नैतिकता बनाम स्वतंत्रता:

  • सरकार “मॉरल पुलिसिंग” (नैतिकता की जबरदस्ती) नहीं करना चाहती, इसलिए वह पूरी तरह से पोर्न साइट्स को बंद करने से बचती है।
  • भारत में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और इंटरनेट एक्सेस के अधिकार को भी ध्यान में रखना जरूरी होता है।

4. अंतरराष्ट्रीय प्रभाव:

  • पोर्न साइट्स के सर्वर अधिकतर विदेशी कंपनियों के पास होते हैं, जिन पर भारतीय कानूनों का सीधा प्रभाव नहीं पड़ता।
  • कई देशों में पोर्न वैध है, इसलिए उन साइट्स को ब्लॉक करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों से टकरा सकता है

5. प्रभाव और नतीजे:

  • महिलाओं और बच्चों पर असर: कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि पोर्न साइट्स महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ा सकती हैं। उत्तराखंड स्कूल केस इसका उदाहरण है।
  • शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य: बच्चों पर पोर्नोग्राफी का गलत असर पड़ सकता है और यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।

क्या समाधान हो सकते हैं?

  1. सख्त डिजिटल निगरानी: सरकार को AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करके पोर्न साइट्स पर बेहतर नियंत्रण रखना होगा।
  2. VPN और प्रॉक्सी ब्लॉकिंग: अन्य देशों की तरह VPN और प्रॉक्सी वेबसाइट्स पर भी सख्त निगरानी जरूरी है।
  3. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स की जिम्मेदारी: सरकार को ISP (इंटरनेट सेवा प्रदाता) पर दबाव बनाना होगा कि वे पोर्नोग्राफी को एक्सेस करने के रास्ते रोकें।
  4. लोगों में जागरूकता: पोर्नोग्राफी के दुष्प्रभावों को लेकर स्कूलों और समाज में सही शिक्षा और चर्चा होनी चाहिए।

निष्कर्ष:

भारत में पोर्न साइट्स को पूरी तरह से ब्लॉक करना कानूनी, तकनीकी और सामाजिक रूप से कठिन है। हालांकि, चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। सरकार को संतुलित कदम उठाने होंगे ताकि समाज पर बुरा असर न पड़े और साथ ही व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी बनी रहे।